HomeUttarakhandAlmoraअल्मोड़ा: प्रसिद्ध जागेश्वर क्षेत्र में खोला जाए संस्कृत विद्यालय

अल्मोड़ा: प्रसिद्ध जागेश्वर क्षेत्र में खोला जाए संस्कृत विद्यालय

✍️ डीएम आलोक कुमार पांडे ने संस्कृ​त शिक्षा सचिव को लिखा पत्र
✍️ अल्मोड़ा जिले में सांस्कृतिक विकास के लिए शुरु की पहल

सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा: जिलाधिकारी आलोक कुमार पाण्डेय ने अल्मोड़ा की सांस्कृतिक पहचान बनाए रखने के लिए यहां की संस्कृति को संजोने एवं उसके विकास की दिशा में पहल शुरु कर दी है। इसी क्रम में उन्होंने संस्कृ​त शिक्षा सचिव को पत्र लिखकर प्रसिद्ध जागेश्वरधाम में संस्कृत विद्यालय खोलने का अनुरोध किया है। जिलाधिकारी की इस पहल से भविष्य में जागेश्वर में संस्कृत विद्यालय स्थापित होने की उम्मीद जगी है।

जिलाधिकारी आलोक कुमार पांडेय का कहना है कि अल्मोड़ा नगर की सांस्कृतिक पहचान के अनुरूप यहां संस्कृति को संजोए रखने के साथ—साथ संस्कृति के विकास के लिए सकारात्मक कदम उठने जरुरी हैं और उन्होंने कहा है कि कई पुरातन मंदिरों को समेटे अल्मोड़ा की सांस्कृतिक पहचान को जीवंत रखने के लिए यहां सांस्कृतिक गतिविधियों के विकास के लिए भी निरंतर कार्य किया जाना अनिवार्य हैं। इसी लक्ष्य के साथ जिलाधिकारी ने संस्कृत शिक्षा, उत्तराखंड शासन के सचिव दीपक कुमार को पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि जागेश्वर जैसे प्रसिद्ध धाम के समीप ही एक संस्कृत विद्यालय खोला जाए। उन्होंने कहा है कि यहां संस्कृत विद्यालय खोलने के लिए क्षेत्रीय जनता भी लंबे समय से मांग कर रही है। संस्कृत विद्यालय खुलने से क्षेत्रीय जनता की मांग की पूर्ति के साथ अल्मोड़ा की सांस्कृतिक विरासत को भी संजोए रखने में मदद मिलेगी। इस क्षेत्र में कोई भी संस्कृत विद्यालय नहीं होने से यहाँ के बच्चों को अन्य स्थानों में संस्कृत की पढ़ाई के लिए जाना पड़ता है।

उन्होंने पत्र में लिखा है कि जनपद अल्मोड़ा अन्तर्गत जागेश्वरधाम पौराणिक धार्मिक स्थल होने के कारण अटूट धार्मिक आस्था का केन्द्र है। जो देश विदेश के सैलानियों के आकर्षण का मुख्य केन्द्र है। इस धाम की नैसर्गिक सुंदरता अतुलनीय है। उन्होंने कहा है कि जागेश्वरधाम क्षेत्र में संस्कृत विद्यालय खुलने से यहां के बच्चों को संस्कृत की शिक्षा के​ लिए दूर अन्यत्र नहीं जाना पड़ेगा। उन्हें भी संस्कृत की उचित शिक्षा का अवसर प्रदान होगा। संस्कृत विद्यालय खुलने से जागेश्वरधाम के पौराणिक/धार्मिक महत्व के दृष्टिगत भविष्य में संस्कृत भाषा में शिक्षा प्राप्त करने के लिए यह स्थान एक महत्वपूर्ण केन्द्र बन सकता है। उन्होंने इस दिशा में आवश्यक कार्यवाही करने का अनुरोध किया है।

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