ब्रेकिंग हल्द्वानी: कोटाबाग में भतीजी के हत्यारोपी चाचा व उसके बेटे को जिला एवं सत्र न्यायालय से मिली जमानत

हल्द्वानी। लगभग सवा महीने पहले कोटाबाग के दूरस्थ गाँव फतेहपुर स्यात में पारिवारिक विवाद में अपनी ही भतीजी की हत्या करने के आरोपी पिता व…

हल्द्वानी। लगभग सवा महीने पहले कोटाबाग के दूरस्थ गाँव फतेहपुर स्यात में पारिवारिक विवाद में अपनी ही भतीजी की हत्या करने के आरोपी पिता व उसके पुत्र को आज जिला एवं सत्र न्यायालय नैनीताल से जमानत मिल गई है।
मृतका के पिता लक्ष्मीदत्त द्वारा दिनांक 18 अप्रैल 2020 को लिखाई गई प्रथम सूचना रिपोर्ट के अनुसार दिनांक 16 अप्रैल को दिन में करीब 11 बजे उसके भाई शिवदत्त ने उसके खेत में पशु बांध रखे थे। जब उसने शिवदत्त को अपने पशु अलग बांधने को कहा तो शिवदत्त, उसकी पत्नी व उसके लड़के बंशीधर ने उसके साथ मारपीट व गालीगलौज की, शोरगुल सुनकर लक्ष्मीदत्त की पुत्री भावना व पत्नी मौके पर आए और उसे बचाने का प्रयास किया तो तीनों आरोपियों ने उनके साथ मारपीट शुरू कर दी तथा जान से मारने की धमकी देने लगे और तीनों ने मिलकर भावना के मुँह में जहरीला पदार्थ डाल दिया। दौरान उपचार भावना की 17 मई 2020 को मृत्यु हो गई थी।
अभियुक्तगण की तरफ से अधिवक्ता प्रदीप लोहनी तथा अभियोजन पक्ष से शासकीय अधिवक्ता (फौजदारी) एस. के. शर्मा ने बहस की। अभियुक्तगण के अधिवक्ता प्रदीप लोहनी ने तर्क दिया कि आरोपियों को इस मामले में जमीन व पुश्तेनी मकान के विवाद की पारिवारिक रंजिश के कारण झूठा फंसाया गया है। उन्होंने कहा कि मृतका को उनके मुवक्किलों द्वारा जबरन जहर पिलाने का आरोप असत्य है, उसने अपने क्रोधी स्वभाव व अभियुक्तगण से पारिवारिक वैमनस्य के कारण उन्हें दहलाने के लिए जहर पीने का स्वांग किया जो आत्महत्या है। अधिवक्ता प्रदीप लोहनी ने यह भी तर्क दिया कि अभियुक्त शिवदत्त 50% विकलांग हैं उसका बायां हाथ कलाई से आधा कटा हुआ हैं व उसे बोलने-सुनने में भी दिक्कत है तथा उसकी पत्नी भी विकलांग हैं। ऐसे में दो विकलांग व्यक्ति तीन स्वस्थ व्यक्तियों से मारपीट करें व लड़की को जबरदस्ती जहरीला पदार्थ पिला दे, ऐसा संभव नहीं है।
जमानत का विरोध करते हुए जिला शासकीय अधिवक्ता (फ़ौजदारी) एस के शर्मा ने तर्क दिया कि प्रथम सूचना रिपोर्ट में अभियुक्तगण नामजद हैं तथा वादी मुकदमा व अन्य गवाहों के बयानों में मृतका भावना को अभियुक्तगण द्वारा जान से मारने की नीयत से जहर पिलाने व मारपीट किये जाने की बात सामने आई है। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि मृतका की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी संदिग्ध पॉइज़निंग आया है, इसलिए जमानत का विरोध किया जाता है।
दोनों अधिवक्ताओं के तर्क सुनने तथा सुनवाई के समय उजागर हुए तथ्यों के आधार पर माननीय सत्र न्यायाधीश आर के खुल्वे की कोर्ट ने अभियुक्तगण को धारा 34/302/323/504/506 भारतीय दण्ड संहिता में जमानत पर रिहा करने का आदेश पारित किया।

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