Almora : पुलिस कार्यालय की नेम प्लेट पर अब उत्तराखंडी लोक कला ऐपण के दर्शन

एसएसपी अल्मोड़ा शानदार पहल सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा उत्तराखंड की लोक कला ऐपण को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अल्मोडा पंकज भट्ट ने…

  • एसएसपी अल्मोड़ा शानदार पहल

सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा

उत्तराखंड की लोक कला ऐपण को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अल्मोडा पंकज भट्ट ने एक शानदार और नवीन पहल की है। दीपावली के अवसर पर पुलिस कार्यालय के समस्त शाखाओं को ऐपण से निर्मित नेम प्लेटों से सजाया गया है, जो काफी आकर्षक लग रहे हैं।

उल्लेखनीय है कि यह नेम प्लेट पुलिस परिवार की बालिका मीनाक्षी आगरी द्वारा बनाई गई है। एसएसपी की पहल इसलिए भी प्रशंसनीय है कि इससे जहां एक ओर ऐपण को बढ़ावा मिल रहा है, वहीं कुछ लोगों को स्वरोजगार भी प्राप्त हो रहा है। सिर्फ एसएसपी कार्यालय ही नहीं, बल्कि पारम्परिक उत्तराखंड की अमूल्य धरोहर लोककला ऐपण को बढ़ावा देने हेतु ऐपण से बनी नेम प्लेटो से जनपद के सभी थानों को भी सजाया जायेगा।

देवभूमि उत्तराखंड जो कि अपनी विशिष्ट संस्कृति एवं कलाकृतियों हेतु विश्व भर में प्रसिद्ध है, इन्ही संस्कृतियों में ” AIPAN (ऐपण) “ भी एक प्रमुख कला है। जिसका प्रत्येक कुमाऊँनी घर में एक महान सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व है।

यहां यह भी उल्लेखनीय है कि ऐपण शब्द संस्कृत शब्द ‘अर्पण’ से बना है। उत्तराखंड में मांगलिक कार्यों पर घर की दीवारों, आंगन, देहलियों,पूजा स्थलों में ऐपण देखने को मिलते हैं। ‘अर्पण’ अथवा ‘अल्पना’ भारत के उत्तरी हिमालयी राज्य देवभूमि उत्तराखंड की सर्वाधिक प्राचीन तथा पौराणिक लोककलाओं में से एक है। अपनी समृद्धशाली सांस्कृतिक विरासत, अनमोल परंपराओं व आलौकिक कर्मों में, लोककला ऐपण का महत्वपूर्ण योगदान सदा से रहा है। किसी भी त्यौहार, मांगलिक अवसर पर भूमि व दीवार पर चावल, गेरू, हल्दी, जौ, मिट्टी, गाय के गोबर, रोली अष्टगन्ध से बना कर रेखांकित की गई आकृति जो देवों के आह्वान को दर्शाती है, को ऐपण कहा जाता है।

ऐपण का अर्थ लीपने से होता है और लीप शब्द का अर्थ अंगुलियों से रंग लगाना है। पारम्परिक उत्तराखंड की अमूल्य धरोहर लोककला ऐपण को मुख्य द्वार की देहली तथा विभिन्न अवसरों पर पूजा विधि के अनुसार अथवा अनुष्ठान के मुताबिक देवी – देवता के आसान, पीठ, भद्र आदि अंकित करते हैं। जिनमें शिव पीठ, लक्ष्मी पीठ, आसन, लक्ष्मी नारायण, चिड़िया चौकी, नव दुर्गा चौकी, आसन चौकी, चामुंडा हस्त चौकी, सरस्वती चौकी, जनेऊ चौकी, शिव या शिवचरण पीठ, सूर्य दर्शन चौकी, स्यो ऐपण, आचार्य चौकी, विवाह चौकी, धूलिअर्घ्य चौकी, ज्योति पट्टा हैं।

लक्ष्मी के पैरो के बिना ऐपण अधूरे माने जाते है। अनामिका और मध्यमा उँगलिओं को बिस्वार (चावल के आटे) में डुबोकर जमीन पर लिपे लाल गेरू (मिट्टी) पर शुभ और मांगलिक कार्यों मे महिलाओं द्वारा उकेरा जाता है।भारतवर्ष के प्रमुख त्यौहार दीपावली में ऐपण का विशेष महत्व है। दीपावली महापर्व पर ऐपण घरों की देहलियों पर, मंदिरों में, सीढ़ियों में लक्ष्मी जी के पैर विशेष रूप से बनाये जाते है। इस प्राचीन गौरवशाली परंपरा को कायम रखने के लिए निश्चित रूप से एसएसपी अल्मोड़ा का प्रयास अत्यंत सराहनीय है।

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