किच्छा। कांग्रेस के पूर्व प्रदेश प्रभारी अनुग्रह नारायण सिंह ने कहा कि आजादी के बाद स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों, उनके आश्रितों तथा विस्थापितों को कांग्रेस ने भूमि का मालिकाना हक देकर पुनः बसाने का काम किया, परंतु उत्तराखंड की भाजपा सरकार ने गोपनीय तरीके से बिना कारण तथा बिना नोटिस जारी किए बाजपुर के किसानों व उद्यमियों की लगभग 5800 एकड़ भूमि राजस्व अभिलेखों से काटकर सरकारी दस्तावेज में दर्ज करने का काम किया।
पूर्व प्रदेश प्रभारी अनुग्रह नारायण ने कहा कि गत 28 फरवरी को उन्होंने पीड़ित तथा प्रभावित परिवारों से मिलकर न्याय दिलाने का संकल्प लिया था और तभी से पार्टी कार्यकर्ताओं द्वारा इस जनविरोधी आदेश के खिलाफ संघर्ष शुरू किया गया था। उन्होंने कहा कि करोना काल के बावजूद 10 फरवरी को उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह, नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय से बाजपुर जाकर पीड़ितों से मिलने तथा उनकी आवाज को सदन से लेकर सड़क तक संघर्ष करने का आग्रह किया था,
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जिसके बाद वरिष्ठ कांग्रेसियों ने पीड़ितों के कंधे से कंधा मिलाकर प्रदेश के जनविरोधी आदेश के खिलाफ आवाज उठाई, जिसका परिणाम आज जनता के सामने है। उन्होंने कहा कि पीड़ितों के साथ कांग्रेसियों द्वारा किए गए संघर्ष के फलस्वरूप प्रदेश सरकार ने घुटने टेक दिए हैं, जिससे कांग्रेसियों की जीत हुई है। उन्होंने प्रदेश सरकार से भूमि के दस्तावेजों को तुरंत दुरुस्त करने के आदेश जारी करने की मांग करते हुए कहा कि किसानों का उत्पीड़न तथा शोषण किसी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और प्रदेश सरकार के हर जन विरोधी तथा विकास विरोधी निर्णय के खिलाफ कांग्रेस मोर्चा खोलने का काम करेगी।
कांग्रेस प्रदेश महासचिव हरीश पनेरु ने भी बाजपुर भूमि प्रकरण में सरकार के बैकफुट पर आने तथा किसानों को उनकी जमीन का मालिकाना हक देने के निर्णय का स्वागत करते हुए कहा कि भूमि विवाद को कांग्रेसियों ने बड़े पैमाने पर उठाकर पूरे प्रदेश में सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने का काम किया , जिसके चलते आज न्याय की जीत हुई है और उत्तराखंड की भाजपा सरकार को अपने कदम पीछे लेने को मजबूर होना पड़ा। उन्होंने कहा कि बाजपुर भूमि विवाद के मामले में सही मायने में कांग्रेस तथा न्याय के संघर्ष की जीत हुई है और भाजपा का असली चेहरा जनता के सामने आ गया है।
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