अच्छी ख़बर : देव भूमि उत्तराखंड के पवित्र तीर्थ व पर्यटन स्थल होंगे कचरा मुक्त

✒️ चार धाम यात्रा से पूर्व जारी होगी एसओपी, एनजीटी के आदेश पर कमेटी का गठन सीएनई रिपोर्टर। उत्तराखंड से एक अच्छी ख़बर है। यहां…

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✒️ चार धाम यात्रा से पूर्व जारी होगी एसओपी, एनजीटी के आदेश पर कमेटी का गठन

सीएनई रिपोर्टर। उत्तराखंड से एक अच्छी ख़बर है। यहां के प्रमुख तीर्थस्थलों के पैदल मार्गों को अब प्रदूषण रहित बनाया जायेगा। कूड़े के तत्काल निस्तारण के लिए तीर्थ व पर्यटन स्थलों की सीसीटीवी कैमरों से निगरानी होगी। बकायदा चार धाम यात्रा के लिए सरकार ने एनजीटी के आदेश पर प्रदेश के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक कमेटी का भी गठन किया है।

जानिए क्या है एनजीटी यानी National Green Tribunal (NGT)

आपको बता दें कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) राष्ट्रीय हरित अधिकरण अधिनियम, 2010 के तहत गठित एक वैधानिक और विशिष्ट निकाय है। हमारे देश में राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण अधिनियम, 2010 द्वारा नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की स्थापना की गई है। यह 02 जून 2010 को भारत में अस्तित्व में आया था। इसके कार्य व अधिकार क्षेत्र में मुख्य रूप से जल प्रदूषण, वन संरक्षण, पर्यावरण संरक्षण, जैव विविधता आदि केे मामले आते हैं। एनजीटी के आदेशों की अवहेलना करने वालों को जेल और भारी-भरकम जुर्माना चुकाना पड़ सकता है।

चार धाम यात्रा को लेकर एनजीटी का आदेश

उत्तराखंड के तीर्थ व पर्यटन स्थल होंगे कचरा मुक्त : एनजीटी के आदेशनुसार शासन द्वारा मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कमेटी गठित हुई है। यह कमेटी यात्रा शुरू होने से पहले एक एसओपी जारी करेगी। तीर्थ व पर्यटन स्थलों में सीसीटीवी कैमरों से निगरानी के आदेश हैं। पर्यटन स्थलों के कूड़ा डंपिंग जोन अनिवार्य रूप से बनाने को कहा गया है। यही नहीं, चार धाम यात्रा के दौरान घोड़े-खच्चरों की वजह से होने वाली गंदगी हटाने हेतु भी एक योजना बनेगी।

प्रदेश सरकार की चल रही कवायद

प्रदेश की धामी सरकार अब केदारनाथ, यमुनोत्री समेत सभी प्रमुख तीर्थ स्थलों के पैदल मार्गों को प्रदूषणमुक्त बनाने को कृत संकल्प है। जल्द ही कार्ययोजना भी बनेगी। याद दिला दें कि 22 अप्रैल, 2023 से चारधाम यात्रा शुरू होने जा रही है। इससे पूर्व ही तीर्थ स्थलों को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए एक एसओपी भी जारी होनी है।

कमेटी में यह लोग हैं शामिल

राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के आदेश पर राज्य सरकार कार्ययोजना तैयार करने में जुटी है। इसके लिए एक 12 सदस्यीय कमेटी को बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई है। इस कमेटी के अध्यक्ष मुख्य सचिव डॉ. एसएस संधु हैं। इस कमेटी में अपर मुख्य सचिव या प्रमुख सचिव वन, पुलिस महानिदेशक, निदेशक गोविंद बल्लभ पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान, निदेशक वन्यजीव संस्थान देहरादून, जिलाधिकारी रुद्रप्रयाग, उत्तरकाशी सदस्य बनाए गए हैं। इसके अलावा प्रमुख वन संरक्षक। सदस्य सचिव उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, देहरादून। निदेशक, पर्यावरण संरक्षण एवं जलवायु परिवर्तन निदेशालय। मुख्य कार्यकारी अधिकारी, उत्तराखंड पर्यटन विकास बोर्ड। प्रभागीय वनाधिकारी रुद्रप्रयाग व उत्तरकाशी। यह सभी कमेटी में विशेष आमंत्रित सदस्य हैं।

तीर्थ व पर्यटन स्थलों पर अब तक की रिपोर्ट

एनजीटी के आदेश पर गठित अध्ययन समिति द्वारा एक निरीक्षण हुआ है। जिसमें जो रिपोर्ट सामाने आई है उसमें कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। पाया गया है कि केदारनाथ, यमुनोत्री और हेमकुंड साहिब ठोस और प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन बेहद खराब स्थिति में है। ट्रैक पर प्लास्टिक का भारी कचरा और घोड़े-खच्चरों के मल इधर-उधर दिखाई दिये। यह भी पाया गया कि इन परिस्थितियों से निपटने व मल-कचरा निपटारे के लिए कोई भी व्यवस्था अब तक नहीं बनी है। सफाई कर्मचारियों की कार्यशैली भी हैरान करने वाली है। वह कचरे मो ट्रैक के किनारे से मात्र बहा दिया करते हैं।

सरकार को इन प्रमुख सिफारिशों पर करना है गौर

✒️ यात्रा मार्ग पर घोड़े-खच्चरों की संख्या का मूल्यांकन होना है।

✒️ कचरे के संग्रहण व परिवहन की उचित व्यवस्था करनी है।

✒️ प्लास्टिक का जो भी कचरा होगा उसे रजिस्टर्ड रिसाइकलरों की मदद से निपटाया जायेगा।

✒️ घोड़ों के पड़ाव व आश्रय स्थलों के लिए पर्याप्त जगह उपलब्ध कराने के निर्देश हैं।

✒️ यात्रा मार्ग पर जानवरों के मल को नियमित अंतराल पर साफ करना होगा।

✒️ पशु चिकित्सकों की टीम की तैनाती करनी होगी।

यूकेपीएससी जेई भर्ती परीक्षा रद्द

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