बड़ी मुश्किल से ढर्रे में आई थी शिक्षा ​व्यवस्था, अचानक नया पाठ्यक्रम लागू

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उत्तराखंड में कक्षा 01 से 08 तक क लिए आया नया आदेश

सीएनई डेस्क

नव शैक्षिक सत्र 2022—2023 के तीन माह बीत जाने के बाद अचानक कक्षा 01 से 08 के लिए ‘विद्यासेतु’ नाम से नया पाठ्यक्रम लागू कर दिया गया है। जिसके लिए बकायदा शिक्षकों को डायट से प्रशिक्षण प्राप्त करने का आदेश भी दिया गया है। जिसके बाद से शिक्षक असमंजस की स्थिति में हैं।

कोविड काल की क्षति पूर्ति के लिए नया पाठ्यक्रम विधा सेतु

उल्लेखनीय है कि महानिदेशक विद्यालीय शिक्षा के आदेश पर कक्षा 1 से 8 तक के लिए पुनर्निधारित Refurbished Syllabus पाठ्यक्रम ‘विद्या सेतु’ को लागू कर दिया गया है। आदेश में कहा गया है कि कोविड काल में विद्यालय बंद होने के कारण विद्यालयों में पठन-पाठन बाधित रहा। क्षति की पूर्ति तथा शैक्षिक गुणवत्ता संर्वधन के लिए पूर्व निर्धारित कक्षावार पाठ्कम के स्थान पर अनिवार्य सीखने के प्रतिफलों (Essential Learning outcomes) सम्बोधों पर ध्यान देने की आवश्यकता अनुभव की गयी है।
कोविड काल में विगत दो शैक्षिक सत्रों में बच्चों की शिक्षा पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है तथा अधिगम क्षति (learning loss) भी हुई है जिसकी पूर्ति करना अनिवार्य है। अतएव वर्ष 2022-23 हेतु एन०सी०ई०आर०टी० द्वारा विद्या सेतु के अन्तर्गत कक्षा 01 से कक्षा 08 तक हिन्दी, गणित, अंग्रेजी, पर्यावरण अध्ययन, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान विषयों के पाठ्यक्रम अब ‘विद्यासेतु’ के अन्तर्गत र्निर्धारित किए गए है। वर्ष 2022-23 में कक्षा 1 से 8 तक संपन्न किये जाने वाले आकलन/मासिक परीक्षा/अर्द्धवार्षिक परीक्षा/वार्षिक परीक्षा का मूल्यांकन इसी पाठ्कम के आधार पर किया जायेगा। डायट के द्वारा समस्त विकास खण्डों का अभिमुखीकरण 8 जुलाई को किया जा चुका है। पुनः डायट स्तर पर एम०टी० तैयार करने हेतु डायट सभागार में निर्धारित संख्या में शिक्षकों को अभिमुखीकरण प्रशिक्षण दिया जायेगा।

शिक्षकों में दिख रहा इस कारण असंतोष

इधर इस नए आदेश को लेकर शिक्षकों में असंतोष साफ दिखाई दे रहा है। शिक्षकों का कहना है कि विभाग व सरकार की कथनी व करनी में अंतर है। एक ओर पहले विद्यालयों में निर्धारित पाठ्यक्रमों को अप्रैल माह से शुरू करने के लिए कहा गया। जैसे ही पढ़ाई अपनी ट्रैक में आ रही थी, उसको छोड़कर अब जुलाई से नया अधिगम ‘विधासेतु पाठ्यक्रम’ भेजा गया है। अब विधालयी शिक्षकों से ही जिला शिक्षा व प्रशिक्षण संस्थान इस पाठ्यक्रम के प्रशिक्षण के लिए ही एमटी के लिए कह रहा है, जबकि उत्तराखंड के सभी जिला प्रशिक्षण संस्थानों में हर विषय के विषय विशेषज्ञ हैं, जिनका काम विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों को प्रशिक्षण देना है।

राज्य में तीन शिक्षा के निदेशालय और हर जिले में डायट, फिर शिक्षकों से एमटी प्रशिक्षण क्यों ?

शिक्षकों का यह भी कहना है कि जब शिक्षकों द्वारा शिक्षकों को ही प्रशिक्षण देना है और लेना है तो इन जिला मुख्यालय के प्रशिक्षण संस्थानों में कार्यरत विषय विशेषज्ञ की क्या जरूरत है। शिक्षकों का यहां तक कहना है कि राज्य शैक्षिक व प्रशिक्षण संस्थानों का नाम बदलना चाहिए। जिले से लेकर प्रदेश तक इस संस्थान में सैकड़ों विषय विशेषज्ञ हैं, लेकिन इनका कार्य भी शिक्षक ही कर रहे हैं। सरकार शिक्षा की गुणवत्ता के लिए अरबों रूपये इन प्रशिक्षण संस्थानों में खर्च कर रही है। क्यों न इन शिक्षकों की अध्यापकों की कमी से जूझ रहे विद्यालयों में तैनाती कर दी जाये। शिक्षकों का कहना है कि मुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री ने कहा है कि विद्यालयों शिक्षकों से केवल विद्यालयों में ही शिक्षण कराया जायेगा।

चर्चा यह भी है कि उत्तराखंड में प्राथमिक से लेकर माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षा के लिए तीन निदेशालय बने है पहला — प्राथमिक शिक्षा निदेशालय, दूसरा — माध्यमिक शिक्षा निदेशालय व तीसरा — राज्य शैक्षिक व प्रशिक्षण निदेशालय। इतना ही नहीं हर जिले में जिला शिक्षा व प्रशिक्षण संस्थान हैं। इन तीनों निदेशालयों में सैकड़ों अधिकारी व विषय विशेषज्ञ हैं, लेकिन एमटी प्रशिक्षण अध्यापकों से कराया जा रहा है। जिले से लेकर प्रदेश के निदेशालय में आने के लिए अधिकारी व शिक्षक ऐड़ी—चोटी का जोर लगाते हैं।

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