ऋशिकेश न्यूज : नेतृत्व क्षमता में लीडरशिप के कर्तव्यों का पालन जरूरी : प्रो. रविकांत

ऋषिकेश। जेसी बोस यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नालॉजी फरीदाबाद के तत्वावधान में विज्डम सबमिट (बौद्धिक सम्मेलन-2020) का आयोजन किया गया। जिसके तहत एम्स निदेशक पद्मश्री…

ऋषिकेश। जेसी बोस यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नालॉजी फरीदाबाद के तत्वावधान में विज्डम सबमिट (बौद्धिक सम्मेलन-2020) का आयोजन किया गया। जिसके तहत एम्स निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत ने बतौर मुख्यवक्ता नेतृत्व एवं निष्पादन की उत्कृष्टता विषय पर व्याख्यान प्रस्तुत किया। बौद्धिक सम्मेलन में मुख्यवक्ता पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत ने नेतृत्व एवं निष्पादन की उत्कृष्टता एवं प्रेरणा पर आधारित व्याख्यान में जेसी बोस यूनिवर्सिटी के छात्र-छात्राओं, शिक्षकों व अन्य प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि नेतृत्व क्षमता निष्पादन एवं उसके निरंतर विकास हेतू लीडरशिप के कर्तव्यों का पालन जरुरी है।

जिसमें किसी कार्य की प्रगति की समीक्षा करना,लोगों को प्रशिक्षित करना,मुद्दों का हल निकालना एवं उनके सही परिणाम सुनिश्चित करना जरुरी है। साथ ही उसकी संपूर्ण रणनीति को एवं उनसे जुड़े तमाम पहलुओं पर मनन करना भी आवश्यक है। जिससे कि भविष्य में किसी संस्था से जुड़ी हुई नेतृत्व एवं निष्पादन क्षमता को सुदृढ़ बनाया जा सके। वर्चुअल बौद्धिक सम्मेलन में निदेशक एम्स प्रो. रवि कांत जी ने शिक्षा के स्तर, अनुसंधान एवं चरित्र निर्माण के एकीकरण के माध्यम से जीवन के उन समस्त बदलावों का जिक्र किया जिसमें हम जीवन की उन सभी अवस्थाओं का स्मरण कर भविष्य की ऊंचाइयों का तय कर सकते हैं।

उन्होंने कहा कि जीवन में लक्ष्य को निर्धारित करना ही सबकुछ नहीं है, बल्कि निर्धारित किए गए लक्ष्य को प्राप्त करना वास्तविक सफलता है। उन्होंने कहा कि वास्तविक सफलता आज के दौर में किसी के सफल होने के बारे में नहीं है बल्कि यह उन लोगों के बारे में है जो सफल हुए हैं। जिन्होंने प्रयास किया है व प्रयास के फलस्वरूप जहां पर पहुंचने के लिए उन्होंने बौद्धिक क्षमता, कड़ी मेहनत व समाज को मद्देनजर रखते हुए प्रयास किए हैं। वास्तव में वही लोग सफलता का सच्चा उदाहरण हैं। निदेशक पद्मश्री प्रो. रवि कांत ने कहा कि हमें कभी भी जीवन में कोई रणनीति तय करनी हो तो उसके लिए हमें आत्मविश्वास से परिपूर्ण होना पड़ेगा।

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जो उस रणनीति के निष्पादन एवं उसकी सफलता के लिए एक विशेष कड़ी के रूप में कार्य करेगी। उन्होंने कहा कि जीवन में शिक्षित हो जाना ​मात्र ही शिक्षा का अंत नहीं है, बल्कि सीखने के लिए हमारा संपूर्ण जीवन भी कम है। व्याख्यान के दौरान छात्र- छात्राओं को प्रेरित करते हुए निदेशक प्रो. रवि कांत जी ने प्राचीन चिकित्सा पद्धतियों का जिक्र भी किया व कहा कि आयुर्वेद एक प्राचीन चिकित्सा पद्धति है जिसका पुर्नउत्थान वर्तमान चिकित्सकीय दृष्टिकोण से करना आवश्यक है। व्याख्यान के दौरान उन्होंने बताया कि यदि हम मन से आध्यात्मिक विचारों से परिपूर्ण हैं व हम वैज्ञानिक सोच रखते हैं तो हम इन दोनों के समन्वय से जीवन में अच्छी प्रगति कर सकते हैं। उन्होंने बौद्धिक क्षमता की विस्तृत कार्यप्रणाली एवं उसके प्रभावों के समीकरण को परिभाषित करते हुए हुए इसके सही इस्तेमाल पर जोर दिया व बौद्धिक क्षमता के चार स्तंभों आईक्यू( बौद्धिक उद्धरण), ईक्यू (भावात्मक उद्धरण), एसक्यू (आध्यात्मिक उद्धरण) व एक्यू (गणितीय उद्धरण) का महत्व बताया व उसका अंगीकरण करने पर जोर दिया।

निदेशक पद्मश्री प्रो. रवि कांत ने नेतृत्व क्षमता एवं उसके निष्पादन को आवश्यकतानुसार संचालित करने के लिए सोचने समझने, मनन करने व निष्पादित करने को जीवन में सफलता की सीढ़ी तक पहुंचने का माध्यम बताया। इस अवसर पर जेसी बोस यूर्निवर्सिटी के वाॅइस चांसलर प्रो. दिनेश कुमार, डीन डा. विक्रम सिंह, डा. मनवी सिवाज, डा. सुनील गर्ग, रश्मि चावला आदि मौजूद थे।

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