नई पहल: बिच्छू घास से तैयार होगा रेशा धागा, कपड़ा उत्पाद व हर्बल चाय

— अल्मोड़ा जिले के ताड़ीखेत में महिलाओं की प्रशिक्षण कार्यशाला शुरू— आजीविका का साधन बनाकर पलायन रोकने में बनाया जाएगा सहायक सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा: पहाड़…

— अल्मोड़ा जिले के ताड़ीखेत में महिलाओं की प्रशिक्षण कार्यशाला शुरू
— आजीविका का साधन बनाकर पलायन रोकने में बनाया जाएगा सहायक

सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा: पहाड़ में बहुतायत पाई जाने वाली बिच्छू घास (सिसौण) से हर्बल चाय, रेशा धागा व कपड़ा उत्पाद तैयार होंगे और इसे पहाड़ की महिलाओं आजीविका का साधन बनाया जाएगा। ऐसी पहल ग्रामीण उद्यम वेग वृद्धि परियोजना के तहत शुरू की गई है। इसके लिए जिले के ताड़ीखेत में आज से महिलाओं की प्रशिक्षण कार्यशाला शुरू हो गई है। पहले चरण में प्रशिक्षण के लिए ताड़ीखेत व भिकियासैंण ब्लाक की 82 महिलाओं का चयन किया गया है।

स्थानीय उत्पाद बिच्छू घास (सिसौण) से हर्बल चाय, रेशा धागा व कपड़ा आधारित विविध उत्पाद तैयार करने के लिए जिला प्रशासन तथा ग्रामीण उद्यम वेग वृद्धि परियोजना के तत्वाधान में आज जिले के रानीखेत तहसील अंतर्गत श्रद्धानंद क्रीड़ा मैदान ताड़ीखेत में प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित की गई। जिसका शुभारंभ मुख्य अतिथि विशेष कार्याधिकरी पर्यटन भास्कर खुल्बे, ग्राम्य विकास सचिव बीवीआरसी पुरुषोत्तम एवं क्षेत्रीय विधायक डा. प्रमोद नैनवाल ने संयुक्त रूप दीप प्रज्वलित कर किया। सभी अतिथियों को पौधा एवं उत्तराखंडी टोपी भेंट करते हुए स्वागत किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विधायक डा. प्रमोद नैनवाल ने कहा कि इस कार्यशाला के जरिये प्रशिक्षण प्राप्त करके महिलाएं आर्थिक गतिविधियों से जुड़कर आय में बढ़ोतरी कर सकेंगी। उन्होंने कहा कि स्थानीय उत्पादों एवं स्थानीय औषधियों को रोजगार से जोड़कर पलायन की समस्या दूर की जा सकती है। ऐसे में इस कार्यक्रम का विशेष महत्व है।

विशेष कार्याधिकारी भास्कर खुल्बे ने कहा कि जनप्रतिनिधियों द्वारा की गई आजीविका की इस पहल से ग्रामीण महिलाओं की आर्थिकी में सकारात्मक परिवर्तन आएगा तथा महिलाएं प्रशिक्षण के बाद बिच्छू घास के विभिन्न उत्पाद बनाएंगी। उन्होंने कहा कि इस पहल से स्थानीय उत्पादों को बाहरी पहचान भी मिलेगी। उन्होंने प्रशिक्षण देने वाले प्रशिक्षकों एवं प्रशिक्षण प्राप्त करने वाली महिलाओं से अपील की है कि वह पूर्ण मनोयोग से प्रशिक्षण को पूरा करें। उन्होंने कहा कि आजीविका के क्षेत्र में ऐसी पहल पलायन की समस्या का भी समाधान निकलने में सहायक सिद्ध होगी। सचिव ग्राम्य विकास विभाग तथा मुख्य परियोजना निदेशक ग्रामीण उद्यम वेग वृद्धि परियोजना डॉ. बीवीआरसी पुरुषोत्तम ने कहा कि बिच्छू घास से बने उत्पादों को बाजार उपलब्ध कराकर इसे आजीविका का साधन बनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम महज औपचारिक न रहे, इसको सफल बनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि इन उत्पादों को देश विदेश में पहचान दिलाई जाएगी।

जिलाधिकारी वंदना ने प्रशिक्षण प्राप्त करने वाली महिलाओं को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि वह पूरे मनोयोग एवं सकारात्मकता के साथ प्रशिक्षण प्राप्त करें तथा अपनी आजीविका को बढ़ाएं। उन्होंने प्रशिक्षकों से भी पूरी लगन एवं एवं निष्ठा से प्रशिक्षण देने को कहा। मुख्य विकास अधिकारी अंशुल सिंह ने कार्यक्रम की रूपरेखा बताते हुए कहा कि यह प्रशिक्षण तीन चरणों में आयोजित किया जाएगा। जिसमें 100 महिलाओं को प्रशिक्षण दिया जाएगा तथा प्रत्येक चरण का प्रशिक्षण 5 दिनों का होगा। इसके तहत ताड़ीखेत ब्लॉक से 33 एवं भिकियासैंण ब्लॉक से 49 महिलाओं को चयनित भी किया गया है। उन्होंने बताया कि प्रशिक्षण के प्रथम चरण में महिलाओं को बिच्छू घास से रेशा निकालना, द्वितीय चरण में धागा तैयार करना तथा तृतीय चरण में धागे से कपड़ा तैयार करना सिखाया जाएगा।

इस मौके पर राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत गठित नारी शक्ति स्वायत्त सहकारिता चौकुनी एवं दुर्गा महिला ग्राम संगठन डोबा की महिलाओं को कृषि विभाग के माध्यम से उपलब्ध कराए गए फार्म मशीनरी बैंक का भी अतिथियों ने रिबन काटकर शुभारंभ किया। इस दौरान एनआरएलएम के माध्यम से संचालित समूहों द्वारा विभिन्न उत्पादों के स्टाल भी लगाए गए। कार्यक्रम में विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम भी कलाकारों ने दिखाए तथा स्कूली बच्चों ने सुंदर सुंदर प्रस्तुति देकर सबको आनंदित किया। कार्यक्रम का संचालन विभु कृष्णा ने किया। कार्यक्रम में जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर हिमालयन पीठाधीश्वर स्वामी वीरेंद्रानंद, संयुक्त मजिस्ट्रेट रानीखेत जयकिशन, जिला परियोजना प्रबंधक ग्रामीण उद्यम वेग वृद्धि परियोजना कैलाश भट्ट समेत अन्य गणमान्य एवं जिला स्तरीय अधिकारी उपस्थित रहे।

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