जयंती: अल्मोड़ा में याद किए गए जननायक डा. शमशेर बिष्ट, कई जनांदालनों की यादें हुईं ताजा

सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ाउत्तराखंड के जनांदोलनकारी डा. शमशेर सिंह बिष्ट को आज उनकी 76वीं जयन्ती पर भावपूर्ण तरीके से याद किया गया। जयंती कार्यक्रम आज शमशेर…

सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा
उत्तराखंड के जनांदोलनकारी डा. शमशेर सिंह बिष्ट को आज उनकी 76वीं जयन्ती पर भावपूर्ण तरीके से याद किया गया। जयंती कार्यक्रम आज शमशेर स्मृति समारोह समिति द्वारा आयोजित किया गया।

इस मौके पर आयोजित गोष्ठी में उत्तराखण्ड के जनमुद्दों पर वर्तमान चुनावों में राजनैतिक दलों की चुप्पी पर अफसोस व्यक्त किया। समिति वरिष्ठ पदाधिकारी जंग बहादुर थापा की अध्यक्षता में आयोजित कार्यक्रम में उत्तराखंड लोक वाहिनी के वरिष्ठ नेता एडवोकेट जगत रौतेला ने कहा कि उत्तराखण्ड़ राज्य जनान्दोलन से उपजा राज्य है, किन्तु प्रदेश के प्रमुख राजनैतिक दलों ने आज जनमुद्दों को दरकिनार कर दिया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में पलायन, भू कानून, वन्नाधिकार कानून, राजधानी गैरसैण, जंगली जानवरों की समस्या की तरफ किसी भी राजनैतिक दल का रुझान नहीं है। उन्होंने कहा कि नीतिगत मामलों में राजनैतिक चर्चाएं नहीं हैं, प्रदेश में जल संसाधन, वन संसाधन, भूमि संसाधन तथा खनिज संसाधनों पर भी राजनैतिक दलों का कोई चिन्तन नहीं है।

वाहिनी के वरिष्ठ नेता पूरन चन्द्र तिवारी ने कहा कि बड़े बांधों के सवाल पर किसी दल के पास कोई नीति नहीं है। प्रदेश के जल संसाधन पर उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्यों का कब्जा होता जा रहा है। वहीं अजयमित्र सिंह बिष्ट ने कहा कि डा. शमशेर सिंह बिष्ट के विचार हमेशा अमर रहेंगे और उनके विचारों पर अमल कर वाहिनी वैकल्पिक राजनीति तैयार करेगी और वह सदैव जनपक्षीय मुद्दो को उठाते रहेगी। वाहिनी के प्रवक्ता दयाकृष्ण काण्डपाल ने कहा कि राज्य की राजधानी गैरसैण, भू कानून, वनाधिकार कानून लागू करने व मुजफ्फरनगर काण्ड के दोषियों सजा दिलाने वाले को ही चुनाव में राज्य की आन्दोलनकारी ताकतें समर्थन देंगी।

गोष्ठी में डा. शमशेर सिंह बिष्ट को याद करते हुए उनके नेतृत्व में चले उत्तराखण्ड के विभिन्न जन आन्दोलनों की याद ताजा की गई। जिसमें वन आन्दोलन, नशा नही रोजगार दो आन्दोलन, राज्य आन्दोलन, बड़े बांधों के खिलाफ आन्दोलन व नदी बचाओ आन्दोलन में उनकी भूमिका को याद किया गया। इस मौके पर कुणाल तिवारी ने गिर्दा के जन गीत गाये। गोष्ठी में रेवती बिष्ट ने कहा कि डा. बिष्ट ने आजीवन पहाड़ के हक व हितों की लड़ाई लड़ी, लेकिन उनके निधन के बाद पहाड़ की आवाज खो सी गई है, जो राज्य हित में नहीं है। इस अवसर पर नदी बचाओ अभियान से जुड़ी बसन्ती बहिन पदमश्री मिलने पर वाहनी ने हर्ष व्यक्त किया। अजय मेहता ने वर्तमान समस्याओं का हवाला देते हुए डॉ. बिष्ट के सुझाए मार्ग पर चलने की नव युवकों से अपील की।
वक्ताओं ने जननायक शमशेर सिंह बिष्ट को याद करते हुए कहा कि अल्मोड़ा में पानी की सुचारू आपूर्ति से लेकर विश्वविद्यालय, सैनिक भर्ती बोर्ड सहित तमाम ऐसे उदाहरण है, जो उनके अथक प्रयास के बिना मुमकिन नहीं थे। अंत में कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे जंग बहादुर थापा ने जननायक डा. बिष्ट के साथ किए गए जन संघर्षों को याद करते हुए कहा कि आज फिर समाज को एक जननायक की बहुत आवश्यकता है। कार्यक्रम में नवीन पाठक, बिशन दत्त जोशी, अदिति बिष्ट, माधुरी मेहता, पुष्पा बिष्ट, सूरज टम्टा, कुंदन सिंह, आराध्य सिंह बिष्ट आदि उपस्थित रहे।

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