CNE Reporter, Almora
सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा में पर्यटन व्यवसाय पर महीनों तक लगा कोरोना का ग्रहण अब छंटने लगा है। देर से ही सही मगर अब यहां पर्यटन व्यवसाय गति पकड़ने लगा है। जिससे अब इस व्यवसाय को फिर पंख लगने की उम्मीदें बढ़ने लगी हैं। महीनों से पहाड़ की शुद्ध आबोहवा में सांस लेने को तरसे पर्यटकों ने अब पहाड़ का रुख कर लिया है। कुमाऊं के प्रमुख पर्यटक स्थलों नैनीताल, अल्मोड़ा, रानीखेत व कौसानी क्षेत्रों में पहाड़ के मुरीद पर्यटकों की चहलकदमी दिखने लगी है।
कुदरत ने पहाड़ को ऐसा नैसर्गिक सौंदर्य बख्शा है कि देशी-विदेशी पर्यटकों के दिल में पहाड़ बसा है। हर बरस उन्हें पहाड़ का प्राकृतिक सौंदर्य यहां तक खींच ही लाता है और वह साल में कम से कम एक बार जरूर विशेषकर पर्यटन सीजन में पहाड़ आकर यहां की शुद्ध आबोहवा में सांस लेकर चैन महसूस करते हैं। मगर उनके इस सुकून में इस साल कोविड-19 महामारी ग्रहण बनकर छाया। पर्यटन सीजन में कोरोना ने तमाम गतिविधियों की भांति पर्यटकों के कदम भी पहाड़ आने से रोक डाले। इन कदमों में लाकडाउन व अनलाॅक के प्रतिबंधों ने करीब 6 महीनों तक एक ब्रेक सा लगाए रखा। ऐसे मेें दिल्ली, मुम्बई सरीके शहरों से सैलाीन पहाड़ आने के लिए महीनों लालायित रह गए। कुछ रियायतें मिली और शासन-प्रशासन के लचीला व सकारात्मक रूख दिखाया, तो अब सैलानियों का आगमन शुरू हो चुका है। महीनों बाद पहाड़ में सैलानियों की चहलकदमी से रौनक तो बढ़ी ही है, साथ ही लाकडाउन से पैदा हुए निराशाजनक भाव अब सकारात्मक ऊर्जा में तब्दील हुआ है।
यूं तो गत नवंबर माह से पर्यटकों की चहलकदमी धीरे-धीरे बढ़ चली है और अब नजदीक आ चुके थर्टी फस्र्ट का जश्न मनाने और नव वर्ष 2021 के स्वागत करने के लिए पर्यटकों की तादाद में इजाफा हो चला है। सांस्कृतिक शहर अल्मोड़ा का नामी व पर्यटन व्यवसाय की शान ’शिखर’ होटल भी पर्यटकों के स्वागत को तैयार है। जहां पर्यटकों का पहुंचना शुरू हो चुका है और बुकिंग भी आ रही हैं। इस होटल में आकर पर्यटक पहाड़ी व्यंजनों से भी परिचित होते हैं। यहां पर्यटकों को कोई ना कोई लजीज पहाड़ी व्यंजन अवश्य परोसा जाता है, जिसका पर्यटक लुफ्त उठाते हैं। जो इस बार भी परोसा जाएगा।
कोरोनाकाल के कारण लाकडाउन के दौरान पर्यटन व्यवसाय को लेकर होटल शिखर के प्रोपराइटर व होटल एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष राजेश बिष्ट से सीएनई से एक खास बातचीत हुई। जिसमें श्री बिष्ट ने बताया कि पिछला करीब छह माह का एक ऐसा दौर गुजरा है, जिसपे पर्यटन व्यवसाय को काफी धक्का पहुंचाया है। इस काल ने होटल व्यावसायियों के साथ ही होटल स्टाॅफ में कार्यरत कर्मचारियों को भी बहुत बुरे दिन दिखाए हैं। उन्होंने बताया कि जब 01 अक्टूबर को होटल शिखर कोविड केयर सेंटर से मुक्त हुआ, तो पर्यटन के मामले मेंएक नए अध्याय का शुभारम्भ हुआ। उन्होंने कहा कि नैनीताल अब सैलानियों से भरा है, वहीं अल्मोड़ा में भी नवंबर माह से पर्यटक आने शुरू हो गये हैं। राजेश बिष्ट का अनुमान है कि इस सीजन में विगत वर्षों की तुलना में पर्यटकों की संख्या इस बार बढ़ेगी। जिसका एक कारण लंबा ठहराव है। इससे पूर्व उत्तराखंड के बार्डरों में हो रही कोरोना जांच के चलते पर्यटक आने से परहेज कर रहे थे, लेकिन जब से बार्डर बाहर से आने वाले पर्यटकों के लिए पूरी तरह खोल दिये गये हैं तब से सैलानियों का आगमन भी शुरू हो चुका है।
राजेश बिष्ट ने बताया कि उनके पिता एवं होटल शिखर के संस्थापक स्व. जगत सिंह बिष्ट ने जिस आदर्श परम्परा को कायम किया है, उसे आगे बढ़ाने के लिए वह संकल्परत हैं। स्व. जगत सिंह बिष्ट जीवन पर्यन्त पर्यटन को बढ़ावा देने का कार्य करते रहे। वह ‘अतिथि देवो भव’ के जिस सिद्धान्त पर चलते थे, उसे होटल शिखर ने आज भी कायम रखा है। थर्टी फस्ट को मनाये जाने को लेकर राजेश बिष्ट ने कहा कि होटल शिखर में नए साल में जश्न आदि के कोई अलग से आयोजन नहीं किये जाते हैं। इस दिन एक परम्परा है कि मेहमानों के लिए रोजाना के व्यंजनों के अलावा भोजन में पहाड़ी व्यंजनों का भी विकल्प होता है। जिसमें भट्ट की चुड़कानी, डुबके, मूली का थेचुवा, मडुवे की रोटी आदि पर्वतीय व्यंजनों का लुफ्त पर्यटक उठा सकते हैं। दिल्ली, बंगाल, महाराष्ट्र आदि से आने वाले टूरिस्ट भी इन व्यंजनों का लुफ्त उठा सकते हैं।
पर्यटन बढ़ावे में डीएम नितिन भदौरिया का बड़ा योगदान
शिखर होटल के प्रोपराइटर राजेश बिष्ट ने कहते हैं कि अल्मोड़ा में पर्यटन को बढ़ावा देने में जिलाधिकारी नितिन सिंह भदौरिया का योगदान बेहद सराहनीय है। उन्होंने पर्यटन को बढ़ाने की दिशा में सिर्फ प्रयास ही नहीं किए बल्कि तत्संबंधी कार्यों व योजनाओं को मूर्त रूप दिया, जो धरातल पर दिखता है। पर्यटन के दिशा में ऐसा पूर्ववर्ती जिलाधिकारी नहीं कर पाये। श्री बिष्ट नेे डीएम भदौरिया का इस अपार सहयोग के लिए हृदय से आभार प्रकट किया हैं। उन्होंने कहा कि डीएम श्री भदौरिया के प्रयास से ही दो बार अल्मोड़ा महोत्सव का सफल आयोजन हो पाया है। इसके अतिरिक्त पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए उनके पास एक दूरगामी सोच है। इसके अलावा उनके कई कार्य अत्यंत प्रशंसनीय हैं।