दु:खद: सैकड़ों को जीवनदान देने वाली युवा चिकित्सक डा. सम्मी नहीं रही

➡️ ग्रामीण अस्पताल में रहकर मरीजों के प्रति समर्पण से हासिल की थी लोकप्रियता ➡️ नागरिक मंच बागेश्वर ने किया था नागरिक सम्मान से सम्मानित…

➡️ ग्रामीण अस्पताल में रहकर मरीजों के प्रति समर्पण से हासिल की थी लोकप्रियता

➡️ नागरिक मंच बागेश्वर ने किया था नागरिक सम्मान से सम्मानित

➡️ एम्स में ली अंतिम सांस, जनप्रतिनिधियों, नागरिकों व चिकित्सा कर्मियों में शोक

दीपक पाठक, बागेश्वर

पूर्व में बागेश्वर जनपद के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र कांडा में कार्यरत रही चिकित्सक डॉ. सम्मी उन्नेसा का रविवार देर सांय एम्स दिल्ली में निधन हो गया है। वह वर्तमान में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र गूलरभोज में तैनात थी। एक सप्ताह पूर्व अचानक तबियत खराब होने के कारण उन्हें दिल्ली एम्स में भर्ती किया गया था। (आगे पढ़ें…)

वर्ष 2018 में नागरिक मंच बागेश्वर द्वारा सम्मानित होती डॉ. सम्मी। फाइल फोटो।

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कांडा में कार्य कर चुकी चिकित्सक डॉ. समी उन्नेसा का गत दिवस 48 वर्ष की अल्पायु में दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में उपचार के दौरान निधन हो गया। बिहार के चंपारण में गरीब किसान परिवार में जन्मी समी उन्नेसा ने देहरादून के हिमालयन चिकित्सा संस्थान से चिकित्सा में स्नातक करने के उपरांत, वर्ष 2004 से चिकित्सा के क्षेत्र में कदम रखा। शुरुआती 4 साल देहरादून के निजी चिकित्सालय में नौकरी की और इसके उपरांत वर्ष 2009 में उनकी नियुक्ति जिला चिकित्सालय रुद्रपुर में हुई। जहां उन्होंने अपनी बेहतर कार्यशैली और मरीजों के प्रति समर्पित रहकर लोगों का विश्वास अर्जित करना शुरू किया। चिकित्सा पेशे के प्रति लगन व समर्पण तथा सेवाभाव के चलते उनके अनुभव व दक्षता बढ़ती गई। (आगे पढ़ें…)

वर्ष 2014 में उनका तबादला बागेश्वर जनपद के दूरस्थ पिछड़े क्षेत्र के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कांडा में हो गया। वहां उन्होंने देखा कि चिकित्सालय होने के बावजूद लोग डिलिवरी के लिए जिला चिकित्सालय बागेश्वर या अन्य दूरस्थ क्षेत्र में जाना पसंद कर रहे हैं। उन्होंने इस बात को एक चुनौती के तौर पर लिया। उन्होंने वही डिलीवरी के लिए प्रेरित किया और अपने अनुभव, कार्यशैली व दक्षता से डिलीवरी कर लोगों का विश्वास जीता। इसी का फल था कि उनके कार्यभार ग्रहण करने तक औसतन 50 से भी कम डिलिवरी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कांडा में होती थी, लेकिन उनके आने के बाद यह ग्राफ बढ़ते चला गया। एक बारगी जब उन्होंने एक साढ़े चार किलो से अधिक वजनी नवजात का सामान्य प्रसव इसी ग्रामीण अस्पताल में कराया, तो यहां से वह चर्चाओं में आ गई, क्योंकि ऐसे में नॉर्मल डिलीवरी जच्चा—बच्चा दोनों के लिए खतरा मानी जाती है, लेकिन उनकी दक्षता से ग्रामीण अस्पताल में ही यह डिलीवरी सफल रही। उनका इतना नाम हो गया कि धीरे-धीरे कांडा क्षेत्र के ही नहीं बल्कि पिथौरागढ़ जनपद के बेरीनाग, थल, पाखू आदि क्षेत्रों से भी प्रसव के लिए महिलाएं उनके पास आने लगी। सेवाभाव ऐसा कि सुदूर व पिछड़ा इलाका होने के कारण कई प्रसव पीड़िताओं और उनके साथ आए परिजनों को डॉ. समी अपने ही कमरे में रहने व भोजन की सुविधा दे देती। उनके कार्य के प्रति समर्पण व सेवाभाव इस अस्पताल के आंकड़े भी साफ दर्शाते हैं। अस्पताल के आंकड़ों के मुताबिक जहां वर्ष 2015-16 में इस अस्पताल में 53 प्रसव हुए थे, वहीं उनके आने के बाद इसी अस्पताल में वर्ष 2016-17 में 96, वर्ष 2017-18 में 153 और 2018-19 में 234 ​डिलीवरी हुई। उनकी सेवा को देखते हुए नागरिक मंच बागेश्वर ने उन्हें वर्ष-2018 के नागरिक सम्मान से सम्मानित किया। (आगे पढ़ें…)

वर्ष 2019 में उनका तबादला फिर से उधमसिंह नगर जनपद में हो गया। जहां वर्तमान तक वह गदरपुर राजकीय चिकित्सालय में कार्यरत थी। इस बीच अचानक उन्हें स्ट्रोक पड़ गया। जिसके चलते उन्हें दिल्ली के एम्स में भर्ती होना पड़ा। करीब 2 सप्ताह जिंदगी और मौत से जूझते हुए रविवार की शाम उन्होंने दम तोड़ दिया। उनके निधन पर सामाजिक संगठनों, जनप्रतिनिधियों व चिकित्सा कर्मियों ने गहरा दुःख व्यक्त किया है। उनके निधन पर प्रदेश के कबीना मंत्री चन्दन राम दास, विधायक सुरेश गड़िया, जिला पंचायत अध्यक्ष बसंती देव, पूर्व विधायक ललित फर्स्वाण, बलवंत सिंह भौर्याल, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष हरीश ऐठानी, मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. सुनीता टम्टा आदि ने गहरा दुःख व्यक्त किया है। इधर नागरिक मंच बागेश्वर द्वारा उनके निधन पर शोक सभा आयोजित कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। इस दौरान आलोक साह, पंकज पांडेय, प्रमोद मेहता, डॉ. राजीव जोशी, जगदीश उपाध्याय, डॉ. शैलेन्द्र धपोला आदि मौजूद थे।

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