पूर्व मुख्यमंत्री ने अल्मोड़ा में धरना देकर धामी सरकार को चेताया
- मुंशी हरिप्रसाद टम्टा शिल्पकला उन्नयन केंद्र की उपेक्षा से गुस्सा
सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ाः आज यहां पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत समेत कांग्रेस नेता एवं कार्यकर्ताओं ने धरना-प्रदर्शन किया। इस दौरान पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि देश में महान देशभक्तों और पुरानी धरोहरों का नाम मिटाने का दौर चल रहा है और संविधान को तार-तार करने जैसा कृत्य मोदी सरकार कर रही है। यह धरना जिले के गुरुड़ाबांज में स्थापित मुंशी हरिप्रसाद टम्टा शिल्पकला उन्नयन केंद्र की उपेक्षा के खिलाफ था। जिसके माध्यम से धामी को चेताया गया।
अपने पूर्व घोषित कार्यक्रम के तहत आज कांग्रेस कार्य समिति के सदस्यों ने पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के मौजूदगी में चौघानपाटा स्थित कर्नल सतीश चंद्र पार्क में मंुशी हरिप्रसाद टम्टा व बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की मूर्तियों के समक्ष धरना-प्रदर्शन आयोजित किया। जिसके माध्यम से कई मांगें उठाई गई। इससे पहले पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर व मुंशी हरि प्रसाद टम्टा की मूर्तियों पर माल्यार्पण किया। इस मौके पर अपने संबोधन में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि उन्होंने कहा कि अपने मुख्यमंत्रित्वकाल में पहाड़ की विलुप्त हो रही ऐतिहासिक शिल्पकला के संरक्षण के उद्देश्य एवं पलायन रोकने की सोच के साथ उनके द्वारा जागेश्वर विधानसभा के गुरुड़ाबाज में 100 करोड की लागत वाली मुंशी हरिप्रसाद टम्टा शिल्पकला उन्नयन केन्द्र की घोषणा की और पहले चरण में 6 करोड़ रुपये अवमुक्त किए।
जिसमें भवन निर्माण व सड़क निर्माण गति पर चल रहा था, किंतु पिछले 6 वर्ष से प्रदेश में भाजपा सरकार ने समाज के सबसे वंचित समाज के युवाओं के भविष्य के साथ घोर उपेक्षा की जा रही है। उन्होंने कहा कि इस धरने के माध्यम से प्रदेश की धामी सरकार की नींद खोलने की कोशिश की गई है और अगर धामी सरकार समाज के सबसे बड़े सुधारक के नाम स्थापित शिल्पकला उन्नयन केन्द्र के लिए धनराशि जारी नहीं करती है, तो वे आगामी 02 अक्टूबर को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयन्ती पर गुरडा़बाज में शिल्पकला केन्द्र के भवन पर उपवास कार्यक्रम आयोजित कर बड़ा कदम उठाएंगे और दलित एवं असहाय समाज के युवाओं की आवाज को उठाने का कार्य करेंगे।
इस मौके पर पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गोविन्द सिंह कुंजवाल ने कहा कि मुंशी हरिप्रसाद टम्टा शिल्पकला उन्नयन केन्द्र विकास का सबसे बड़ा उदाहरण था। ये उन्नयन केन्द्र से पूरे पर्वतीय क्षेत्र के दलित एवं रोजगार के संघर्षरत युवाओं की बड़ी उम्मीद थी, जो काफी हद तक पलाय रोक सकता था, लेकिन दुर्भाग्यवश में राजनैतिक द्वेष के कारण भाजपा सरकार ने इस केंद्र का काम आगे नहीं बढ़ाया और दलित समाज के भविष्य के साथ मजाक करके ठेंगा दिखाया है। उन्होंने कहा कि इस मामले को लेकर धामी सरकार के खिलाफ बड़ा जनांदोलन किया जाएगा।
पूर्व सांसद प्रदीप टम्टा ने कहा कि आज देश तानाशाही सरकार के अधीन हो चुका हैं। आज भारतीय संविधान को कमजोर करके धर्म एवं जाति के नाम जहर उगलने का कार्य उन्माद पर हैं। जिससे देश के भीतर भय एंव अराजकता और असुरक्षा का भय देश को कमजोर कर रहा हैं। उन्होंने कहा कि राजनैतिक दुराभाव के कारण उत्तराखण्ड के दलितों और युवाओं के भविष्य के साथ बड़ा खिलवाड़ हो रहा है। जिसे कांग्रेस पार्टी बर्दाश्त नहीं करेगी। विधायक मनोज तिवारी ने कहा कि मुंशी हरिप्रसाद टम्टा के नाम पर बनने जा रहे शिल्पकला उन्नयन केन्द्र को रोकना पहाड़ के युवाओं के भविष्य के साथ बड़ा खिलवाड़ हैं। जिसका हर स्तर पर विरोध करके शिल्पकला केन्द्र भवन को बनाने के लिए दवाब बना जायेगा।
धरना-प्रदर्शन की अध्यक्षता जिलाध्यक्ष भूपेन्द्र सिंह भोज एवं संचालन जिला महामंत्री गीता महरा ने किया। कार्यक्रम में पूर्व विधायक कपकोट ललित फर्स्वाण, पूर्व जिलाध्यक्ष पीताम्बर पाण्डेय, महिला जिलाध्यक्ष राधा बिष्ट, नगराध्यक्ष तारा चन्द्र जोशी, महिला नगराध्यक्ष दीपा साह, जिला महामंत्री ( संगठन) त्रिलोचन जोशी, पूर्व अध्यक्ष आनन्द बगडवाल, पूर्व जिलाध्यक्ष राजेन्द्र बाराकोटी, जिला प्रवक्ता निर्मल रावत, अनुसूचित जाति विभाग जिलाध्यक्ष किशन लाल, जिला पंचायत सदस्य देवेन्द्र बिष्ट, प्रताप राम आर्या, प्रदेश अल्पसंख्यक महामंत्री अमन अंसारी, जिला महामंत्री दीवान सतवाल, नगर महामंत्री (संगठन ) वैभव पाण्डेय, पूर्व दर्जा मंत्री एके सिकन्दर पवार, एनडी पाण्डेय, पूर्व नगराध्यक्ष पूरन सिंह रौतेला, नगर वरिष्ठ उपाध्यक्ष महेश चन्द्र आर्या, जिला मंत्री वीके पाण्डेय, पूर्व जिला सहकारी बैंक अध्यक्ष दीवान भैसोडा़, पूर्व जिला सहकारी बैंक अध्यक्ष प्रशान्त भैसोडा़, पूर्व ब्लाक प्रमुख रमेश भाकुनी, लक्ष्मण सिंह ऐठानी, एड़ केवल सती, प्रदेश महिला महामंत्री प्रीति बिष्ट, ब्लाक अध्यक्ष मनोज रावत, पीसीसी सदस्य गोपाल चौहान, हर्ष कनवाल आदि ने धामी सरकार को खूब कोसा।