✒️ जन्म से दृष्टिबाधित, लेकिन कम नहीं हौंसला
📌 राष्ट्रीय दृष्टिहीन संघ का अतुलनीय योगदान
अल्मोड़ा। शारीरिक समस्या या अपंगता का अर्थ यह नहीं है कि इंसान अपना हौंसला खो दे। अल्मोड़ा के तीन दिव्यांग (दृष्टिहीन) बच्चों ने इस उक्ति को चरितार्थ किया है। खास बात यह है कि इन दृष्टिहीन बच्चों के हौंसले की काफी प्रशंसा हो रही है। गत दिवस अगस्त क्रांति के मौके पर जिन्होंने भी इन बच्चों के गायन को सुना, वह इनसे बहुत प्रभावित हुआ। दर्शकों ने बच्चों के हौंसले को सलाम किया। साथ ही इन बच्चों को उत्प्रेरित करने के लिए राष्ट्रीय दृष्टिहीन संघ की भी काफी सराहना हुई।
अल्मोड़ा की ऐतिहासिक जेल में हुआ कार्यक्रम
उल्लेखनीय है कि गत दिवस यहां अग्रस्त क्रांति दिवस यहां समारोहपूर्वक व धूमधाम से मनाया गया। सरकारी व प्रशासनिक स्तर पर तमाम कार्यक्रम हुए। इस दौरान अल्मोड़ा की ऐतिहासिक जेल में भी कई कार्यक्रम हुए। कार्यक्रम का शुभारंभ नेहरू वार्ड में पंडित जवाहरलाल नेहरू की तस्वीर का अनावरण एवं द्वीप प्रज्वलन के साथ हुआ था। इस दौरान तमाम स्कूली बच्चों ने भी कई प्रस्तुतियां दीं।
दृष्टिहीन नेहा आगरी, अफराज अहमद व श्याम सुंदर की प्रस्तुति
अगस्त क्रांति के मौके पर जिला जेल में दृष्टि बाधित कुमारी नेहा आगरी, अफराज अहमद तथा श्याम सुंदर लोहनी ने देशभक्ति गीतों की प्रस्तुति दी। इन दिव्यांगों को कार्यक्रम में सम्मलित कराने में राष्ट्रीयदृष्टि हीन संगठन के प्रदेश कार्य कारिणी सदस्य चन्द्र मणी भट्ट, स्वाति तिवारी व डा. जेसी दुर्गापाल का योगदान रहा।
राष्ट्रीय दृष्टिहीन संघ का अतुलनीय योगदान
इन दृष्टिहीन बच्चों को संरक्षण प्रदान करने व इनकी सहायता करने में राष्ट्रीय दृष्टिहीन संघ का अतुलनीय योगदार है। ज्ञात रहे कि दिव्यांग नेहा आगरी मनीआगर की रहने वाली है। वह जन्म से अंधी है। उसके पिता बसंत आगरी व माता कृषक हैं। दृष्टिहीन संघ द्वारा ही उसकी चिकित्सा की व्यवस्था की जा रही है। अफराज अहमद, राजपुरा अल्मोड़ा निवासी हैं। उन्होंने दृष्टिबाधित संस्थान देहरादून से ब्रेल लिपि व संगीत की ट्रेनिंग ली है। तीसरे दृष्टिबाधित श्याम सुंदर लोहनी जैंती, अल्मोड़ा के रहने वाले हैं। राष्ट्रीय दृष्टिहीन संघ को एक माह पहले से ही उनके बारे में पता चला और वह उसे अल्मोड़ा ले आये। अब इस बालक को वह संगीत की शिक्षा दे रहे हैं। इनके माता-पिता भी गांव में घरेलू कार्य करते हैं।
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