भतीजी ने समझाया, दंपत्ति ने त्यागा कलबिष्ट मंदिर में पशु बलि का निर्णय

अल्मोड़ा। मंदिरों में पशु बलि को छोड़ लोग अब सात्विक पूजा के प्रति जागरूक हो रहे हैं। इसी क्रम में गैराड़ स्थित कलबिष्ट मंदिर में…

कलबिष्ट मंदिर

अल्मोड़ा। मंदिरों में पशु बलि को छोड़ लोग अब सात्विक पूजा के प्रति जागरूक हो रहे हैं। इसी क्रम में गैराड़ स्थित कलबिष्ट मंदिर में मांगी गई मनौती पूरी होने पर ग्राम पिठौनी के धन सिंह रौतेला ने पशु बलि का निर्णय त्याग नारियल व धूप-दीप से सात्विक पूजा-अर्चना की। दंपत्ति को समझाने में उनके ही परिवार की भतीजी शिवानी रौतेला ने बड़ी भूमिका का निर्वहन किया।

पशु बलि का निर्णय त्यागने वाला रौतेला परिवार

दरअसल, ग्राम पिठौनी, पोस्ट किरोड़ा, अल्मोड़ा के धन सिंह रौतेला व कमला रौतेला बहुत पहले गैराड़ स्थित कलबिष्ट मंदिर में मनौती मांगी थी कि मनोकामना पूरी होने पर वह बकरे की बलि देंगे। इस दौरान उच्च न्यायालय का पशुबलि पर पूर्ण रोक संबंधी आदेश आ गया।

यहां यह उल्लेखनीय है कि रौतेला दंपत्ति की भतीजी कुमारी शिवानी रौतेला गायत्री परिवार के पशुबलि के खिलाफ जनजागरण अभियान से काफी प्रभावित रही है। इसी प्रेरणा से शिवानी के घर पर परिजनों से बातचीत की। इस दौरान उसने रौतेला दंपत्ति को न्यायालय के आदेश की जानकारी देने के साथ ही उनसे पशु बलि नहीं करने का आग्रह किया। शिवानी ने कहा कि बकरे की बलि देने के बजाए विकल्प के रूप में 11 नारियल चढ़ा सात्विक ढंग से पूजा-अर्चना करनी चाहिए।

भतीजी की बात मानकर रौतेला दंपत्ति ने अपना पशु बलि का फैसला बदल लिया। उन्होंने गैराड़ जाकर 11 नारियण, धूप-दीप से सात्विक पूजा की। इधर चितई स्थित गायत्री शक्तिपीठ के अर्जुन सिंह ने कहा कि अब लोग मंदिरों में पशु बलि न करके मंदिरों को स्वच्छ व पवित्र बनाए रखने पर ध्यान देने लगे हैं। मंदिर में पशु बलि स्थगित करवाने पर गायत्री परिवार अल्मोड़ा के परिजनों व अन्य लोगों ने शिवानी व उसके परिवार की सराहना की है।

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