Someshwar Special: सूरज की तेज तपिश में धान की फसल खड़ी करने में जुटे काश्तकार, धान उत्पादन में नामी बोरारौघाटी में जोरशोर से धान रोपाई, एकता की मिशाल के दर्शन भी कराती है प्राचीन बौल परंपरा

दिनकर प्रकाश जोशी, सोमेश्वर खेतीबाड़ी के लिए अल्मोड़ा जनपद की बोरारौघाटी नामी रही है। आलू व विभिन्न फसलों के उत्पादन के साथ ही क्षेत्र की…

दिनकर प्रकाश जोशी, सोमेश्वर


खेतीबाड़ी के लिए अल्मोड़ा जनपद की बोरारौघाटी नामी रही है। आलू व विभिन्न फसलों के उत्पादन के साथ ही क्षेत्र की धान की खेती भी मशहूर रही है। इस बीच धान की रोपाई चरम पर है। भीषण गर्मी में खेतों में सिर तपाकर काश्तकार धान की फसल खड़ी करने की जद्दोजहद में जुटे हैं। जिसमें एकता की मिशाल पेश करती प्राचीन परंपरा के भी दर्शन होते हैं।
धान की पौध तैयार कर इनदिनों धान की रोपाई का कार्य जोरशोर से चल रहा है। सूरज की तेज तपिश के परवाह किए बगैर महिला—पुरुष काश्तकारों ने इस बीच धान की फसल खड़ी करने के लिए कड़ी मेहनत झोंकी है। खेत की बैलों से जुताई करने के बाद किसानों द्वारा सिंचाई योजनाओं के जरिये पहले खेतों में मेढ़ बनाकर उसे तलैया स्वरूप बनाया जाता है और इसके बाद घासफूस हटाकर समतल किया जाता है। इसके बाद महिलाओं का काफिला खेत में उतरता है, जो मंगलगीतों की प्रस्तुति के बीच धान की रोपाई करती हैं। रोपाई के बाद कई खेतों में धान के पौधों से भरे खेत मनोहारी दृश्य प्रस्तुत कर रहे हैं।
एकता की​ मिशाल बौल: धान रोपाई के दौरान यहां प्राचीन बौल परंपरा एवं एकता की मिशाल जीवित है। बारी—बारी से हर किसी के खेत में रोपाई होती है। गांव की महिलाएं एकजुट व कतारबद्ध होकर खेतों में धान की रोपाई करती हैं। रोपाई के दौरान मंगलगीत व अच्छी फसल की कामना वाले गीत भी महिलाएं गाती हैं। लोक कलाकार मदन मोहन सनवाल सरीखे चंद अनुभवी लोग हुड़के की थाप पर देव स्तुति जुड़े गीत व प्रेरणादायी लोक गीतों की सुंदर प्रस्तुति देकर बड़े जोश से रोपाई कार्य संपन्न कराते हैं।
एक दुख, जो सताता है: यहां किसान खेतों में कड़ी मेहनत कर शानदार फसल खड़ी करते हैं, मगर एक दुख ऐसा है, जो उन्हें सदैव सताता है। वह दुख है जंगली जानवरों का आंतक। बार—बार बंदर व जंगली सुअर खेतों में उत्पात मचाकर किसानों की हाड़तोड़ मेहनत पर पानी फेर देते हैं। जिससे मेहनत पर पानी फिरते देख काश्तकारों को भारी नुकसान झेलना पड़ता है। इसी चिंता से ग्राम सभाओं से मांग उठ रही है कि मनरेगा के तहत जंगली जानवरों के पहरे व उन्हें भगाने के लिए चौकीदार रखे जाएं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *