—जिले में आधे—अधूरे स्टाफ के बूते खिंच रही स्वास्थ्य महकमे की गाड़ी
सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा
पहाड़ी क्षेत्र में बेहतर स्वास्थ्य की सुविधा की दरकार काफी समय से चली आ रही है। पिछले कई सालों से भले ही बेहतर स्वास्थ्य सुविधा देने के दावे शासन—प्रशासन की ओर से होते रहे हैं, लेकिन हालात इन दावों के उलट ही हैं। बेहतर स्वास्थ्य सुविधा का इंतजार अभी चल ही रहा है। पहाड़ में स्वास्थ्य सुविधाओं की हालात का अंदाजा महज अल्मोड़ा जिले की स्थिति से लगाया जा सकता है। यहां तो मैन पावर के टोटे ने ही स्वास्थ्य महकमे को अपंग सा बना दिया है। हालत ये है कि आधे—अधूरे स्टाफ से स्वास्थ्य की गाड़ी खिंच रही है। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार अल्मोड़ा जनपद की जनसंख्या 6,22,506 है और वर्तमान में जिले में करीब 121 चिकित्सक हैं। इस अनुसार जिले में 5,144 की आबादी के लिए मात्र एक चिकित्सक तैनात है जबकि स्वीकृत पदों के अनुसार 2,169 की आबादी पर एक चिकित्सक होना चाहिए।
अल्मोड़ा जनपद में स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों पर नजर फेरी जाए, तो दशा बेहद सोचनीय नजर आती है। आंकड़ों के मुताबिक जिले में चिकित्सकों के कुल 287 पद स्वीकृत हैं और हालत ये है कि इनमें से आधे से अधिक पद खाली पड़े हैं। जिले में डाक्टरों के रिक्त पदों की संख्या 166 है। इसी प्रकार जनपद में स्टाफ नर्स के 260 स्वीकृत पदों के सापेक्ष डेढ़ सौ से अधिक पर खाली हैं। हर संवर्ग के पदों का टोटा स्वास्थ्य महकमे में चल रहा है और ये स्थिति काफी वक्त से चली आ रही है। जनपद में 179 फार्मासिस्टों के सापेक्ष 33 फार्मासिस्ट कम हैं। एएनएम के स्वीकृत 251 पदों में से 110 पद रिक्त चल रहे हैं। मैनपावर का ढर्रा इस तरह गड़बड़ाया है कि विभाग चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों व स्वच्छकों के पद तक पूरे नहीं भर सका है। जिले में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के 173 स्वीकृत पदों के सापेक्ष 75 पद और स्वच्छकों के 99 स्वीकृत पदों के सापेक्ष 56 पद खाली पड़े हैं। इस मामले पर सीएमओ डा. आरसी पंत का कहना है कि विभाग में विभिन्न पदों की रिक्तता चल रही है, जिससे अड़चनें आना स्वाभाविक है। इसके बावजूद बेहतर सुविधा देने का प्रयास किया जा रहा है और कोरोना काल में स्वास्थ्य विभाग ने बेहतर कार्य किया है।
मशीनें फांक रहीं धूल
अल्मोड़ा जिला मुख्यालय पर स्थित जिला अस्पताल व बेस अस्पताल समेत आधा दर्जन अन्य अस्पतालों में एक्सरे मशीन की सुविधा है, लेकिन इनमें से 03 जगहों टेक्निशियनों के अभाव में ये मशीनें धूल फांक रही हैं। यहां बेस अस्पताल में 99 वेंटिलेटर तकनीशियनों के अभाव में शो—पीस बने हैं, जबकि इनके संचालन के लिए कुछ स्टाफ को प्रशिक्षित भी किया जा चुका है। बेस अस्पताल में एनआईसीयू की व्यवस्था है, तो रानीखेत नागरिक चिकित्सालय में आईसीयू वार्ड है, लेकिन संबंधित चिकित्सकों का टोटा है। इतना ही नहीं स्वास्थ्य महमे में जगह—जगह कमी पर कमी खल रही है। जिले के धौलछीना अस्पताल में एंबुलेंस के साथ ही ऑक्सीजन कंसनट्रेटर, आक्सीजन सिलेंडर का इंतजाम तो है, मगर वेंटिलेटर नहीं। कई ग्रामीण अस्पताल वेंटिलेटर सुविधा का इंतजार ही कर रहे हैं। अजीबोगरीब स्थितियां स्वास्थ्य महकमे की व्यवस्था पर प्रश्नचिह्न लगा रहे हैं। जिले प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भतरौंजखान में 04 डाक्टरों समेत एक दर्जन लोगों का स्टाफ है, लेकिन बैडों की संख्या मात्र चार। यह स्थितियां स्वास्थ्य सुविधाओं की हालात को साफ बयां कर रही हैं।