जगमोहन रौतेला
हल्द्वानी। मई दिवस जिंदाबाद, दुनिया के मजदूरों, सभी गरीबों एक हो, 8 घण्टा काम के घंटे को 12 घण्टा करने की कोशिश बंद करो, धर्म के आधार पर मेहनतकशों को बांटना बंद करो, लॉकडाउन और कोविड-19 का सारा आर्थिक बोझ मजदूरों पर लादना बन्द करो, खाना मांग रहे प्रवासी मजदूरों पर लाठी,मुकदमा ,जेल और पूंजीपतियों को टैक्स में छूट नहीं चलेगा,फासीवाद-पूंजीवाद का नाश हो, इंकलाब जिंदाबाद के नारों के साथ लॉकडाउन नियमोँ का पालन करते हुए ट्रेड यूनियन संगठन ऐक्टू और भाकपा (माले) के कार्यकर्ताओं ने अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस को अपने अपने घरों में मनाया।
भाकपा (माले) राज्य सचिव राजा बहुगुणा ने कहा कि, “इस बार का मई दिवस ऐसी असाधारण परिस्थितियों में मनाया जा रहा है जब पूरी दुनिया में कोरोना महामारी फैली है और भारत में मोदी सरकार ने बिना किसी योजना के अचानक ही देश भर में लॉकडाउन की घोषणा कर दी। इस लॉकडाउन की सबसे बुरी मार असंगठित खासकर प्रवासी मजदूरों पर पड़ी है, जो मजबूरन विभिन्न राज्यों में बिना भोजन या आसरे के फंसे हुए हैं। ये असंगठित मजदूर भूख और बेरोजगारी झेल रहे हैं, और तिस पर एक बड़ा स्वास्थ्य संकट भी। लॉकडाउन वेतन देने, छंटनी ना होने, और राशन की समुचित आपूर्ति करने के सारे वादे जुमले साबित हुए हैं।”
ट्रेड यूनियन ऐक्टू नेता डॉ कैलाश पाण्डेय ने कहा कि, “मई दिवस पर शहादत के बाद हासिल आठ घंटे के कार्य दिवस के अधिकार को मोदी सरकार खत्म कर बारह घंटे के कार्यदिवस में बदलना चाहती है यह न सिर्फ मजदूर विरोधी बल्कि मनुष्य विरोधी है, इसका पुरजोर विरोध करने का संकल्प आज मजदूर दिवस के दिन मजदूर वर्ग ले रहा है।” एक्टू नेता ने कहा कि, “फ्रंट लाइन हेल्थ कर्मियों को, आशा वर्कर्स और स्कीम और सफाई कर्मी समेत, ना सिर्फ बगैर पीपीई, आदि की समुचित सुरक्षा के कोरोना से लड़ने के लिए मजबूर किया जा रहा है जिसके चलते वे वायरस का शिकार भी बन रहे हैं, बल्कि उन्हें कलंकित होने और शारीरिक हमलों की पीड़ा भी झेलने पड़ रही है।
साथ ही, फ्रंट लाइन हेल्थ वर्कर्स खासकर सबसे निचले पायदान पर मौजूद आशा और सफाई कर्मियों को इस सकंट के दौर में कड़ी आर्थिक मुश्किलों के साथ काम करना पड़ रहा है। हम इनके साथ मजबूती से खड़े हैं और इनके लिए संघर्ष जारी रखने का संकल्प मई दिवस के अवसर पर लेते हैं।” डॉ. पाण्डेय ने कहा कि, “मोदी सरकार ने डेढ़ साल तक केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों का डीए रोकने का आदेश दे दिया है। इससे हर क्षेत्र के कर्मचारियों का, जिनमें औद्योगिक मजदूर भी शामिल हैं, डीए रोकने का, और अन्य भत्ते रोकने का रास्ता साफ हो गया है, यह मनमानी नहीं चलेगी।”
