अल्मोड़ा : सुप्रसिद्ध पर्यावरण प्रेमी शेर सिंह जड़ौत पंचतत्व में विलीन
सरयू तट पर हुआ अंतिम संस्कार

78 वर्ष की आयु में त्यागे प्राण
पर्यावरण संरक्षण, स्वच्छता व शिक्षा को समर्पित रहा पूरा जीवन
सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा। क्षेत्र के सुप्रसिद्ध पर्यावरण प्रेमी, समाजसेवी व आदर्श शिक्षक शेर सिंह जड़ौत का आकस्मिक निधन हो गया है। उनका अंतिम संस्कार बुधवार को उनके गृह क्षेत्र शेराघाट स्थित सरयू नदी के तट पर किया गया।
उल्लेखनीय है कि अल्मोड़ा के वरिष्ठ पत्रकार रमेश जड़ौत के ताऊ शेर सिंह जड़ौत का मंगलवार सुबह 78 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वे बीते लंबे समय से बीमार चल रहे थे। स्व. शेर सिंह जड़ौत शिक्षा विभाग से सेवानिवृत्त थे। वे छाना जमराड़ी विकासखंड भैंसियाछाना जनपद अल्मोड़ा में प्राध्यापक के पद पर कार्यरत रहे। बेलवाल गांव, भैंसियाछाना विकासखंड के वे मूल निवासी थे।
उनके बड़े पुत्र शंकर सिंह जड़ौत जो कि एनएच रानीखेत में एई के पद पर कार्यरत हैं, घर आये थे। अपने पिता को वह उपचार के लिए हल्द्वानी ले जा रहे थे, लेकिन धौलछीना पहुंचने पर वाहन में उन्होंने प्राण त्याग दिया।
बुधवार को शेराघाट की सरयू नदी में उनकी पार्थिव देह का अंतिम संस्कार हुआ। शेर सिंह जड़ौत अपने पीछे पत्नी राधिका देवी, पुत्रगण मनोज सिंह जड़ौत व शंकर सिंह जड़ौत तथा विवाहित पुत्री पुत्री मंजू सिराड़ी का भरा—पूरा परिवार छोड़ गए हैं।
बताना चाहेंगे कि स्व. जड़ौत आजीवन सामाजिक कार्य में लगे रहे। शिक्षा व पर्यावरण के क्षेत्र में उनका उल्लेखनीय योगदान रहा। स्कूल में जो भी अधिकारी आता था इनकी सफाई व्यवस्था देख दंग रह जाता था। अपने पैसे से वह विद्यालय में रंग—रोगन कराया करते थे। उन्होंने क्षेत्र में बांज का जंगल भी अपने ही घर के पास विकसित किया था। बाद में बांज की नर्सरी भी विकसित की। पर्यावरण को लेकर उन्होंने चीड़ हटाओ बांज लगाओ का नारा भी दिया था।
उनके निधन पर तमाम लोगों ने गहरा दु:ख प्रकट किया है। हम सीएनई परिवार की ओर से शोक संतप्त परिजनों के प्रति हार्दिक संवेदना व्यक्त करते हैं। ईश्वर से प्रार्थना है कि वे मृतक की आत्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान दें।