प्रतिभा का जादू: गरीब बच्चे—बेशकीमती हुनर, शिक्षा महानिदेशक भी हुए मुरीद

—बागेश्वर के इस विद्यालय के प्रधानाध्यापक सहित शिक्षकों के प्रयास लाए रंग—नन्हे बच्चों ने क्राफ्ट कला में भी दिखाई रचनात्मकतादीपक पाठक, बागेश्वरअगर दृढ़ इच्छा शक्ति…

—बागेश्वर के इस विद्यालय के प्रधानाध्यापक सहित शिक्षकों के प्रयास लाए रंग
—नन्हे बच्चों ने क्राफ्ट कला में भी दिखाई रचनात्मकता
दीपक पाठक, बागेश्वर
अगर दृढ़ इच्छा शक्ति हो, तो सफलता करीब होती है। ऐसा ही कुछ जिले के जूनियर हाईस्कूल करुली के छोटे बच्चों ने कर दिखाया है। इन बच्चों ने सुलेख के जरिये ही वाहवाही लूट डाली है और यह बात यहां सुर्खियों में है। बच्चों ने ऐसी लिखावट कर डाली कि यह काम शासन से लेकर विभागीय अधिकारियों को भा गई और तारीफों का सिलसिला चल पड़ा है। यहां तक कि शिक्षा महानिदेशक बंशीधर तिवारी ने बच्चों की पहल को अपने फेसबुक में पोस्ट करते हुए बच्चों व संबंधित शिक्षकों की प्रशंसा की है।

गौरतलब है कि सरकार शिक्षा सुधार के लिए अभिनव प्रयास कर रही है। जिसके तहत कई योजनाएं संचालित हैं। इसके लिए कई शिक्षक अभिनव प्रयोग में जुटे हैं। तो कहीं एक शिक्षक अतिरिक्त कार्यों के बोझ तले दबा है, तो कुछ शिक्षक छात्रों की बेहतरी के लिए प्रयासरत हैं। ऐसे एक प्रयास से जिले का जूनियर हाईस्कूल करुली बेहतरी के लिए चर्चा में आ रहा है। इस विद्यालय के प्रधानाध्यापक नरेंद्र गिरी गोस्वामी ने अपने फेसबुक वाल पर पोस्ट डाली। जिसमें विद्यालय में कराए जा रहे नवाचार का प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन के जरिये बच्चों का राइटिंग कंपटीशन में अपने हुनर का जादू दिखाया है। इसकी वीडियो व सुलेख में लिखावट देखी जा सकती है। इतना ही नहीं इसके अलावा चीड़ की लकड़ी, फल, छाल से अनेक प्रकार की आकर्षक वस्तुएं बच्चों ने तैयार कर डाले हैं। जो रचनात्मकता का जीता—जागता नमूना है। स्कूल का बगीचा भी फूल और सब्जियों से भरा हुआ है। सोशल मीडिया पर यह पोस्ट आने के बाद चर्चा का विषय बनी हुई है। जिस पर शिक्षा जगत के आला अधिकारियों की भी नजर पड़ रही है और विद्यालय की सराहना हो रही है।

बच्चे गरीब, हुनर महंगा

करुली जूनियर हाईस्कूल में 32 छात्र-छात्राएं हैं। अधिकतर बच्चे गरीब परिवारों से हैं, जबकि क्षेत्र के अधिकतर बच्चे प्राइवेट स्कूलों में पढ़ते हैं। विद्यालय के फर्नीचर आदि की व्यवस्था ग्राम प्रधान और अभिभावकों की है। प्रधानाध्यापक ने बताया कि वे वर्ष 2018 में विद्यालय में आए। वहां छात्र संख्या दस थी। पांच रुपये की पेन से बच्चे लिखते हैं। बाजार में इंक नहीं मिलने के कारण दिक्कत होती है। शिक्षक बसंती गोस्वामी, देव सिंह कोरंगा बच्चों का सुलेख सुधारने में जुटे हैं।

शिक्षा महानिदेशक भी मुरीद

शिक्षा महानिदेशक वंशीधर तिवारी ने राजकीय जूनियर हाईस्कूल करूली ने शिक्षक नरेंद्र गिरी गोस्वामी द्वारा नवाचारी शिक्षा के तहत विद्यालय में कराई जा रही राईटिंग प्रतियोगिता के साथ चीड़ क्राफ्ट बनाने की विधि की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे अभिनव प्रयोग बच्चों को जहाँ प्रतिस्पर्धी बनाते है वही उन्हें शिक्षा के साथ साथ स्वरोजगार की दिशा में भी जोड़ते है। उन्होंने विद्यालय के प्रधानाध्यापक नरेंद्र गिरी सहित शिक्षक देव सिंह कोरंगा व बसती गोस्वामी तारीफ करते हुए उन्हें और बेहतर कार्य करने के लिए हौसला अफजाई की।

03 घण्टे अतिरिक्त पढ़ाई

जूनियर हाईस्कूल करूली के प्रधानाध्यापक नरेंद्र गिरी गोस्वामी ने बताया कि विद्यालय में बच्चों को विषयों की पढ़ाई के अतिरिक्त लेखन व क्राफ्ट के लिए 2-3 घण्टे रोज अतिरिक्त समय देते है। इसका परिणाम ये है कि हिंदी, अंग्रेजी और बोल्ड राइटिंग में बच्चे दक्ष बन रहे हैं। शुरुआत में बच्चों को भी बोझिल लगने लगा, लेकिन जब बच्चों की लिखवाट व क्राफ्ट की तारीफ होने लगी, तो बच्चे स्वयं विद्यालय में रुकने लगे।

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