विडंबना : 23 साल बीते, स्वास्थ्य केंद्र को नहीं मिल पाया सीएचसी का दर्जा

📌 पीएचसी ताकुला को सीएचसी का दर्जा दिए जाने की मांग 👉 तमाम संगठनों ने डीएम को सौंपा ज्ञापन बसोली। लोकार्पण के 23 साल बीत…

पीएचसी ताकुला को सीएचसी का दर्जा दिए जाने की मांग

📌 पीएचसी ताकुला को सीएचसी का दर्जा दिए जाने की मांग

👉 तमाम संगठनों ने डीएम को सौंपा ज्ञापन

बसोली। लोकार्पण के 23 साल बीत जाने के बावजूद प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ताकुला को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का दर्जा नहीं मिल पाया है। आज क्षेत्र के तमाम संगठनों ने स्वास्थ्य केंद्र को सीएचसी का दर्जा दिए जाने की मांग को लेकर डीएम को ज्ञापन सौंपा।

संगठनों ने जिलाधिकारी से मुलाकात कर उन्हें मुख्यमंत्री के नाम संबोधित ज्ञापन सौंपा। जिसमें 1651 ग्रामीणों के हस्ताक्षर हैं। ज्ञापन में कहा गया है की प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ताकुला में अल्मोड़ा एवं बागेश्वर जनपद की एक बड़ी आबादी अपनी स्वास्थ्य सेवाओं के लिए निर्भर है।

इस प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का दर्जा दिए जाने की मांग ग्रामीणों द्वारा उत्तराखंड राज्य गठन के बाद से की जा रही थी, लेकिन राज्य सरकार द्वारा चिकित्सालय का उच्चीकरण किए बिना ही यहां सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का भवन बना दिया गया।

220.28 लाख की लागत से बने इस भवन का शिलान्यास 2006 में तत्कालीन उद्यान मंत्री गोविंद सिंह कुंजवाल ने किया था। तत्पश्चात 2010 में तत्कालीन मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक द्वारा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भवन का लोकार्पण किया गया।

लोकार्पण के 23 वर्ष बीत जाने के बाद भी इसे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का दर्जा नहीं दिया गया। वर्तमान में इस भवन में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र संचालित किया जा रहा है। दुर्भाग्यपूर्ण तो यह है कि इस भवन से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का बोर्ड हटाकर यहां प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का बोर्ड लगा दिया गया है।

प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में उपलब्ध सुविधाओं के अभाव में इस समूचे क्षेत्र में ग्रामीणों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। एक्सरे, अल्ट्रासाउंड के साथ ही छोटे-मोटे इलाज के लिए 30 से 60 किलोमीटर दूर अल्मोड़ा जाना होता है।

गरीब परिवारों के लिए दूर अल्मोड़ा जाकर इलाज करा पाना संभव नहीं हो पाता। जिस कारण कई मरीज इलाज के अभाव में दम तोड़ देते हैं। गर्भवती महिलाएं समय पर अल्ट्रासाउंड व प्रसव पूर्व की अन्य जांचें नहीं कर पा रही हैं। शासन—प्रशासन को कई बार अवगत कराए जाने के बाद भी कोई सकारात्मक कार्रवाई नहीं हो पाई।

ज्ञापन देने वालों में ग्राम प्रधान संगठन के महासचिव नरेंद्र सिंह, वन पंचायत सरपंच संगठन के अध्यक्ष डूंगर सिंह, लोक प्रबंध विकास संस्था के ईश्वर जोशी, संसाधन पंचायत की अध्यक्ष चंपा मेहता, सचिव निर्मल नयाल, मल्ला स्यूनरा विकास मंच के चंदन सिंह, ग्राम प्रधान ज्योति देवी, हेमंत कुमार, अशोक भोज, दीप्ति भोजक, चेतन जोशी आदि शामिल थे।

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