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जश्न में खलल: दशकों के इतिहास में बिन जले वापस लौटा रावण का पुतला


— अल्मोड़ा पुतलों के जुलूस में दो पुतला समितियों के बीच झगड़ा

सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा
देश में जगह—जगह के साथ 05 अक्टूबर को सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा में भी पूरी भव्यता से दशहरा महोत्सव आयोजित हुआ, लेकिन इस भव्यता में एक बड़ा खलल आ गया। अल्मोड़ा के दशहरा महोत्सव के दशकों के इतिहास में शायद पहली बार हुआ, जब रावण का पुतला तो बना और घुमाया गया, लेकिन इसका दहन नहीं हुआ। इसकी वजह दो पुतला समितियों में जबर्दस्त झगड़ा व विवाद होना बताया गया है।

हुआ यूं कि नगर में हर साल की तरह इस बार भी रावण समेत रावण परिवार के करीब 22 कलात्मक व विशाल पुतले बनाए गए थे। जो जुलूस में शामिल होकर पूरी बाजार से गुजरे। लेकिन इन पुतलों को जुलूस में घुमाते वक्त बुधवार शाम चौक बाजार में दो पुतला समितियों के बीच विवाद ​छिड़ गया। देखते ही देखते यह विवाद मारपीट में तब्दील हो गया। जिससे अफरा—तफरी फैली।बाजार में मारपीट के बाद रावण पुतला समिति ने रावण के पुतले को आगे ले जाने से इंकार कर दिया। वह मारपीट के लिए दूसरे पक्ष के खिलाफ कार्यवाही की मांग पर अड़ गए। सूचना मिलने पर उप जिलाधिकारी गोपाल चौहान, प्रभारी निरीक्षक राजेश कुमार यादव व पुलिस बल ने मौके पर पहुंच कर दोनों को समझाया। समझाने के बाद बमुश्किल बाजार से रावण का पुतला देर रात आगे बढ़ा और जैसे—तैसे देर रात स्टेडियम पहुंचा, लेकिन रावण पुतला समिति के लोग पुतला दहन नहीं करने की जिद पर अड़ गए। फिर बहस शुरू हो गई। उनकी मांग थी कि शर्त के मुताबिक दूसरे पक्ष के लोग माफी मांगे। लेकिन ऐसा नहीं हुआ, तो उन्होंने रावण के पुतले का दहन नहीं किया और उसे वापस ले आए।

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