लालकुआं : किसान महासभा 11 जनवरी से शुरू करेगी “किसान यात्रा”

जगमोहन रौतेलालालकुआं। अखिल भारतीय किसान महासभा की बैठक प्रदेश अध्यक्ष आनन्द सिंह नेगी की अध्यक्षता में किसान महासभा के कार रोड, बिंदुखत्ता स्थित कार्यालय में…

जगमोहन रौतेला
लालकुआं। अखिल भारतीय किसान महासभा की बैठक प्रदेश अध्यक्ष आनन्द सिंह नेगी की अध्यक्षता में किसान महासभा के कार रोड, बिंदुखत्ता स्थित कार्यालय में सम्पन्न हुई। बैठक में टिहरी राजशाही के खिलाफ क्रांतिकारी किसान आंदोलन का नेतृत्व करने वाले कामरेड नागेन्द्र सकलानी के शहादत दिवस 11 जनवरी से “किसान यात्रा” शुरू करने का निर्णय लिया गया। साथ ही किसान यात्राएं चलाते हुए 25 जनवरी को गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर लालकुआं में विशाल किसान रैली की जायेगी।

इस अवसर पर किसान महासभा के प्रदेश अध्यक्ष आनन्द सिंह नेगी ने कहा कि, “70 से अधिक किसानों की शहादत के बाद मोदी सरकार ने किसानों से वार्ता के दौरान कानूनों को वापस लेने में असमर्थता जताते हुए विकल्प बताने की मांग की जबकि किसान पहले ही विकल्प दे चुके हैं या तो कानून वापस होगा या हम यहीं पर शहीद होंगे।” उन्होंने कहा कि, “मोदी सरकार का किसान आंदोलन के प्रति यह रवैया दिखाता है कि इस सरकार ने किस कदर अंबानी-अडानी जैसे पूंजीपतियों के सामने समर्पण किया हुआ है।”

भाकपा (माले) के राज्य सचिव राजा बहुगुणा ने कहा कि, “मोदी सरकार ने किसान आंदोलन के दबाव में संसद के शीतकालीन सत्र नहीं बुलाया जबकि सर्वोच्च संस्था में किसान आंदोलन और किसान विरोधी कानूनों पर चर्चा होनी चाहिये थी, यह जनता द्वारा संसद में दिए गए बहुमत के साथ ही विश्वासघात है। असल में यह सरकार कॉरपोरेट जगत के सम्मुख पूर्ण रूपेण आत्मसमर्पण कर चुकी है इसलिए वार्ता को भी समय काटने और किसानों के धैर्य और जज्बे को तोड़ने के लिए इस्तेमाल कर रही है। लेकिन किसानों ने दिखा दिया है कि उनका हौसला टूटने वाला नहीं है।”

किसान महासभा के जिलाध्यक्ष बहादुर सिंह जंगी ने कहा कि, “न्यूनतम समर्थन मूल्य खत्म नहीं होगा का जाप करने वाली सरकार ने धान खरीद पर यहाँ के किसानों के साथ धोखा किया है और यहां धान की खरीद ग्यारह सौ रुपये प्रति क्विंटल के कम रेट तक भी हुई है। इन कानूनों के आते ही किसानों और आम लोगों को नुकसान होना आरंभ हो चुका है।”

बैठक में मुख्य तौर पर आनंद सिंह नेगी, राजा बहुगुणा, बहादुर सिंह जंगी,भुवन जोशी, डॉ. कैलाश पाण्डेय, विमला रौथाण, गोविंद सिंह जीना, किशन बघरी, ललित मटियाली, नैन सिंह कोरंगा, स्वरूप सिंह दानू, नारायण नाथ गोस्वामी, गोपाल गड़िया, आनंद सिंह दानू, त्रिलोक सिंह, देव सिंह आदि ने भी भागीदारी की।

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