एंटी मोदी ग्रुप का हिस्सा रही शेहला रशीद ने की पीएम मोदी की जमकर तारीफ़
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👉 कहा, ”कश्मीर गाजा नहीं, हालात बेहतर”
📌 जानिए वैचारिक परिवर्तन की मुख्य वजह
Shehla Rashid Praises Pm Modi : जेएनयू (JNU) छात्र संघ की पूर्व उपाध्यक्ष रही शेहला रशीद। एक ऐसी शख्सियत जो हमेशा से मोदी सरकार की घुर विरोधी में गिनी जाती थीं। बावजूद इसके, कश्मीर को लेकर उनकी टिप्पणी ने सभी को हैरत में डाल दिया है। मोदी सरकार की कश्मीर को लेकर नई नीतियों को लेकर उनका अब हृदय परिवर्तन हुआ है और शेहला ने खुलकर मोदी सरकार के समर्थन में बयान दिया है।
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शेहला रशीद के बयान ने हैरत में डाला
शेहला रशीद ने हालिया बयान में कहा कि कश्मीर में बदली हुई स्थिति से साफ हो गया है कि वह कोई गाजा पट्टी नहीं है। रशीद ने कहा कि बदले हालातों के लिए वह सबसे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इसका श्रेय देती हैं। 🙏 ख़बर जारी है, आगे पढ़िये
साथ ही उन्होंने गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) की भी जमकर तारीफ की। कहा कि कश्मीर में शांति बिना किसी रक्तपात के कायम करने में शाह—मोदी सफल हुए हैं। शेहला ने कश्मीर के मौजूदा हालातों में खुलकर अपनी राय दी है। कहा कि आज के बदले हालातों के लिए वह पीएम की आभारी हैं।
जानिए कौन हैं शेहला रशीद
ज्ञात रहे कि शेहला रशीद एक शिक्षाविद और जेएनयू में छात्रसंघ की पूर्व उपाध्यक्ष रही हैं। एक समय था, जब शेहला रशीद प्रधानमंत्री मोदी की सबसे बड़ी विरोधी थी। उन्हें एंटी मोदी ग्रुप का एक हिस्सा माना जाता था। यहां तक कि उन्होंने कश्मीर के पत्थरबाजों तक का समर्थन किया था।
उन्होंने स्वयं इस बात को स्वीकारा है। कहा कि साल 2010 तक वह मोदी को कश्मीरी आवाम के दुश्मन के रूप में देखती थी, जब वह बदली हुई स्थिति देखती हैं तो उनकी सोच में परिवर्तन आया है।
ज्ञात रहे कि उन्होंने कभी मोदी सरकार का कई अवसरों पर खुलकर विरोध किया था। जब जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाया गया था तो शेहला रशीद ने इसकी जमकर खिलाफ़त की थी। रशीद ने सेना पर भी गंभीर आरोप लगाए थे।
कुछ समय से दिख रहा वैचारिक बदलाव
हालांकि अब बीते कुछ वक्त से शेहला रशीद में वैचारिक बदलाव दिख रहा है। उन्होंने 15 अगस्त को भी एक ट्वीट किया था। जिसमें कहा था कि कश्मीर में मानवाधिकार रिकॉर्ड लगातार सुधर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार ने एक ही कोशिश में कश्मीरियों की पहचान के संकट को खत्म कर दिया है। शेहला का साफ कहना है कि अब कश्मीर की नई पीढ़ी को संघर्ष के माहौल में बड़ा नहीं होना पड़ेगा।