बड़ी खबर : RBI ने फिर दिया जोर का झटका, लोन लेना हुआ और महंगा

नई दिल्‍ली| रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास की अगुवाई में तीन दिन तक चली मौद्रिक नीति समिति (MPC) के नतीजे बुधवार सुबह सामने आ…

नई दिल्‍ली| रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास की अगुवाई में तीन दिन तक चली मौद्रिक नीति समिति (MPC) के नतीजे बुधवार सुबह सामने आ गए। गवर्नर दास ने बताया कि महंगाई के दबाव को देखते हुए एक बार फिर रेपो रेट में 0.35 फीसदी की वृद्धि की जा रही है। इस फैसले से आने वाले समय में होम, ऑटो, पर्सनल सहित सभी तरह के लोन महंगे हो जाएंगे।

रिजर्व बैंक ने आज लगातार पांचवीं बार रेपो रेट में वृद्धि की। इस साल पहली बार मई में रेपो रेट 0.50 फीसदी बढ़ाया था। इसके बाद से अब तक रेपो रेट में 1.90 फीसदी की वृद्धि हो चुकी है। आज की बढ़ोतरी से पहले प्रभावी रेपो रेट 5.90 फीसदी हो गया था। अब रिजर्व बैंक का प्रभावी रेपो रेट 6.25 फीसदी हो गया है। रेपो रेट वह दर होती है, जिस पर रिजर्व बैंक अन्‍य बैंकों को कर्ज देता है। जाहिर है कि अगर बैंकों के लिए आरबीआई से कर्ज उठाना महंगा होगा तो बैंक इसका बोझ आम आदमी पर भी डालेंगे।

महंगा हो जाएगा ग्राहकों को म‍िलने वाला लोन

रेपो रेट बढ़ने का सीधा असर बैंकों की तरफ से ग्राहकों को द‍िये जाने वाले लोन पर पड़ेगा। इससे कॉस्ट ऑफ बोरोइंग यानी उधारी की लागत बढ़ जाएगा। बैंकों को पैसा महंगा म‍िलेगा तो लोन की ब्‍याज दर में भी बढ़ोतरी होगी। बैंक इसका असर ग्राहकों पर डालेंगे। मंगलवार को वर्ल्‍ड बैंक ने चालू वित्त वर्ष 2022-23 के लिए देश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि दर के अनुमान को 6.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 6.9 प्रतिशत कर दिया है।

इससे पहले रिजर्व बैंक ने कोरोनाकाल में कर्ज का बोझ घटाने और आम आदमी को राहत देने के लिए रेपो रेट में बड़ी कटौती की थी। तब रेपो रेट को करीब 2.50 फीसदी घटाकर 4 फीसदी कर दिया गया था। कोरोनाकाल के बाद अब रिजर्व बैंक ने वापस रेपो रेट को बढ़ाना शुरू किया है। इसका सबसे बड़ा कारण महंगाई का दबाव है। सितंबर में खुदरा महंगाई की दर 7.4 फीसदी पहुंच गई थी, जो अक्‍टूबर में थोड़ा घटकर 6.7 फीसदी पर आ गई है। यही कारण है कि इस बार रेपो रेट में भी आरबीआई ने पहले के मुकाबले कम वृद्धि की है।

6 में से 4 ने दिया रेपो रेट बढ़ाने पर वोट

एमपीसी बैठक में शामिल 6 सदस्‍यों में से 4 सदस्‍यों ने रेपो रेट बढ़ाने के पक्ष में वोट किया है। उनका मानना था कि महंगाई के काबू में आने तक ब्‍याज दरों को ऊपर रखना जरूरी है। एमपीसी का लक्ष्‍य बुनियादी महंगाई को नीचे लाना है और इसकी आगे लगातार समीक्षा की जाएगी। अनुमान है कि अगले 12 महीने तक खुदरा महंगाई दर 4 फीसदी से ऊपर ही बनी रहेगी।

विकास दर अनुमान भी घटाया

बढ़ती महंगाई और खपत में गिरावट की वजह से रिजर्व बैंक को विकास दर का अनुमान भी घटाना पड़ा है। रिजर्व बैंक ने पहले चालू वित्‍तवर्ष के लिए विकास दर का अनुमान 7 फीसदी लगाया था, जो अब घटाकर 6.8 फीसदी कर दिया है। हाल में जारी दूसरी तिमाही के विकास दर आंकड़े भी सुस्‍त रहे हैं। दूसरी तिमाही में विकास दर 6.3 फीसदी थी, जो पहली तिमाही में 13 फीसदी से भी ऊपर गई थी।

रेपो रेट क्या है? | What is repo rate?

रेपो रेट वह दर है जिस पर क‍िसी भी बैंक को आरबीआई (RBI) की तरफ से कर्ज दिया जाता है। बैंक इसी के आधार पर ग्राहकों को कर्ज देते हैं। इसके अलावा रिवर्स रेपो रेट वह दर है जिस पर बैंकों की ओर से जमा राशि पर RBI उन्हें ब्याज देती है। आरबीआई के रेपो रेट बढ़ाने पर बैंकों के ऊपर बोझ बढ़ता है और इसकी भरपाई ब्‍याज दर बढ़ाकर बैंक ग्राहकों से करते हैं।

उत्तराखंड के युवक ने लिव इन रिलेशनशिप में रह रही युवती को उतारा मौत के घाट, काट दिए दोनों हाथ

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *