हल्द्वानी। क्लिनिकल साइकोलोजिस्ट डा. नेहा शर्मा का कहना है कि मन के रोगों में साइकलोजिकल उपचार काारगर है। क्योकि यदि व्यक्ति साइकोलोजिकली स्वस्थ्य है तो उसको शारीरिक व मानसिक रोग ज्यादा समय तक परेशान नहीं कर सकते हैं। मानसिक रोगों के प्रकार, लक्षण व उपचार इस प्रकार समझ सकते हैं।
1. एंग्जाइटी पेनिक अटैक — चिंता के दौरे : अचानक घबराहट, धड़कनें तेज होनो, पसीना आना, छाती में बवाब , गला बंद होना, सांस लेने में परेशानी, नींद न आना, बेचैनी इतनी बढ़ना कि मृत्यु का डर। जरूरी नहीं है कि यह लक्ष्ज्ञण घातक बीमारी के हों यह लक्षण एंग्जाइटी पेनिग अटैक के हो सकते हैं। यह एक मन का रोग है। व पूर्णत: मनोवैज्ञानिक समस्या है।
2. डिप्रेशन: उदासी, थकान, तनाव, चिड़चिड़ापन, मन न लगाना, आत्महत्या के विचार, अत्यधिक रोना, मांसपेशियों में तनाव,भूख न लगना, वजन गिरना, नींद की कमी या अधिकता, याददाश्त, आत्मविश्वास व एकाग्रता में भारी कमी।
3. मेनिया: गुस्सा, चीखना, मारपीट, गालगलौज, अधिक पैसा खर्च करना, अधिक बोलना, जिद करना, बढ़चढ़ कर बोलना, नए नए दोस्त बनाना, अपने अंदर दैवीय शक्ति समझना।
4. आबसेसिव कंपलसिव डिसआर्डर —(ओसीडी) : एक ही विचार का बार बार आना, जैसे— गंदगी के भयानक रोगों, ताला बार बार चैक करना, हाथ धोना, बार बार चीजों को उठाना और रखना, गैस खोलना व बंद करना, आगे बढ़ना व पीछे हटना, बार बार गिनती गिनना आदि।
5. साइकोसोमेटिक डिसआर्डर: मन के प्रभाव से शरीर में उत्पन्न रोग, जैसे शारीरिक लक्षण होना व सभी जांचों के बाद भी कोई बीमारी न निकलना। मन के विचारों का शरीर के रोगों द्वारा बाहर निकलना, हाथ पैरों मं दर्द होना, पेट में अचानक दर्द होना, उल्टभ् व चक्कर आना, शरीर के किसी भी हिस्से में तेज दर्द आदि।
6 बच्चों के व्यवहारिक रोग : चंचलता, एकाग्रता की कमी, याद न होना, पढ़ने में मन न लगना, बिस्तर में पेशाब करना, नींद में बोलना, अधिक शैतानी करना, भूल जाना, बहाने बनाना, गुस्सा व जिद करना, झूठ बोलना, सोशल मीडिया का एडिक्शन, डर लगना, आत्मविश्वास की कमी, कैरियर समस्या।
7: नशे की लत पड़ना : शराब, चरस, स्मैक आदि सभी प्रकार के मादक पदार्थों का सेवन करना।
8 वैवाहिक जीवन संबंधित समस्याएं : लड़ाई झगड़े, एक दूसरे की बातें न मानना, शक करना, इगो प्राब्लम, मन की बात न बताना, आपसी मतभेद व आपसी रिलेशनशिप में समस्या।
उपचार : डा. नेहा शर्मा ने जटिल रोगों को ठीक करने के अपने अनुभव से बताया कि इस प्रकार के तमाम जटिल मानसिक रोगों को जड़ से मनोवैज्ञानिक चिकित्सा द्वारा पूर्णत: ठीक किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि 25 —30 वर्ष पुराने रोगियों को भी साइकोलॉजिकल उपचार देकर पूर्णरूप से ठीक किया है। उन्होंने बताया कि ऐसे रोगियों को कुछ साइकोलॉजिकल टेस्ट जैसे काउंसिंलिंग, साइको थैरेपी, विहैवियर थैरेपी, कौगनेटिव थैरेपी, हिप्नो थैरेपी, रिलेक्शेसन थैरेपी व मनोवैज्ञानिक काउसिंलिंग द्वारा भी उपचारित किया जा सकता है।