परंपरा : घरों में हरेले पर सजने लगे डिकारे, कलात्मक मूर्तियों का निर्माण

अल्मोड़ा। हरियाली एवं सुख—समृद्धि का प्रतीक हरेला पर्व उत्तराखंड का प्रसिद्ध लोकपर्व है। खासकर कुमाऊं में खासे उत्साह से यह पर्व मनाया जाता है। कई…

अल्मोड़ा। हरियाली एवं सुख—समृद्धि का प्रतीक हरेला पर्व उत्तराखंड का प्रसिद्ध लोकपर्व है। खासकर कुमाऊं में खासे उत्साह से यह पर्व मनाया जाता है। कई घरों में हरेले के उपलक्ष्य में डिकारे बनाने की अनूठी परंपरा है। जहां एक ओर सुंदर हरेले की टोकरियां सजी रहती हैं। वहीं दूसरी ओर देवी—देवताओं की कलात्मक मूर्तियों को बेहद आकर्षक ढंग से सजाकर हरेले पर्व के दिन उनकी विशेष पूजा—अर्चना की जाती है। इस पर्व पर लोग खासकर भगवान शिवशंकर, पार्वती, गणेश व ईष्ट देवता की पूजा करते हैं। इन्हीं देवी—देवताओं की सर्जी मूर्तियों के समूह को डिकारे कहा जाता है। ये कई घरों में हरेले के पर्व पर दिखते हैं। इनका एक शानदार व प्रेरणादायी उदाहरण अल्मोड़ा के पांडेखोला निवासी ज्योतिषाचार्य एवं शिक्षाविद् गोविंद बल्लभ पंत ने प्रस्तुत किया है। उन्होंने हरेला पर्व के उपलक्ष्य में डिकारे तैयार किए हैं। जिसमें भगवान की कलात्मक मूर्तियों को आकर्षक ढंग से सजाया गया है। कुमाऊं के सभी पुराने लोग डिकारे से परिचित हैं, लेकिन नई पीढ़ी के लिए यह नई बात है।

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