सीएनई न्यूज। उत्तराखंड के विभिन्न जन संगठनों एवं राजनैतिक दलों द्वारा ‘जन हस्तक्षेप’ के सहयोग से आज एक प्रेस वार्ता का आयोजन वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से किया गया। प्रेस वार्ता में वक्ताओं ने इस बात पर चिन्ता व्यक्त की कि लाॅकडाउन के चलते प्रदेश में आम आदमी के हालात बहुत खराब हो रहे हैं, उनके कष्ट दिनों दिन बढ़ रहे हैं।
वक्ताओं ने कहा कि प्रदेश सरकार ने अपने स्तर पर कुछ कदम उठाये हैं। राशन का आबंटन बढ़ाया है और कुछ कल्याणकारी योजनाओं में एडवांस में भुगतान दिया जा रहा है। सरकार की इस पहल का स्वागत है, किन्तु हकीकत यह है कि यह राहत नाकाफी है। अधिकांश गरीब लोग, वे चाहे छोटे किसान हों, दिहाड़ी मजदूर हो अथवा असंगठित क्षेत्र के मजदूर, अगले छः-सात महीनों में बहुत कम कमा पायेंगे, क्योंकि 3 मई के बाद लाॅकडाउन यदि पूरी तरह खुल भी जाये तो इन्हें काम मिलने में बहुत मुश्किल होगी और जून के महीने में बरसात शुरू हो जायेगी। सरकार को यह सच्चाई भी ध्यान में रखनी चाहिये कि अगर आम लोगों की जेब में पैसा नहीं होगा तो वे खर्च भी नही कर पायेंगे, जिससे अर्थव्यवस्था और खराब होगी तथा लाॅकडाउन खत्म होने के बाद भी गरीबी और बेरोजगारी बढ़ती रहेगी। उन्होंने कहा कि सरकारी कर्मचारियों तथा इन्कम टैक्स देने वालों को छोड़ कर उत्तराखंड के हर परिवार को एक राहत पैकेज दिया जाना चाहिये, ताकि उसकी जिन्दगी अगले छः महीनों तक चलती रहे।
उन्होंने प्रेस वार्ता में अपने तमाम प्रस्ताव सरकार के समक्ष रखे, जिनमें निम्न प्रमुख रहे —
-हर परिवार को अगले छः महीनों तक प्रति माह एक गैस सिलिंडर मुफ्त में दिया जाये।
-बिजली और पानी के बिल अगले तीन महीनों के लिये पूरी तरह माफ किये जायें।
-सितम्बर तक हर राशन कार्ड धारक को राशन मुफ्त में आबंटित किया जाये। इसमें किसी तरह का वर्गीकरण या भेदभाव न हो। केन्द्र सरकार के पास अभी 7.7 करोड़ टन राशन का भंडार है, जो निर्धारित आवश्यकता का तीन गुना है। उत्तराखंड सरकार केन्द्र सरकार से माँग करे कि इस विपत्ति में वह यह स्टाॅक राज्य सरकारों को बाँटने के लिये दे दे।
-जिन परिवारों के पास राशन कार्ड नहीं हैं, उनके लिये सरकार राशन कार्ड बनवाये और उन्हें वही लाभ दे, जो राशन कार्ड धारकों को दिया जा रहा है। अभी भी प्रशासन ऐसे परिवारों के पास राशन पहुँचाने का प्रयास कर ही रहा है। लगे हाथों उनका पंजीकरण भी किया जा सकता है। इसके अलावा —
- जिस तरह केरल में प्रयोग किया गया है, स्थितियाँ सामान्य होने तक सरकारी स्कूलों और आंगनबाड़ियों द्वारा बच्चों का मिड डे मील घर पर पहुँचाने की व्यवस्था की जाये।
- यह सम्भव है कि केन्द्र सरकार के निर्देशानुसार 20 अप्रेल से मनरेगा के अन्तर्गत काम शुरू हो जाये। प्रदेश सरकार सोशल डिस्टेंशिंग का पालन करते हुए तत्काल मनरेगा के अन्तर्गत काम शुरू करे और पूरे सौ दिन का काम दे। यदि किसी क्षेत्र में काम नहीं भी है तो भी वहाँ हर जाॅब कार्ड धारक को मानदेय दिया जाये।
- मनरेगा में पंजीकृत जाॅब कार्ड धारकों, पंजीकृत निर्माण श्रमिकों, जन धन खाता धारकों और अन्य कल्याणकारी योजनाओं की सूचियों का इस्तेमाल कर और यथासम्भव उसमें दैनिक और असंगठित क्षेत्र के मजदूरों को शामिल कर प्रदेश सरकार हर महीना हर परिवार को न्यूनतम
सात हजार रुपये की धनराशि दे। केन्द्र सरकार राहत के रूप में आर्थिक सहायता का पैकेज तैयार कर रही है। उत्तराखंड सरकार उस पैकेज में इस बात की व्यवस्था करवाये।
प्रेस वार्ता में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के बचीराम कौंसवाल, उत्तराखंड महिला मंच की कमला पंत, उत्तराखंड लोक वाहिनी के राजीव लोचन साह, कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय, कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव समर भंडारी, चेतना आन्दोलन के शंकर गोपाल, समाजवादी पार्टी के डॉ. एस.एन.सचान, तृणमूल कांग्रेस के राकेश पंत और हाई कोर्ट के एडवोकेट डी.के. जोशी उपस्थित थे।