16 साल बाद बाहुबली नेता और पूर्व सांसद आनंद मोहन सिंह की रिहाई

सहरसा | Jungle Raj Returns : जेल मैनुअल में बदलाव के बाद बिहार के बाहुबली नेता और पूर्व सांसद आनंद मोहन सिंह को गुरुवार सुबह…

सुप्रीम कोर्ट ने आनंद मोहन की रिहाई पर बिहार सरकार से मांगा जवाब

सहरसा | Jungle Raj Returns : जेल मैनुअल में बदलाव के बाद बिहार के बाहुबली नेता और पूर्व सांसद आनंद मोहन सिंह को गुरुवार सुबह 4 बजे ही सहरसा जेल से रिहा कर दिया गया। बताया जा रहा है कि भीड़ जमा होने की आशंका की वजह से यह रिहाई की गई। इसके लिए रात में ही सारी कागजी प्रक्रिया पूरी कर दी गई थी। DM जी कृष्णैया की हत्या के केस में उसे उम्रकैद की सजा हुई थी। 16 साल बाद उनकी रिहाई हुई है।

26 अप्रैल को उन्होंने 15 दिन की पैरोल खत्म होने के बाद सरेंडर किया था। पैरोल सरेंडर होते ही जेल में रिहाई की प्रक्रिया शुरू हो गई थी। वहीं, बाहुबली आनंद की रिहाई को भव्य बनाने की तैयारी है। जेल से बाहर निकलने के बाद वे 15 से 20 किमी तक रोड शो भी करेंगे।

DM को भीड़ ने पीटा था, फिर गोली मारकर हत्या की थी

गोपालगंज के जिलाधिकारी जी कृष्णैया 5 दिसंबर 1994 को हाजीपुर से गोपालगंज लौट रहे थे। इसी दौरान मुजफ्फरपुर में आनंद मोहन के समर्थक DM की गाड़ी को देखते ही उन पर टूट पड़े। पहले उन्हें पीटा गया, फिर गोली मारकर हत्या कर दी थी। आरोप लगा कि भीड़ को आनंद मोहन सिंह ने ही उकसाया था। घटना के 12 साल बाद 2007 में लोअर कोर्ट ने उन्हें दोषी ठहराते हुए फांसी की सजा सुनाई। आजाद भारत में यह पहला मामला था, जिसमें एक राजनेता को मौत की सजा दी गई थी। 2008 में हाईकोर्ट ने इस सजा को उम्रकैद में बदल दिया था। साल 2012 में आनंद मोहन सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में सजा कम करने की अपील की। कोर्ट ने उनकी इस मांग को खारिज कर दिया था।

अब समझिए आनंद की जल्द रिहाई क्यों हुई?

आनंद को हाईकोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी। इसके तहत उन्हें 14 साल की सजा हुई थी। आनंद ने सजा पूरी कर ली थी, लेकिन मैनुअल के मुताबिक, सरकारी कर्मचारी की हत्या के मामले में दोषी को मरने तक जेल में ही रहना पड़ता है। नीतीश सरकार ने इसमें बदलाव कर दिया। इसका संकेत जनवरी में नीतीश कुमार ने एक पार्टी इवेंट में मंच से कहा था कि वो आनंद मोहन को बाहर लाने की कोशिश कर रहे हैं। 10 अप्रैल को राज्य सरकार ने इस मैनुअल में बदलाव कर दिया।

आनंद मोहन समेत 27 दोषियों को सोमवार को रिहाई के आदेश जारी कर दिए गए। 3 और केस चल रहे हैं। इनमें उन्हें पहले से बेल मिल चुकी है।

नियम था: 26 मई 2016 को जेल मैनुअल के नियम 481(i) (क) में कई अपवाद जुड़े, जिसमें काम पर तैनात सरकारी सेवक की हत्या जैसे जघन्य मामलों में आजीवन कारावास भी था। नियम के मुताबिक ऐसे मामले में सजा पाया कैदी की रिहाई नहीं होगी और वह अपनी सारी उम्र जेल में ही रहेगा।

बदलाव किया: 10 अप्रैल 2023 को जेल मैनुअल से ‘काम पर तैनात सरकारी सेवक की हत्या’ अंश को हटा दिया गया। इसी से आनंद मोहन या उनके जैसे अन्य कैदियों की रिहाई का रास्ता साफ हुआ।

DM की बेटी, पत्नी ने फैसले को गलत बताया, हाईकोर्ट में PIL दाखिल

⏩ आनंद मोहन की रिहाई पर DM जी कृष्णैया की बेटी पद्मा ने नाराजगी जताई है। हैदराबाद में कहा कि बिहार सरकार को अपने इस फैसले पर दोबारा सोचना चाहिए। सरकार ने एक गलत उदाहरण पेश किया है। ये सिर्फ एक परिवार के साथ अन्याय नहीं है, बल्कि देश के साथ अन्याय है। उनकी बेटी ने रिहाई के खिलाफ अपील करने की भी बात कही है।

⏩ जी कृष्णैया की पत्नी ने कहा कि ऐसा वोट बैंक की राजनीति के लिए किया जा रहा है। पहले दोषी को फांसी की सजा हुई थी, फिर उसे उम्रकैद में बदल दिया गया। अब सरकार उसकी रिहाई करा रही है। ये बिल्कुल सही नहीं है।

⏩ दलित संगठन भीम आर्मी भारत एकता मिशन ने पटना हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की है। संगठन ने कहा कि सरकार ने अपराधियों को बचाने के लिए कानून में बदलाव कर गलत काम किया है।

⏩ IAS एसोसिएशन ने भी आनंद की रिहाई पर विरोध जताया है। एसोसिएशन का कहना है कि वे इसके खिलाफ कोर्ट जाएंगे।

⏩ आंध्र प्रदेश के IAS एसोसिएशन ने बिहार सरकार से अपने फैसले पर फिर से विचार करने की अपील की है।

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