बरेली। पूर्वोत्तर रेलवे ने ग्राहकों की सेवा को सर्वोपरि मानते हुए अनेक सुधारात्मक कार्य किये हैं जिनका लाभ सीधे ग्राहकों को मिल रहा है।
अर्थव्यवस्था को नई गति प्रदान करने के लिए बेहतर, तीव्र, विश्वसनीय, संरक्षित एवं किफायती परिवहन सुविधा का होना बेहद आवश्यक है। इस दिशा में ग्राहकों को बेहतर सुविधा मिल सके तथा उनकी समस्याओं का त्वरित निस्तारण हो सके, इसके लिए हर स्तर पर ‘बिजनेस डेवलपमेंट यूनिट’ स्थापित की गयी है, जो कि व्यापारियों, किसानों एवं औद्योगिक प्रतिष्ठानों से मिलकर उनको रेलवे द्वारा दी जा रही सुविधाओं एवं छूट के बारे में अवगत करा रही है।
मालगाड़ियों को औसत गति जो कि लगभग 23 किमी. प्रति घंटा हुआ करती थी, उसे गत वित्त वर्ष में बढ़ाकर लगभग 46 किमी. प्रति घंटा किया गया था। हालांकि उस दौरान सवारी एवं मेल एक्सप्रेस ट्रेनें कम संख्या में चली थीं। इस वित्त वर्ष में जबकि ज्यादातर सवारी एवं मेल एक्सप्रेस ट्रेनें चल रही हैं, इसके बावजूद भी पूर्वोत्तर रेलवे पर गुड्स ट्रेनों की औसत गति निरन्तर 50 किमी. प्रति घंटा से ज्यादा रही है।
पूर्वोत्तर रेलवे इस दौरान ज्यादातर दिनों में गुड्स ट्रेनों की औसत गति के मामले में सम्पूर्ण भारतीय रेल पर प्रथम अथवा द्वितीय स्थान पर रहा है। मालगाड़ियों की औसत गति बढ़ाने के लिए पूर्वोत्तर रेलवे पर अनेक कार्य किये गये हैं जैसे कि जिन खण्डों में सेक्शनल स्पीड, निर्धारित क्षमता से कम थी, उसे बढ़ाया गया है। लूप लाइनों की गति सीमा को 15 किमी. प्रति घंटा से बढ़ाकर 30 किमी. प्रति घंटा किया गया है।
सिगनलिंग व्यवस्था बेहतर की गई है, क्रैक गुड्स ट्रेनों की संख्या बढ़ाई गई है। लोको पायलट, सहायक लोको पायलटों की नियमित काउन्सिलिंग की जाती है। इन ट्रेनों के संचलन की उच्च स्तरीय मॉनिटरिंग की जाती है। इन ट्रेनों की गति बढ़ने से इसका सीधा लाभ व्यापार से जुड़े लोगों, किसानों एवं छोटे उद्यमियों को मिल रहा है। सामान किफायती दर से कम समय में गन्तव्य स्थानों तक पहुंच जा रहा है तथा खाली वैगन पुनः लोडिंग के लिए जल्दी उपलब्ध हो जा रहे हैं।
पूर्वोत्तर रेलवे ग्राहकों की सेवा मुस्कान के साथ को चरितार्थ करने के लिए सदैव प्रतिबद्ध होने के साथ बेहतर परिवहन सुविधा मुहैया कराने की ओर निरन्तर अग्रसर है।