शारदा मठ, कसारदेवी में धूमधाम से मनाया गया मां शारदा देवी जन्मोत्सव

✒️ भजन-कीर्तन, भंडारे का आयोजन अल्मोड़ा। यहां कसारदेवी स्थित शारदा मठ में मां शारदा (सारदा) का जन्म उत्सव धूमधाम से मनाया गया। इस मौके पर…

मां शारदा मठ कसारदेवी अल्मोड़ा

✒️ भजन-कीर्तन, भंडारे का आयोजन

अल्मोड़ा। यहां कसारदेवी स्थित शारदा मठ में मां शारदा (सारदा) का जन्म उत्सव धूमधाम से मनाया गया। इस मौके पर भजन-कीर्तन व भंडारे का आयोजन हुआ। भंडारे में बड़ी संख्या में श्रद्धालुजनों ने शिरकत की। सांयकाल संध्या आरती का भी हुई।

शारदा मठ में आयोजित मां शारदा जयंती कार्यक्रम में बड़ी संख्या में स्थानीय नागरिकों व विभिन्न क्षेत्रों से आए ग्रामीणों ने भी शिरकत की। महिलाओं ने देवी भजनों का सुंदर गायन किया। कार्यक्रम की श्रृंख्ला में सुबह 05 बजे मंगल आरती व वैदिक मंत्रोच्चारण, सुबह 07 बजे विशेष पूजा, प्रात: 09.30 बजे हवन, 10.30 बजे श्री मां सारदा देवी के जीवन तथा उपदेशों पर आधारित भजन-प्रवचन तथा दोपहर 01 बजे प्रसाद वितरण (भंडारा) हुआ। शाम 5.30 बजे संध्या आरती का आयोजन भी हुआ। प्रव्राजिका भूपाप्राणा ने मां सारदा, स्वामी विवेकानंद व संत रामकृष्ण परमहंस के जीवन पर प्रकाश डाला।

इस मौके पर ग्राम प्रधान भूमा प्राना हरेंद्र सिरारी, कमला गुसांई, संदीप उपाध्याय, नीरज जोशी, संजू मेहरा, दिव्यांशु सिंह बिष्ट, गोविंद मेहरा, प्रदीप सैन, डॉ. आनंद सिंह गुसाईं, लक्ष्मण सिंह ऐठानी, मनीष अग्रवाल, पुष्पा बगड़वाल, राजेंद्र सिंह खड़ायत, गिरीश धवन आदि मौजूद रहे।

स्वामी विवेकानंद की अल्मोड़ा यात्रा और शारदा मठ, कसारदेवी का इतिहास

दरअसल, शरदा मठ की स्थापना के पीछे स्वामी विवेकानन्द (Swami Vivekanand) का अल्मोड़ा दौरा रहा है। वह प्रथम बार 1890 में कुमाऊं के दौरे पर आये, काकड़ीघाट में पीपल के पेड़ के नीचे उन्होंने ध्यान लगाया था। स्वामी विवेकानंद अल्मोड़ा से बहुत लगाव रखने लगे थे। वह 03 बार यहां आये थे। 11 मई, 1897 को उन्होंने खजांची बाजार में एक जनसमूह को भी संबोधित किया था। 1890 में हिमालयी यात्रा के दौरान भी वह यहां पहुंचे थे। करबला में वह जब अचेत होकर गिर गए तो एक फकीर ने उन्हें खीरा खिलाई थी। खीरा खाकर वह स्वस्थ हो गए थे। 1897 के भ्रमण के दौरान उन्होंने तीन माह तक देवलधार और अल्मोड़ा में निवास किया था। 28 जुलाई 1897 में तत्कालीन इंग्लिश क्लब में उन्होंने व्याख्यान भी दिया था।

कहा जाता है कि स्वामी विवेकानंद के भारत को आध्यात्मिक भूमि के रूप में विकसित करने के स्वप्न को साकार करने के लिए ही शारदा मठ की स्थापना की गई थी। इतिहासिक तथ्यों का यदि अवलोकन करें तो शारदा मठ दक्षिणेश्वर कलकत्ता ने मठ स्थापना के लिए साल 1996 में अल्मोड़ा में विवेकानंद की तप स्थली कसारदेवी में शारदामठ की स्थापना का निश्चिय किया। इसके लिए 40 नाली भूमि क्रय की गयी। इस आश्रम का उद्देश्य महिलाओं तथा बच्चों का विकास करना है। नि:शुल्क शिक्षा, चिकित्सा सुविधा तथा आध्यात्मिक विकास का लक्ष्य समाहित है।

1998 में हुआ था आश्रम निर्माण

अल्मोड़ा के कसारदेवी में वर्ष 1998 से आश्रम का निर्माण शुरू हुआ था। यहां वर्तमान में ऊपरी कक्ष में मंदिर एवं ध्यान केन्द्र और नीचे वाले कक्ष में आश्रम की संवासिनियां निवास करती हैं। यहां कई नि:शुल्क स्वास्थ शिविर भी समय-समय पर लगते हैं। मां शारदा की पुण्यतिथी यहां हर साल मनाई जाती है। इस मौके पर विविध कार्यक्रम व सामूहिक भोज का भी आयोजन होता है। ज्ञात रहे कि शारदा देवी स्वामी विवेकानंद के गुरु रामकृष्ण परमहंस की आध्यात्मिक सहधर्मिणी थीं। रामकृष्ण संघ में उन्हें मां शारदा के नाम से संबोधित किया जाता है।

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