हल्द्वानी अपडेट। हल्द्वानी में रेलवे की 29 एकड़ भूमि पर हाईकोर्ट ने अतिक्रमण हटाने को लेकर दायर जनहित याचिका और अतिक्रमणकारियों की ओर से पक्षकार बनाने से संबंधित प्रार्थना पत्रों पर सुनवाई की। कोर्ट ने अतिक्रमणकारियों की ओर से दाखिल प्रार्थना पत्रों को रिकार्ड पर ले लिया और कहा कि मामले में अंतिम सुनवाई में इसको शामिल किया जाएगा। अतिक्रमणकारियों का कहना था कि उन्होंने भूमि को वैध तरीके से खरीदा है, लिहाजा उनका पक्ष सुना जाए।
रेलवे की भूमि पर अतिक्रमण मामले में बड़ी अपडेट
शुक्रवार को न्यायाधीश न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा व न्यायमूर्ति रमेश चंद्र खुल्बे की खंडपीठ में हल्द्वानी गौलापार निवासी रविशंकर जोशी की जनहित याचिका तथा मदरसा गुंसाई गरीब नवाज़ रहमतुल्लाह के संरक्षक मोहम्मद इदरीश अंसारी की हस्तक्षेप याचिका पर सुनवाई हुई। उनका कहना था कि रेलवे बिना नोटिस जारी कर हटाने की कार्रवाई कर रहा है। जनहित याचिका में दूसरी पीठ ने सुनवाई के बाद निर्णय सुरक्षित रखा है।
जनहित याचिका में कहा गया कि रेलवे ने अभी तक भूमि का डिमार्केशन नहीं किया है । इस मामले में रेलवे और राज्य सरकार की ओर से जवाब दाखिल किया जा चुका है। बता दें कि नौ नवंबर 2016 को हाई कोर्ट ने रविशंकर जोशी की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए 10 सप्ताह में रेलवे की जमीन से अतिक्रमण हटाने का आदेश पारित किया था। कोर्ट ने कहा था कि जितने भी अतिक्रमणकारी है, उनको रेलवे पीपीएक्ट के तहत नोटिस देकर जनसुनवाई करे।
हल्द्वानी में रेलवे की 29 एकड़ भूमि पर अतिक्रमण किया गया है जिनमे करीब 4365 परिवार हैं। हाई कोर्ट के आदेश पर इन लोगो को पीपीएक्ट में नोटिस दिया गया, जिनकी रेलवे ने पूरी सुनवाई कर ली है। किसी भी व्यक्ति के पास जमीन के वैध कागजात नहीं हैं। दिसंबर 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने रेलवे के विस्तार को देखते हुए रेलवे की भूमि पर अतिक्रमण करने वालों में पटरी के आसपास रहने वालों को दो सप्ताह और उसके बाहर रहने वाले लोगो को छह सप्ताह के भीतर नोटिस हटाने के आदेश पारित किए थे।
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