सर्च ऑपरेशन युद्ध स्तर पर जारी
CLOUD BURST IN UTTARKASHI : उत्तराखंड में मानसून की शुरूआत बादल फटने के साथ हुई है। प्रदेश के विभिन्न जनपदों में भारी बारिश की सूचना है। उत्तरकाशी जनपद अंतर्गत यमुनोत्री हाईवे पर पालीगाड़ ओजरी डाबरकोट के बीच सिलाई बैंड के पास बीती रात बादल फटा। यहां होटल निर्माण स्थल तबाह हो गया है। नदी—नालों के भारी उफान पर रहने के चलते करीब नौ मजदूरों के लापता होने की सूचना है। वहीं, यमुनोत्री हाईवे बंद हो गया है।

मिली जानकारी के मुताबिक बीती देर रात करीब 12 बजे से उत्तरकाशी में भारी बारिश शुरू हो गई। बड़कोट में सड़क निर्माण व अन्य कार्य में लगे कुछ लोग टेंट लगाकर रह रहे थे। तेज सैलाब आने पर वह बह गए हैं। अभी तक आठ से नौ लोगों के लापता होने की खबर है। ये सभी नेपाली मूल के हैं। उत्तरकाशी डीएम प्रशांत आर्य का कहना है कि टीम ने लापता हुए लोगों की खोजबीन शुरू कर दी गई है।

उत्तराखंड में भारी बारिश
घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस-प्रशासन, एसडीआरएफ की टीम मौके पर पहुंची और लापता लोगों की तलाश में जुट गई है। लापता मजदूरों में महिलाएं भी शामिल बताई जा रही हैं। वहीं लापता मजदूरों की संख्या बढ़ने की भी संभावना है।
बीते दो दिन से लगातार बारिश
बताना चाहेंगे कि जनपद मुख्यालय में बीते दो रोज से लगातार बारिश हो रही है। देर रात तहसील बड़कोट के सिलाई बैंड के पास अतिवृष्टि व बादल फटने से भारी तबाही हुई। वहीं यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग सिलाई बैंड के पास दो-तीन स्थानों पर बाधित हो गया है, जिसके संबंध में एनएच बड़कोट को जानकारी दे दी गई है। कुथनौर में भी अतिवृष्टि व बादल फटने के कारण स्थानीय ग्रामीणों की कृषि भूमि को नुकसान पहुंचने की सूचना है। वर्तमान समय में कुथनौर में स्थिति सामान्य है, किसी प्रकार की कोई जनहानि व पशुहानि नहीं हुई है।
यमुनोत्री हाईवे कई जगह बंद
बादल फटने के बाद से यमुनोत्री हाईवे सिलाई बैंड समेत कई जगहों पर बंद है। एनएच की टीम रास्ता खोलने के प्रयास में जुटी है। वहीं, ओजरी के पास भी सड़क पूरी तरह से खत्म हो गई है। खेतों में मलबा भर गया है। स्यानाचट्टी में भी कुपड़ा कुंशाला त्रिखिली मोटर पुल खतरे में आ गया है। यमुना नदी का भी जलस्तर बढ़ा हुआ है।
इन जिलों भारी बारिश का रेड अलर्ट
बीते कुछ दिनों से उत्तराखंड में मानसून पूरी तरह से सक्रिय है। आज (रविवार) से अगले तीन दिन तक प्रदेश के सात जिलों में भारी से भारी बारिश की चेतावनी जारी की गई है। जबकि अन्य कई जिलाें में भी तेज दौर की बारिश के आसार हैं। मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक बिक्रम सिंह ने बताया कि 29 जून से लेकर एक जुलाई तक दून समेत टिहरी, पौड़ी, चम्पावत, हरिद्वार, नैनीताल और ऊधमसिंह नगर जिले के कुछ इलाकों में भारी से भारी बारिश का रेड अलर्ट जारी किया गया है।
जबकि रुद्रप्रयाग, चमोली, उत्तरकाशी, पिथौरागढ़ और बागेश्वर जिले के भी कुछ हिस्सों में कई दौर की भारी बारिश का अलर्ट जारी किया गया है। लोगों को हिदायत देते हुए उन्होंने कहा कि इन तीन दिनों में जलभराव, भूस्खलन होने के साथ नदी-नालों का जलस्तर बढ़ सकता है। ऐसे में दिन के साथ रात के समय भी अधिक सतर्क रहें और नदी-नालों के आसपास जाने से परहेज करें। इसके अलावा आवश्यक न हो तो पर्वतीय इलाकों में यात्रा करने से बचें।
वहीं भारी बारिश से ओजरी के पास रोड पूरी वॉशआउट हो गई और खेत मलबे से पट गए हैं।भारी बारिश से नदी-नाले उफान पर हैं और कई संपर्क मार्ग मलबा और बोल्डर गिरने से लगातार बाधित हो रहे हैं।
मलबा आने से थम गया यमुना का बहाव थमा, झील बनी
यमुनोत्री हाईवे पर स्थित स्याना चट्टी के पास कुपड़ा कुनसाला मोटर मार्ग पर पुल के पास ऊपर से भारी मलवा बोल्डर आने से यमुना नदी का बहाव थम गया और यहां झील बननी शुरू हो गई। स्थानीय लोगों के साथ यमुना नदी तटवर्ती क्षेत्र में रह रहे लोगों में हड़कंप मचा हुआ है। स्थानीय निवासी जयपाल सिंह रावत ने बताया कि यहां होटल की सीढ़ी तक पानी पहुंच गया है।
मौसम विभाग ने जारी किया भारी बारिश का रेड अलर्ट
उत्तराखंड में मानसून पूरी तरह से सक्रिय हो चुका है। मौसम विभाग ने अगले तीन दिन तक प्रदेश के सात जिलों में भारी से भारी बारिश की चेतावनी जारी की गई है। जबकि अन्य कई जिलाें में भी तेज दौर की बारिश के आसार हैं। मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक बिक्रम सिंह ने बताया कि 29 जून से लेकर एक जुलाई तक दून समेत टिहरी, पौड़ी, चम्पावत, हरिद्वार, नैनीताल और ऊधमसिंह नगर जिले के कुछ इलाकों में भारी से भारी बारिश का रेड अलर्ट जारी किया गया है।
जबकि रुद्रप्रयाग, चमोली, उत्तरकाशी, पिथौरागढ़ और बागेश्वर जिले के भी कुछ हिस्सों में कई दौर की भारी बारिश का अलर्ट जारी किया गया है। लोगों को हिदायत देते हुए उन्होंने कहा कि इन तीन दिनों में जलभराव, भूस्खलन होने के साथ नदी-नालों का जलस्तर बढ़ सकता है। ऐसे में दिन के साथ रात के समय भी अधिक सतर्क रहें और नदी-नालों के आसपास जाने से परहेज करें। इसके अलावा आवश्यक न हो तो पर्वतीय इलाकों में यात्रा करने से बचें।