आदेश : शिकायतकर्ता को 77 हजार से अधिक का भुगतान करेगी इंश्योरेंस कंपनी

जिला उपभोक्ता आयोग अल्मोड़ा का फैसला आयोग ने क्लेम ना देने पर दि न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी को माना दोषी सीएनई रिपोट्रर, अल्मोड़ा जिला उपभोक्ता…

  • जिला उपभोक्ता आयोग अल्मोड़ा का फैसला
  • आयोग ने क्लेम ना देने पर दि न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी को माना दोषी

सीएनई रिपोट्रर, अल्मोड़ा

जिला उपभोक्ता आयोग अल्मोड़ा ने अपने फैसले में दि न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी को आधारहीन तथ्यों के आधार पर वाहन का क्लेम नहीं देने का दोषी माना है। साथ ही शिकायतकर्ता टैक्सी चालक को 77 हजार 98 रूपये का भुगतान करने का आदेश दिया है। जिसमें ओडी क्लेम 62,098, मानसिक क्षतिपूर्ति 10,000 व 5 हजार का वाद व्यय सम्मलित है।

दरअसल, दीप चंद्र नैनवाल पुत्र बची राम निवासी ग्राम मणुली, तहसील भिकियासैंण, अल्मोड़ा ने दि न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लि. शाखा कार्यालय एलआर साह बिल्डिंग, अल्मोड़ा के शाखा प्रबंधक के विरूद्ध जिला उपभोक्ता विवाद परितोष आयोग में एक शिकायत दर्ज की थी। जिसमें विपक्षी के विरूद्ध ओडी क्लेम की धनराशि रूपये 2,61,408.20 मय 12 प्रतिशत ब्याज, मानसिक क्षतिपूर्ति रूपये 25000 व वाद व्यय 12000 दिलवाये जाने हेतु कहा गया था।

शिकायत के तथ्यों के अनुसार शिकायतकर्ता वाहन संख्या यूके 01टीए—2481 टाटा सूमो का पंजीकृत वाहन स्वामी है। इस वाहन का प्रयोग वह टैक्सी के रूप में करके अपनी जीवका अर्जन करता है। 20 अक्टूबर 2017 को शिकायतकर्ता रोज की तरह टैक्सी संचालन कर मणुली मोटर मार्ग पर सड़क किनारे वाहन खड़ा करके अपने घर को चला गया। उसी दिन शाम करीब 8.30 बजे एक व्यक्ति ने उसे वाहन में आग लगने की सूचना दी। जब वह वहां पहुंचा तो आस—पास के दुकानदार व अन्य लोग टाटा सूमो में पानी डालकर आग बुझाने का कार्य कर रहे थे, लेकिन तब तक वाहन अधिकांश रूप से जल चुका था। शिकायतकर्ता द्वारा घटना की लिखित तहरीर राजस्व पुलिस नैनवाल पाली, तहसील भिकियासैंण, अल्मोड़ा को दी गई। शिकायतकर्ता के सभी दस्तावेज रजिस्ट्रेशन, इंश्योरेंस, फिटनेस, टैक्स परमिट, डीएल आदि वैध हैं।

इस घटना की सूचना शिकायतकर्ता ने कंपनी को 31 अक्टूबर, 2017 को दी। विपक्षी बीमा कंपनी के कर्मचारियों द्वारा उसी दिन शिकायतकर्ता के वाहन में हुए नुकसन के ओडी क्लेम के संबंध में फार्म भरवाने तथा औपचारिकताएं पूर्ण करने की कार्रवाई की गई। विपक्षी द्वारा कहा गया कि सर्वेयर से वाहन में आग लगने की घटना की जांच करवाई जा रही है। जिसके उपरांत वाहन में हुए नुकसान का ओडी क्लेम का भुगतान शिकायतकर्ता को कर दिया जायेगा।

