अल्मोड़ा : कोरोना ने अल्मोड़ा की प्रसिद्ध बाल मिठाई पर लगाया ग्रहण, परेशान हैं मिठाई विक्रेता, मिठाई की दुकान में बिक रहीं सब्जी व बैग

अल्मोड़ा। कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए हुए लाकडाउन से लोगों के काम धंधे काफी प्रभावित हो चले हैं। अब काफी कुछ छूट मिल चुकी…

अल्मोड़ा। कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए हुए लाकडाउन से लोगों के काम धंधे काफी प्रभावित हो चले हैं। अब काफी कुछ छूट मिल चुकी है। मगर मिठाई का कारोबार बुरी तरह प्रभावित हो चला है। ऐतिहासिक व सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा की बहुच​र्चित एवं प्रसिद्ध बाल मिठाई पर कोरोना ने ग्रहण लगा दिया। भले ही दुकानें खोलने की अनुमति मिल चुकी है। हालत ये हो गई है कि अल्मोड़ा नगरी में कुछ मिठाईयों की दुकानों में अब सब्जी व थैले बिकने लगे हैं। मिठाई की दुकानों में न तो मिष्ठान उत्पाद तैयार हो रहे हैं और न ही ग्राहक हैं। ऐसे में वह विकट असंमजस के दौर से गुजर रहे हैं।
यूं तो हर कारोबार पर कोरोना संक्रमण को विपरीत असर पड़ा है। दूर—दूर तक मशहूर अल्मोड़ा की बाल मिठाई, चाकलेट व​ सिंगौड़ी तीन माह से पहले से कोरोना संक्रमण के कारण गायब सी हो गईं। लाकडाउन में प्रतिष्ठान खोलने की छूट मिली, तो कुछ सामानों की बिक्री शुरू हो चुकी है। कुछ कारोबारों में धीरे—धीरे गति पकड़ने की उम्मीद जग चुकी है। लेकिन मिठाई बिक्रेता अभी भी ​बड़ी असंमजस की स्थिति में हैं। कुछ मिठाई की दुकानों में मिठाई की जगह सब्जी बिकने लगी है, तो कोई मिठाई का दुकानदार मिठाई की जगह कभी सब्जी तो कभी नान वोवल बैग बेचने को मजबूर हुआ है। यहां माल रोड में मिष्ठान विक्रेता महेश कश्यप ने गत जून माह से अपनी मिठाई की दुकान में सब्जी बेचना शुरू कर दिया। महेश कश्यप ने बताया कि मिठाई का कारोबार बुरी तरह प्रभावित हो चुका है। उन्होंने बताया कि बैंक लोन की किश्तें, दुकान का किराया, मिठाई की दुकान के कारीगरों का मानदेय व पानी का बिल देना मुश्किल हो गया है। ऐसे में मजबूरन सब्जी की दुकान लगाई है। माल रोड में ही राजेंद्र सिंह बिष्ट दशकों से मिठाई की दुकान चलाते हैं। मगर कोरोना ने ऐसी मार दिखाई कि आज उनकी दुकान में नान वोवल बैग सजे हैं। उनके द्वारा इन्हें बेचा जा रहा है। कमोवेश ऐसी ही असमंजस की स्थिति में लगभग सभी मिठाई के दुकानदारों की है। दुकान तो खोल रहे हैं, मगर कुछ घंटों के लिए। दरअसल, पर्यटक आ नहीं पा रहे और लोगों की यत्र—तत्र आवाजाही बंद है। ऐसे में मिठाई की मांग भी नहीं है। ऐसे में वह मुश्किलों में हैं।

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