सुप्रसिद्ध कुमाऊंनी कवि, रचनाकार ‘शेरदा अनपढ़’ को अष्टम पुण्यतिथि पर शत—शत नमन्, आइये सुनिये उन्हें समर्पित यह गीत…..

अल्मोड़ा। उत्तराखंड के सुप्रसिद्ध कुमाउँनी कवि, रचनाकार स्वर्गीय शेर सिंह बिष्ट “शेरदा अनपढ़” की आज 8वीं पुण्यतिथि है। शेरदा वह कवि थे, जिन्होंने पूरी पीढ़ी…

अल्मोड़ा। उत्तराखंड के सुप्रसिद्ध कुमाउँनी कवि, रचनाकार स्वर्गीय शेर सिंह बिष्ट “शेरदा अनपढ़” की आज 8वीं पुण्यतिथि है। शेरदा वह कवि थे, जिन्होंने पूरी पीढ़ी को साहित्य व कविता कर्म के लिए उत्सुक किया, आकृष्ट किया और प्रेरित भी किया है।


उनकी स्मृति में उनके ज्येष्ठ पुत्र आनंद सिंह बिष्ट वह पुत्रवधू शर्मिष्ठा बिष्ट व उनके प्रशंसकों ने उनके स्मरण हेतु उनका गीत “प्यारी गंगा रे मेरी” रिकॉर्ड किया है। जिसमें स्वर शर्मिष्ठा बिष्ट व नितेश बिष्ट का है। गीत के साथ शेरदा के गांव, उनके चित्र जिसमें परिजन, कार्यक्रमों व सम्मान की स्मृतियां हैं तथा उनके साथ कई साहित्यकारों के विचार भी समाहित हैं। जिनमें प्रोफेसर लक्ष्मण सिंह बिष्ट ‘बटरोही’, प्रोफेसर शेर सिंह बिष्ट हेमंत बिष्ट, हयात रावत, धनानंद पांडे, मेघ जी, मोहन कुमाउँनी आदि साहित्यकारों के उदगार भी डाले गये हैं।

ज्ञात रहे कि हिंदी संस्थान उत्तर प्रदेश से सम्मानित शेरदा को उत्तराखंड शोध संस्थान द्वारा उत्तराखंड संस्कृति संरक्षण सम्मान से सम्मानित किया गया था। उनकी प्रमुख पुस्तकों में ‘मेरी लटी-पढ़ि’, ‘जॉठिक घुंघुर’, ‘फचैक’, ‘कहानी है नेफा और लद्दाख की’, ‘शेरदा समग्र’ आदि सम्मलित हैं। ‘ओ परूआ बाज्यू चप्पल कये ल्याहा यस’ जैसे गीत ध्वनि व प्रकाश कार्यक्रम में गाँधी जी की भूमिका के लिए शेरदा जाने जाते हैं। शेरदा का जन्म 3 अक्टूबर 1933 को अल्मोड़ा जिला स्थित माल गाँव में हुआ था। शेरदा ने गीत और नाटय प्रभाग नैनीताल में अपनी सेवा दी तथा सेवानिवृत्त होने के पश्चात हल्द्वानी में ही अपना निवास स्थान बना लिया व जीवन के अंतिम क्षणों तक परिवार सहित वहीं रहे।

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