धामी जी! मंत्री—विधायकों पर कितना खर्च हो रहा यह भी बताएं : सती

👉 नसीहत, उधार का है बजट, जितनी चादर उतने पांव पसारे अल्मोड़ा। उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश महासचिव तथा पूर्व दर्ज़ा राज्य मंत्री एडवोकेट…

कांग्रेस कमेटी के प्रदेश महासचिव तथा पूर्व दर्ज़ा राज्य मंत्री एडवोकेट केवल सती

👉 नसीहत, उधार का है बजट, जितनी चादर उतने पांव पसारे

अल्मोड़ा। उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश महासचिव तथा पूर्व दर्ज़ा राज्य मंत्री एडवोकेट केवल सती ने वर्ष 2023-2024 के बजट पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए धामी सरकार से सवाल किए हैं। उन्होंने कहा कि सरकारी कर्मचारियों के साथ ही मंत्रियों व विधायकों पर प्रति माह हो रहे व्यय का हिसाब भी जनता को बताना चाहिए।

सती ने कहा कि उत्तराखंड का वर्ष 2023-2024 का बजट पूरी तरह उधार का बजट है। अगले वर्ष इस बजट के बराबर राज्य को कर्ज हो जाना है। सरकार को कर्ज कैसे कम हो इस पर ध्यान देना चाहिए, जितनी चादर हो उतनी ही फैलानी चाहिए।

सती ने कहा कि जब उत्तराखंड राज्य बना था उस समय राज्य पर ढाई हजार करोड़ का कर्ज था। 31 मार्च 2024 को उत्तराखंड प्रदेश पर 77 हजार करोड़ रुपए का कर्ज हो जायेगा। सती ने कहा कि उत्तराखंड सरकार कह रही है कि सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती कर्मचारियों के वेतन और पेंशनरों के वेतन -भत्तों व पेंशन के लिए धनराशि जुटाने की है। जिस पर लगभग 26 हजार करोड़ खर्च होंगे।

सती ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि सरकार के वे कर्मचारी जो रात—दिन अपनी सेवाएं दे रहे हैं तथा सेवानिवृत्त वे कर्मचारी जिन्होंने सेवा दी हैं उन पर हो रहे व्यय का तो हिसाब लगा रहे हैं, लेकिन मंत्रियों व विधायकों पर प्रति माह कितना व्यय हो रहा है इसका हिसाब जनता को नहीं बता रहे हैं।

सती ने कहा कि बजट में जी-20 समिट के लिए 100 करोड़ का प्रावधान क्यों किया गया है। जी-20 सम्मेलन आयोजन पर खर्च करना केन्द्र सरकार की ज़िम्मेदारी है। सती ने कहा कि कर्ज में डूबे बजट से राज्य के युवा बेरोजगारों किसानों और आम आदमी जो मंहगाई से त्रस्त है को इस वजट से कोई उम्मीद नहीं है। सती ने कहा कि उत्तराखंड सरकार को कर्ज कम करने के लिए अपने सरकारी खर्चों पर नियंत्रण रखना चाहिए, क्योंकि कर्ज का बोझ भी राज्य की जनता पर ही पड़ेगा।

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