Almora News: अज्ञेय के साहित्य में स्वाधीनता संग्राम केंद्रित—प्रो. लोहनी

—अमृत महोत्सव के तहत एसएसजे परिसर में व्याख्यानमालासीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ाभारत की आजादी का अमृत महोत्सव के तहत एसएस जीना परिसर अल्मोड़ा के हिंदी एवं अन्य…

—अमृत महोत्सव के तहत एसएसजे परिसर में व्याख्यानमाला
सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा
भारत की आजादी का अमृत महोत्सव के तहत एसएस जीना परिसर अल्मोड़ा के हिंदी एवं अन्य भारतीय भाषा विभाग में आज ‘स्वाधीनता का विचार और अज्ञेय का साहित्य’ विषयक व्याख्यानमाला आयोजित हुई।

व्याख्यानमाला में विषय विशेषज्ञ के रूप में पहुंचे चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ के हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो. नवीन चंद्र लोहनी ने अज्ञेय के साहित्य में स्वाधीनता संग्राम को केंद्रित करने का प्रयास किया। उन्होंने बताया कि सन् 1930 में अज्ञेय ने स्वाधीनता का अनुभव किया और अपने लेखन में आपातकाल, स्वाधीनता संग्राम की भयावह स्थिति को केंद्रित किया। वह स्वाधीनता को जीवन और कर्म में अपनाया। वह गांधी जी से जुड़ते हैं। उन्होंने कहा कि स्वाधीनता के समय हिंदी ही एकमात्र ऐसी भाषा है, जो संपर्क भाषा के रूप में दिखाई देती है। अध्यक्षता करते हुए हिंदी विभाग के अध्यक्ष एवं पत्रकारिता विभाग के संयोजक प्रो. जगत सिंह बिष्ट ने अपने उद्बोधन में कहा कि अज्ञेय प्रयोगधर्मी रचनाकार हैं, और जो प्रयोगधर्मी होगा वह स्वयं स्वाधीन होगा। उन्होंने कहा कि अज्ञेय का भाषा-साहित्य में बहुत बड़ा योगदान है। उन्होंने हर क्षेत्र में कार्य किया है।

अतिथि प्रो. अनिल जोशी ने कहा कि अज्ञेय का अल्मोड़ा की वादियों में भी आगमन हुआ। वह एक बड़े रचनाकार हैं। व्याख्यानमाला का संचालन हिंदी विभाग की वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ. प्रीति आर्या ने किया। इस मौके पर हिंदी व पत्रकारिता विभाग के शिक्षक, कर्मचारी, 24वीं यूके बटालियन के विद्यार्थी शामिल हुए।

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