हल्द्वानी | अयोध्या राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा हो चुकी है, हजारों की संख्या में रोजाना मंदिर में भक्त दर्शन के लिए आ रहे हैं। इतिहास और जानकारों की माने तो अयोध्या में जिस जगह पर श्रीराम का भव्य मंदिर बन कर तैयार हुआ है, वहां पर वर्ष 22 जनवरी 1949 में भगवान रामलला की मूर्ति प्रकट हुई थी और कुछ लोगों ने उसको मस्जिद का नाम दिया था लेकिन तत्कालीन उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पंडित गोविंद बल्लभ पंत के दृढ़ संकल्प ने विवादित जगह से मूर्ति को नहीं हटने दिया और आज भव्य मंदिर बनकर तैयार हो चुका है।
जानकारों की माने तो पंडित गोविंद बल्लभ की दृढ़ शक्ति और प्रधानमंत्री मोदी का संकल्प का नतीजा है कि आज अयोध्या में भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर बनाकर तैयार है। गौर हैं कि पंडित गोविंद बल्लभ पंत, संयुक्त प्रांत के प्रधानमंत्री 1937-1939, यूपी के पहले मुख्यमंत्री 1947-1954 को तात्कालिक प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने गोविंद बल्लभ पंत को विवादित जगह से मूर्ति हटाने के टेलीग्राफिक संदेश और निर्देश के बाद भी उन्होंने अपना दृढ़ संकल्प को नहीं बदला और उस स्थान से रामलला की मूर्ति को नहीं हटाया।
पंडित गोविंद बल्लभ पंत को बेहतर कार्य शैली और बेहतर प्रशासक के रूप में जाने जाते थे जिसके चलते उनको भारत रत्न की उपाधि दी गई। वहीं वर्ष 2021 में उसी स्थान पर अयोध्या में रामलला का आशीर्वाद लेने के लिए पंडित पंत की पुत्रवधू नैनीताल लोकसभा के पूर्व सांसद सुश्री इला पंत और उनके पोते सुनील मंदिर जाकर रामलला की दर्शन भी कर चुके हैं। भारत रत्न पंडित गोविंद बल्लभ की विकास कार्यों और बेहतर प्रशासन के तौर पर जाने जाते थे जिसका नतीजा है कि आज करोड़ देशवासियों गोविंद बल्लभ पंत को याद करते हैं। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गोविंद बल्लभ पंत की बहू पूर्व नैनीताल सांसद सुश्री इला पंत जी को भगवान श्री राम की प्रतिमा देकर सम्मानित भी कर चुके हैं।