सीएनई रिपोर्टर, कपकोट। विकास के तमाम आधुनिक दावों और चमचमाती घोषणाओं के बीच, उत्तराखंड के कपकोट स्थित बड़ेत ग्राम पंचायत के कफलानी तोक की सच्चाई दिल दहला देने वाली है। यहाँ के ग्रामीणों की ज़िंदगी सड़क के अभाव में थम सी गई है, जहाँ हर बीमारी और आपातकाल एक जीवन-मौत की जंग बन जाता है। गाँव के लोगों को आज भी अपने बीमारों और बुजुर्गों को अस्पताल तक पहुँचाने के लिए डोली का सहारा लेना पड़ता है, तीन किलोमीटर का पीड़ादायक सफ़र तय करके।

सोमवार को गाँव में फिर वही हृदय विदारक दृश्य देखने को मिला। गाँव के बद्री गोस्वामी, दलीप सिंह, मोहन नाथ, दीवान सिंह, उम्मेद सिंह, दयाल सिंह, दिनेश नाथ, चंदन, किशन और त्रिलोक ने मिलकर बीमार रतन सिंह को डोली में बैठाकर मुख्य सड़क तक पहुँचाया।
बद्री गोस्वामी ने बताया कि 58 वर्षीय रतन सिंह, जो बीएसएफ से रिटायर्ड हैं और लंबे समय से बीमार हैं, उनके खाने के लिए नाक में पाइप (एनजी ट्यूब) लगी हुई है। उन्हें हर सप्ताह या 10 दिन में हल्द्वानी के निजी अस्पताल ले जाना पड़ता है। इससे ठीक एक दिन पहले रविवार को 65 वर्षीय खष्टी देवी को भी तेज पेट दर्द होने पर डोली में उठाकर बागेश्वर अस्पताल पहुँचाया गया।
विकास कहाँ गया? 💔 | बीमार बुजुर्गों को कंधे पर ढोते ग्रामीण, कफलानी तोक की हृदय विदारक कहानी, Video –
ग्रामीणों का दर्द: “हमारा स्वस्थ जीवन तो बुजुर्गों और बीमारों को गाँव से सड़क और सड़क से घर तक ढोने में ही गुज़र रहा है।”
पैदल रास्ते भी जर्जर, वर्षों से है सड़क की गुहार
ग्रामीणों का कहना है कि वर्षों से सड़क निर्माण की मांग की जा रही है, लेकिन शासन-प्रशासन ने अब तक कोई कार्रवाई नहीं की। गाँव के पैदल रास्ते भी इतने खराब और खतरनाक हैं कि बीमार या बुजुर्ग को डोली में लाना-ले जाना बेहद मुश्किल और जोखिम भरा हो गया है।
कफलानी तोक के निवासियों ने उत्तराखंड सरकार से भावुक अपील की है कि जल्द से जल्द उनके गाँव तक सड़क का निर्माण कराया जाए, ताकि उन्हें और उनके बीमार अपनों को इस रोज़ की पीड़ा से हमेशा के लिए राहत मिल सके।
