सीएनई एक्सक्लूसिव : शारीरिक दुर्बलता के कारण ही नहीं मनोरंजन के लिए भी इंसानी बस्ती में आ रहे तेंदुए और बाघ

तेजपाल नेगी हल्द्वानी : अब तक 37 आदमखोरों को उनके सही ठिकाने पहुंचा चुके शिकारी जॉय हुकिल इन दिनों हल्द्वानी में ही हैं और आदमखोर…

तेजपाल नेगी

हल्द्वानी : अब तक 37 आदमखोरों को उनके सही ठिकाने पहुंचा चुके शिकारी जॉय हुकिल इन दिनों हल्द्वानी में ही हैं और आदमखोर के खात्मे के लिए वन विभाग के साथ रणनीति बना रहे हैं लेकिन दिक्कत यह है कि गोली लगने के बाद घायल तेंदुआ किसी को नजर ही नहीं आया है। हमने जॉय से बातचीत की तो तेंदुओं के आदमखोर होने के रहस्य से काफी हद तक पर्दा उठा। जॉय कहते हैं कि उनका व्यक्तिगत अनुभव कहता है कि तेंदुए मानसिक और शारीरिक वजह से आदमखोर बनते हैं। आदमखोर का अथ यह कतई नहीं कि उसे हर बार खाने को इंसानी मांस ही चाहिए, लेकिन वह इंसानी शिकार करने से परहेज नहीं करता यह महत्वपूर्ण बात है।

वे बताते हैं कि उम्र दराज तेंदुए अमूमन आसान लक्ष्य को ही शिकार बनाते हैं।
लेकिन इससे भी रोचक तथ्य जो तेंदुओं के व्यवहार पर शोध करने के बाद सामने आया है ​वह यह है कि तेंदुए मनोरंजन के लिए भी इंसानी आबादी की ओर रूख कर रहे हैं। उनका कहना है बात थोड़ी असहज करने वाली है लेकिन यह सत्य है कि बाघ और तेंदुओं के अंदर आसपास के माहौल के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानने की प्रबल इच्छा शक्ति होती है। उनके चरित्र की यही खासियत उन्हें इंसानी आबादी की ओर जाने को मजबूर करती है।

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इसे समझाते हुए जॉय कहते हैं कि जंगल से तेंदुआ या बाघ सड़कों पर गाड़ियों को दौड़ते हुए देखता है बस्तियों में लोगों की चहल पहल देखता है तो उसका मन भी इसे मनोरंजन मानने लगता है। वह इंसानी बस्तियों में आकर इन चीजों को नजदीक से देखता है। ऐसे में जब उसे अपनी जान का खतरा नजर आता है तो वह इंसान पर हमला कर देता है। वे बताते हैं जंगलों में बाघों व शेर की संख्या का तो हमें पता है लेकिन तेंदुओं की संख्या के बारे में कोई सर्वेक्षण नहीं होता है।

जबकि इनकी आबादी शेरों और बाघों से कहीं अधिक हैं। ऐसे में हमारी महिलाएं जंगलों में घास लकड़ी को जाती हैं तो तेंदुआ अपने इलाके में इन अजनबियों को देखता रहता है। वह उनपर हमला कम ही करता है। लेकिन कभी अपने पारंपरिक भोजन के इतर कुछ खाने का मन हुआ तो इंसान को ही शिकार बनाने से भी चूकता। ऐसे बार बार करता है तो उसे आदमखोर घोषित कर दिया जाता है।

वे बताते हैं कि पौड़ी में एक गांव में शादी का आयोजन हो रहा था। उनके कुछ मित्र भी इस आयोजन में शामिल थे। अचानक एक तेंदुआ इस मकान की दीवार पर प्रकट हुआ और तकरीबन पांच मिनट तक पूरे कार्यक्रम को निहारता रहा। वह कुछ और देर रुकता लेकिन तब अपने घरों को लौट रही महिलाएं व बच्चों की नजर उस पर पड़ गई।

शोर शराबा हुआ और तेंदुआ बिना किसी को नुकसान पहुंचाए जंगल में भाग गया। यह घटना भी साबित करती है कि इंसानी ​बस्ती के क्रियाकलापों को देखने की उत्सुकता तेंदुए को गांव में खींच लाई। ऐसी कई घटनाएं और भी हुई हैं जिनसे पता लगता है कि तेंदुओं के मन में नई चीज को समझने के लिए उत्सुकता इंसानों की तरह ही होती है।

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