ALMORA NEWS: गैरसैंण में आंदोलनकारियों पर लाठीचार्ज से उबाल, जनवादी संगठनों ने विरोध में फूंका सरकार का पुतला, उलोवा ने कड़ी निंदा की

सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ागैरसैंण में आंदोलनकारियों पर लाठीचार्ज किए जाने से यहां जनवादी संगठनों में आक्रोश फैल गया। जनवादी संगठनों ने बर्बर लाठीचार्ज के विरोध में…

सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा
गैरसैंण में आंदोलनकारियों पर लाठीचार्ज किए जाने से यहां जनवादी संगठनों में आक्रोश फैल गया। जनवादी संगठनों ने बर्बर लाठीचार्ज के विरोध में नारेबाजी कर प्रदर्शन किया और ​राज्य सरकार का पुतला फूंका।
घाट नंदप्रयाग के आंदोलनकारी ग्रामीणों पर गैरसेंण में लाठीचार्ज के विरोध में जनवादी संगठनों से जुड़े लोग यहां चौघानपाटा में जुटे। जहां उन्होंने सभा कर आंदोलनकारियों पर बर्बर लाठीचार्ज के लिए प्रदेश सरकार को जमकर कोसा और नारेबाजी की। सभा में वक्ताओं ने कहा कि लाठीचार्ज करके सरकार ने जनता की मांगों और आंदोलनों के प्रति असंवेदनशील होने का परिचय दिया है। वक्ताओं ने कहा कि ये डबल इंजन की सरकार अपनी दमनकारी नीतियों में डबल है, जनता की पीड़ा से सरकार को कोई सरोकार नहीं है। उन्होंने कहा कि लगातार बढ़ती महंगाई से जनता त्रस्त है। आरोप लगाया कि उत्तराखंड की सरकार जनांदोलनों के दमन के मामले में केंद्र की मोदी सरकार के पदचिन्हों पर चल रही है। वक्ताओं ने कहा कि समय आने पर राज्य की जनता इसे माक़ूल जबाब देगी। विरोध कार्यक्रम में जनवादी नौजवान सभा के यूसुफ तिवारी, सीटू के आरपी जोशी, किसान सभा के दिनेश पांडे ने संबोधित किया। कार्यक्रम में इनके अलावा अरुण जोशी, स्वपनिल पांडे, मुमताज़ अख्तर, एडवा की सुनीता पांडे आदि ने भाग लिया।
उलोवा ने भी की कड़ी निंदा: उत्तराखंड लोक वाहिनी ने भी गैरसैण में आंदोलनकारियों खासकर महिला आन्दोलनकारियों पर लाठीचार्ज किए जाने की कड़ी निंदा की है। वाहनी के महासचिव पूरन चन्द्र तिवारी ने कहा कि जनता राज्य आन्दोलन के दौर से ही गैरसैण को पूर्ण राजधानी बनाने की मांग करती आ रही है, परन्तु बारी—बारी से राज्य में राज करने वाली सरकारों ने गैरसैण को सैर—सपाटे की जगह बना दिया है। राज्य के लोग सड़क जैसी मूलभूत समस्या के लेकर आन्दोलन कर रहे हैं। जिन पर लाठीचार्ज कर दिया जा जाता है। जो बेहद दुखद स्थिति है। उन्होंने कहा कि राज्य में चारघाम यात्रा व आलवेदर रोड बन रही हैं, लेकिन जनता की जरूरतों को नजरअन्दाज किया जा रहा है। जो बेहद निदंनीय है। उन्होंने राज्य व राजधानी के आन्दोलनकारियों पर दर्ज मुकदमों को वापस लेने की मांग की है।

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