— राज्य स्तरीय कमेटी को भेजा पाठ्यक्रम
— स्थानीय विषय भी पाठ्यक्रम में शामिल
चन्दन नेगी, अल्मोड़ा
राष्ट्रीय शिक्षा नीति—2020 (National Education Policy 2020) को शिक्षा सत्र 2022—23 से लागू करने के लिए तैयारी चरम की ओर बढ़ने लगी है। उत्तराखंड में इसके लिए पाठ्यक्रम तैयार करने के लिए काफी समय से कसरत चल रही है। विश्वविद्यालयों ने अपने दायित्व का निर्वहन करते हुए पाठ्यक्रम तैयार कर उच्च स्तर को भेजा है और अब इसे प्रदेश स्तरीय कमेटी अंतिम रूप देगी। पाठ्यक्रम तैयार करने में सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय अल्मोड़ा ने भी अहम् भूमिका निभाई है। इस विश्वविद्यालय को दर्जनभर विषयों का पाठ्यक्रम तैयार करने का जिम्मा सौंपा गया था। (आगे पढ़ें)
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को अगले शिक्षा सत्र से लागू करने का लक्ष्य है। इसके लिए उत्तराखंड प्रदेश में करीब तीन माह पूर्व से तैयारी चल रही है। राज्य में माह अक्तूबर, 2021 में कुमाऊं विश्वविद्यालय के कुलपति की अध्यक्षता में सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय अल्मोड़ा समेत दून विश्वविद्यालय, श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय, उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय व कुमाऊं विश्वविद्यालय की एक कमेटी बनाई गई। इस कमेटी को यूजीसी की गाइड लाइन के अनुसार राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत स्नातक स्तर का सैलेबस तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपी गई।
अल्मोड़ा विवि का योगदान(आगे पढ़ें)
यह पाठ्यक्रम तैयार करने में सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय अल्मोड़ा भी अहम् योगदान दे रहा है। दरसल, इसके लिए बनी राज्य स्तरीय कमेटी ने सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय को 12 विषयों का सैलेबस तैयार करने का दायित्व सौंपा। सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय को दर्जनभर विषयों का सैलेबस तैयार करने का कार्य सौंपा। ये विषय हैं— डिफेंस स्टडीज, ड्राइंग एंड पेंटिंग, भूगोल, इतिहास, आईटी, संगीत, राजनीति शास्त्र, समाज शास्त्र, योगा, सांख्यिकी, शिक्षा शास्त्र व कुमाउनी भाषा। इसके बाद कुलपति प्रो. एनएस भंडारी के निर्देशन में विश्वविद्यालय इस कार्य में जुट गया। इसके लिए सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय में एक कमेटी बनाई गई। जिसके समन्वयक प्रो. शेखर चंद्र जोशी व सह समन्वयक डा. भाष्कर चौधरी रहे। पूरी टीम ने कड़ी मेहनत कर यह सैलेबस तैयार किया है। जिसे राज्य स्तरीय कमेटी के अध्यक्ष को भेज दिया गया है।
क्या कहते हैं कुलपति(आगे पढ़ें)
सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एनएस भंडारी ने ‘सीएनई’ को बातचीत में बताया कि पाठ्यक्रम तैयार करने में यूजीसी की गाइड लाइन का पूरा ध्यान रखा जाना था और खास बात ये है कि इसमें सैलेबस बना रहे विश्वविद्यालय को 20 से 30 फीसदी स्थानीय जरूरतों के मुताबिक विषयों/पाठ्य सामग्री को पाठ्यक्रम में शामिल करने की छूट दी गई है। उन्होंने बताया कि इस मामले में उच्च शिक्षा विभाग ने भी अपने स्तर से कुछ दिशा—निर्देश जारी किए। इनका भी पूरा ध्यान रखा गया है।कुलपति प्रो. भंडारी ने बताया विश्वविद्यालय की कमेटी ने पाठ्यक्रम तैयार करने का काम अपने स्तर से पूरा कर लिया है और सभी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद सैलेबस को राज्य स्तरीय कमेटी के अध्यक्ष को प्रेषित कर दिया है। उन्होंने बताया कि अब प्रदेश स्तरीय कमेटी इस पर विचार करेगी और आवश्यक संसोधन करते हुए राज्य के लिए सैलेबस तैयार करेगी।
नई नीति में कुछ खास(आगे पढ़ें)
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में कई नई, सुविधाजनक व लाभदायी व्यवस्थाएं की गई हैं। जिसमें मौजूदा जरूरत को समझते हुए व्यावसायिक शिक्षा को खास तवज्जो दी गई है। पालिसी के अनुसार वर्ष 2025 से 2030 तक करीब 50 प्रतिशत पाठ्यक्रम व्यावसायिक शिक्षा में बदल जाएगा। एक खास बात ये भी है कि अब विश्वविद्यालय में पढ़ा कोई भी साल बर्बाद नहीं होगा यानी पहले स्नातक या परास्नातक स्तर पर यदि कोई विद्यार्थी अधूरी पढ़ाई छोड़ देता था, तो उसका यह समय व्यर्थ चला जाता था। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। अब व्यवस्था है कि डिग्री कोर्स करते हुए पहले वर्ष की पढ़ाई पूरी करने पर उसे सर्टिफिकेट, दो वर्ष की पढ़ाई पर डिप्लोमा और पूरा कोर्स करने पर डिग्री मिलेगी। इसके अलावा अब एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट की व्यवस्था रहेगी। इसमें हर विद्यार्थी का हर साल के अंकों का डाटा सुरक्षित रहेगा, ताकि अधूरी पढ़ाई छोड़ने के कुछ समय बाद भी उसका यह डाटा उसकी फिर से आगे की पढ़ाई के काम आ सकेगा।
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