हल्द्वानी एक्सक्लूसिव : देखिए डीएम साहब, यहां आपके आदेश को नहीं समाचार पत्रों में छपी खबरों को अधिमान देते हैं आपके अधिकारी, खबर पढ़कर लगा दिया 15 हजार रुपये का अतिरिक्त जुर्माना

हल्द्वानी। अब तक तो यही सुनते आए थे कि मीडिया में आने वाली खबरों पर प्रशासन और पुलिस त्वरित कार्रवाई करती है, लेकिन इससे दो…

हल्द्वानी। अब तक तो यही सुनते आए थे कि मीडिया में आने वाली खबरों पर प्रशासन और पुलिस त्वरित कार्रवाई करती है, लेकिन इससे दो कदम आगे बढ़ते हुए यहां के सोबन सिंह जीना बेस चिकित्सालय के प्रबंधन ने तो समाचार पत्र में छपी खबर के आधार पर तत्कालीन कैंटीन संचालक पर 15 हजार रुपये का अतिरिक्त जुर्माना लाद दिया। अब जब मामला आरटीआई में पहुंचा तो चिकित्सालय प्रशासन कह रहा है कि यदि अतिरिक्त 15 हजार रुपये जुर्माने के लिखित आदेश नहीं मिले तो यह रकम कैंटीन संचालक को लौटा दी जाएगी। मामला रोचक तो है ही सरकारी अधिकारियों व कर्मचारियों के काम काज के ढर्रे की भी बखिया उधेड रहा है।

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दरअसल घटना गत वर्ष अगस्त माह की है। तब बेस चिकित्सालय में जोशी इंटर प्राइजेज नामक फर्म पर भोजन बनाने का ठेका था। 9 अगस्त को इस कैंटीन में जिलाधिकारी सविन बंसल ने छापा मारा था। उन्होंने निरीक्षण के दौरान कैंटीन में गंदगी और खाना बनाने में रसोई गैस सिलेंडरों का इस्तेमाल होते पकड़ा था। इस पर उन्होंने कैंटीन संचालक पर 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाने के आदेश दिए थे।
साथ ही उन्होंने सिटी मजिस्ट्रेट, पूर्ति निरीक्षक, फूड इंस्पेक्टर और जिला सूचना अधिकारी गोविंद सिंह बिष्ट की एक संयुक्त टीम का गठन करके टीम को निर्देश दिए थे कि वह हर महीने में दो बार चिकित्सालय का निरीक्षण करेगी और व्यवस्थाओं में कमी पाए जाने पर संबंधित व्यक्ति पर जुर्माने की संस्तुति करेगी।
26 नवंबर 2019 को इस टीम ने चिकित्सालय का निरीक्षण किया और कैंटीन में व्यवस्थाओं में सुधार न होने पर 25 हजार रुपये के जुर्माने की संस्तुति कर दी। इस तरह कुल मिला कर कैंटीन संचालन कर रही जोशी इंटर प्राइजेज पर कुल 35 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया। लेकिन जब बेस चिकित्सालय प्रबंधन ने कैंटीन संचालकों के बिलों का भुगतान किया तो उसके देयकों से पचास हजार रुपये की कटौती कर ली गई। जब कैंटीन संचालक ने इस बारे में पूछताछ की तो पता चला कि समाचार पत्रों में छपी एक खबर में कुल पचास हजार रुपये के जुर्माने की खबर प्रकाशित हुई थी। इस वजह से उसके देयकों में से 15 हजार रुपये अतिरिक्त काटा जा रहा है।
इसके बाद 21 अक्टूबर को कैंटीन संचालक ने एक आरटीआई लगा कर अपने देयकों का हिसाब किताब मांगा तो लोक सूचना अधिकारी के एस दत्ताल ने इस जानकारी की पुष्टि की कि उनसे 15 हजार रुपये समाचार पत्रों में प्रकाशित खबरों के आधार पर काटे गए हैं। लेकिन अब बेस के कार्यालय में इन समाचारों की कोई कतरन नहीं है। इसके लिए उन्होंन अपर जिलाधिकारी को पत्र लिख पुराने आदेश की प्रति मांगी है।


हालांकि आरटीआई से मिली जानकारी में लोक सूचना अधिकारी ने यह भी लिखा है कि 15 हजार रुपये के जुर्माने की पुष्टि न होने पर उन्हें उनकी राशि वापस कर दी जाएगी। लेकिन सवाल यह है कि आरटीआई के माध्यम से यदि जानकारी न मांगी जाती तो यह राशि किस खाते में जाती।
एक और चीज लोक सूचना अधिकारी के हस्ताक्षरों व मोहर के साथ दी गई इस जानकारी में लिखा गया है कि सिटी मजिस्ट्रेट की अध्यक्षता वाली संयुक्त टीम ने 26 नवंबर 2020 को बेस चिकित्सालय का निरीक्षण किया और इस निरीक्षण में कैंटीन संचालक ने अपनी कार्यप्रणाली में परिवर्तन नहीं किया, इस वजह से उन पर 25 हजार रुपये का अर्थ दंड लगाया गया। हालांकि हम समझ रहे हैं कि यह एक मानवीय तकनीकी भूल है। लेकिन इससे एक और सवाल उठता है कि अधिकारी अपने हस्ताक्षर करने से पहले क्या आरटीआई जैसे जवाबों को पढ़ते भी नहीं हैं।


अब इस मामले को लेकर आरटीआई के माध्यम से चूना मांगने वाले सचिन जोशी ने सूचना से संतुष्ट न होकर प्रथम अपीलीय अधिकारी के समक्ष आवेदन किया है।

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