मजदूर दिवस के अवसर पर विभिन्न स्थानों में अपने घर पर संकल्प लिया गया कि कोरोना महामारी के दौर में सभी की सुरक्षा और स्वास्थ्य के वास्ते मुफ्त जाँच और इलाज के लिए, फ्रंट लाइन वर्कर्स, स्वास्थ्य, स्कीम और सफाई कर्मियों को पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्वीपमेंट (पीपीई) उपलब्ध कराने के लिए, इन कर्मियों को कलंकित करने के खिलाफ,विशेष प्रवासी मजूदर कार्ययोजना के लिए और प्रवासी मजदूरों की सुरक्षित घर वापसी के वास्ते मुफ्त विशेष परिवहन के लिए, सभी असंगठित मजूदरों को, खेत एवं ग्रामीण मजदूरों समेत, पूरा लॉकडाउन वेतन और कम से कम अगले छः महीने तक 10,000 रु. प्रतिमाह निर्वाह-भत्ता और मुफ्त राशन सुनिश्चित करने के लिए,मौजूदा सामाजिक सुरक्षा, पेशेगत सुरक्षा एवं स्वास्थ्य मानकों की रक्षा और इन्हें सार्वभौमिक बनाने के लिए, सामाजिक सुरक्षा, ईएसआई, पीएफ, पेंशन और ग्रेच्युटी, आदि के दायरे में अनौपचारिक क्षेत्र समेत सभी मजदूरों को लाने के लिए, आठ घंटे के कार्य दिवस के अधिकार और अपने अन्य सभी अधिकारों की रक्षा के लिए, ठेका प्रथा को रद्द करने और सभी ठेका और अनियमित मजदूरों की सेवाओं को नियमित करने के लिए,
44 श्रम कानूनों को खत्म कर मजदूरों की गुलामी के चार कोड बनाने के खिलाफ, छंटनी, वेतन कटौती और डीए रोकने के खिलाफ, मुफ्त, जन स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए, सरकारी क्षेत्र और सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों के निजीकरण एवं 100 प्रतिशत एफडीआई के खिलाफ, जन स्वास्थ्य को बहुराष्ट्रीय निगमों को सौंपने के खिलाफ,’पहले मुनाफा, बाद में जनता’ की नीति के खिलाफ, और सरकार की कोविड-19 द्वारा बदतर हुए आर्थिक संकट के पूरे बोझ को मजूदरों के कंधों पर डालने की साजिश के खिलाफ, काॅरपोरेटों पर 10 प्रतिशत कोरोना टैक्स लगाने के लिए,आरएसएस-भाजपा द्वारा कोरोना के बहाने मजदूर वर्ग एकता और मेहनतकश जनता की एकता को तोड़ने के मकसद से नफरत और अंधविश्वास फैलाने, मुसलमानों और दलितों को कलंकित करने और साम्प्रदायिक अभियान चलाने की सभी कोशिशों का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए,दुनिया के मजदूरों और समस्त जनता पर अपना प्रभुत्व लादने के मकसद से साम्राज्यवाद द्वारा चलाये जा रहे हमलों को शिकस्त देने के लिए,शोषणकारी पूंजीवादी व्यवस्था के खात्मे की दिशा में और शोषणमुक्त, आधिपत्य से मुक्त, हर तरह के भेदभाव और दमन से मुक्त, एक नये समाज, समाजवादी समाज के निर्माण की ओर मजदूरों के संघर्ष को और तेज करने के लिए एक्टू का संघर्ष जारी रहेगा।
कोरोना लॉकडाउन के नियमों का पालन करते हुए विभिन्न स्थानों में मई दिवस मनाने वालों में राजा बहुगुणा, बहादुर सिंह जंगी, डॉ कैलाश पाण्डेय, के के बोरा, ललित मटियाली, विमला रौथाण, कमल जोशी, सुधा देवी, गोपाल सिंह,विनोद कुमार, अकील अहमद, के पी चंदोला, किशन बघरी, पुष्कर दुबडिया, राजेन्द्र शाह, भाष्कर कापड़ी आदि शामिल रहे।