मिशन कमलताल सफल : कार्प मछलियां हुईं बाहर, फिर से खिल उठे ‘कमल’

CNE DESK. भीमताल क्षेत्र की ऐतिहासिक, पौराणिक कमलताल झील में लुप्त हो चुके कमल पूरे 05 साल बाद दोबारा खिल उठे हैं। ऐसा फूल को सालों…

सफल हुआ मिशन कमलताल: कार्प मछलियां हुईं बाहर, फिर से खिल उठे 'कमल'

CNE DESK. भीमताल क्षेत्र की ऐतिहासिक, पौराणिक कमलताल झील में लुप्त हो चुके कमल पूरे 05 साल बाद दोबारा खिल उठे हैं। ऐसा फूल को सालों से चट करती आ रही कार्प मछलियों (Grass carp) को बाहर करने के बाद संभव हो सका है। निश्चित रूप से यह एक बहुत बड़ी कामयाबी है। चूंकि यही नैनीताल जनपद की एकमात्र झील है, जिसमें कमल के फूल प्राकृतिक रूप से खिलते हैं। हालांकि लगातार बढ़ रही कार्प मछलियों की तादाद के कारण यह कई सालों से लुप्त हो चुके थे।

Mission Kamaltal successful: carp fishes out, ‘lotus’ blossomed again : उल्लेखनीय है कि नैनीताल जनपद अंतर्गत नौकुचियाताल वर्षों से पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रहा है। यहां का मुख्य आकर्षण हमेशा से यहां खिलने वाले कमल के फूल हैं। जो यहां प्राकृतिक रूप से खिला करते थे। किंतु बीते कई सालों से कमल के फूल दिखना बंद हो गए थे। जिसका असर पर्यटन पर पड़ने लग गया था।

बताया जाता है कि नौकुचियाताल से ग्रास कार्प नामक मछली (Grass carp) की एक प्रजाति यहां पहुंच गई थी। जिसने जब अपनी संख्या बढ़ाई तो कमल के फूल गायब होने लगे। जिसका कारण यह है कि यह प्रजाति फूलों को अपना आहार बना लेती हैं।

इस झील में कमल का महत्व इसलिए भी रहा है क्योंकि यहां खिलने वाले कमल के फूलों की वजह से इसकी तुलना पवित्र मानसरोवर झील से की जाती थी। कहा जाता है कि यहां खिले कमल के फूलों के आगे प्राश्चित कर लेने पर पाप धुल जाते हैं।

स्थानीय नागरिक बताते हैं कि फूल खाने वाली ग्रास कार्प मछली की तादात झील में बढ़ने के कारण यहां कमल के फूल खिलने ही बंद हो गए थे। कमल ताल में फूलों के खिलने का सिलसिला लगातार कम होता चला जा रहा था। बीते 05 सालों से तो यहां एक भी कमल का फूल नहीं खिला।

आखिरकार सरकार व प्रशासन का ध्यान इस ओर गया। फिर सिंचाई विभाग ने एक परियोजना तैयार की। झील में कमल के पौधों के बारे में डिटेल खंखाली गई। तब पता चला कि ताल में ग्रास कार्प मछली कमल के फूल खत्म होने की मुख्य व एकमात्र वजह है।

जांच में यह पाया गया कि यह मछली कमल के पौधों और उसके तनों को काट रही थी। जिस कारण कमल के पौधे वृद्धि नहीं कर पा रहे थे। इस कारण ताल में कमल के फूल नहीं खिल रहे थे। साथ ही इस ताल का पानी भी बदबूदार हो रहा था।

शुरू हुआ मिशन, ग्रास कार्प मछली की गई बाहर

सिंचाई विभाग ने कमलताल को पुर्नजीवित करने का फैसला लिया। फिर दो लाख रूपए का एक प्रोजेक्ट तैयार हुआ। सिंचाई विभाग के अवर अभियंता शंकर आर्य के अनुसार झील में पहले सड़ चुके कमल के पौधों को पूरी तरह हटाया गया। फिर मत्स्य विभाग की मदद से झील में मौजूद ग्रास कार्प मछली को पकड़कर बाहर किया गया। यही नहीं, इस झील में मछली के नए अंडों तक से मुक्त किया गया। जिससे कि भविष्य में दोबारा यह समस्या पेश ना आए। इसके बाद दोबारा नए कमल के पौधे लगाए गए। फिर लंबे इंतजार के बाद अबकी बार झील में फिर से कमल खिल गए हैं।

फिर आने लगे हैं पर्यटक

कमल के फूल दोबारा खिले तो पर्यटक यहां फिर से आने लग गये हैं। यह फूल इन दिनों आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। ज्ञात रहे कि ग्रास कार्प मछली प्राकृतिक रूप से जलीय पौधे, प्लवक आदि खाती है। नौकुचियाताल झील में यह मछली अच्छी तादात में है। यहीं से यह मछली कमलताल में प्रवेश कर गई। इसे मछलीपालन करने वाले किसान पालते हैं। हालांकि ज्यादातर काफी लोग इस मछली को खाने में ज्यादा स्वादिष्ट नहीं मानते।

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