चूंकि उक्त वाहन शिकायतकर्ता की आजीविका एकमात्र साधन है और वाहन में आग लग जाने से उसके परिवार में गम्भीर आर्थिक संकट पैदा हो गया। इसलिए उसने वाहन को ठीक करवाने के लिए कमलेश चंद्र बड़ोला की वर्कशॉप में भिजवाया। जहां वाहन को ठीक करवाने में 2,61,408.20 खर्चा आना बताया गया। शिकायतकर्ता द्वारा उक्त वाहन को स्वयं के खर्चे से ठीक करवा कर वाहन के ओडी क्लेम का भुगतान हेतु बिल विपक्षी कंपनी को प्रस्तुत किया गया, परंतु विपक्षी ने क्लेम का भुगतान नहीं किया। जिस पर शिकायतकर्ता ने 27 जुलाई, 2019 को उक्त वाहन के ओडी क्लेम के संबंध में सूचना के अधिकार के तहत सूचना मांगी, तो उन्हें सूचना नहीं दी गई। 13 अगस्त, 2019 को विपक्षी के शाखा प्रबंधक द्वारा शिकायतकर्ता को सूचना दी गई कि वाहन के ओडी क्लेम की फाइल अंतिम रूप से बंद कर दी गई है। उक्त पत्र का उत्तर देते हुए शिकायतकर्ता द्वारा विपक्षी को 4 नवंबर 2019 को पंजीकृत नोटिस अधिवक्ता के माध्यम से भिजवाया गया। जिस पर विपक्षी द्वारा अपने पत्र में 13 अगस्त, 2019 में ओडी क्लेम न देने का आधार शिकायतकर्ता के ड्राइविंग लाइसेंस में पर्वतीय क्षेत्र का पृष्ठांकन नहीं होने की बात कही गई।

शिकायतकर्ता द्वार अपने पंजीकृत वाद में पंजीकृत नोटिस, बीमा कंपनी के पत्र, बीमा पालिसी, आरटीओ कार्यालय को दिये गये पत्र, बीमा कंपनी के आरटीआई पत्र, बिल के पर्चे आदि दस्तावेज अपने वाद में प्रस्तुत किये। फोरम ने दोनों पक्षों के अधिवक्तागणों को सुना। आयोग ने कहा कि जहां तक विपक्षीगण की यह आपत्ति है कि अग्निकांड के समय शिकायतकर्ता के ड्राइविंग लाइसेंस में पर्वतीय क्षेत्रों में वाहन चलाने का पृष्ठांकन नहीं है, यह आधारहीन प्रतीत होता है, क्योंकि यहां पर वाहन दुर्घटनाग्रस्त नहीं हुआ, बल्कि खड़े वाहन में आग लगने के कारण वाद उत्पन्न हुआ है।

आयोग ने सुनाया यह फैसला —

आयोग ने यह भी माना कि​ शिकायतकर्ता मरम्मत से संबंधित देयकों को प्रमाणित नहीं कर पाया है। आयोग ने फैसले में आगे कहा कि विपक्षी बीमा कंपनी के सर्वे रिपोर्ट 15 अगस्त, 2018 के अनुसार वाहन में क्षति 62,098 बताई गई। आयोग ने माना कि चूंकि सर्वेयर बीमा कंपनी का अधिकृत प्रतिनिधि होता है इसलिए सर्वे रिपोर्ट मानने के लिए बीमा कंपनी बाध्य थी, परंतु उसके द्वारा ऐसा न करके आधारहीन तथ्यों के आधार पर वाहन का क्लेम निरस्त कर सेवा में कमी की गई है। इसलिए शिकायतकर्ता को ओडी क्लेम की धनराशि 62,098, मानसिक क्षतिपूर्ति 10 हजार व वाद व्यय 5 हजार की धनराशि का भुगतान निर्णय की तारीख से एक माह के भीतर भुगतान करने का आदेश दिया गया। ​यह भी कहा गया कि यदि विपक्षी बीमा कंपनी नियत तिथि में भुगतान नहीं करती है तो विपक्षी बीमा कंपनी उपरोक्त समस्त धनराशि पर आदेश की तिथि से वास्तविक भुगतान की तिथि तक 6 प्रतिशत की वार्षिक ब्याज दर से वार्षिक ब्याज भी शिकायतकर्ता को अदा करेगी। शिकायतकर्ता की ओर से उसकी प्रबल पैरवी अधिवक्ता रोहित कार्की द्वारा की गई। आदेश अध्यक्ष मलिक मजहर सुल्तान व सदस्य चंचल सिंह​ बिष्ट द्वारा हस्ताक्षरित किया गया।

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