नारायण सिंह रावत
सितारगंज। देश की मोदी सरकार ने जो तीनों कानून बनाए हैं क्रमशः भंडारण की व्यवस्था, कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग बढ़ावा देना किसान हित में उचित नहीं है। न्यूनतम समर्थन मूल्य से मोदी सरकार भाग रही है, जबकि न्यूनतम समर्थन मूल्य कपासन का दिया जाता है, उससे कम मूल्य पर जो भी खरीदारी करता है, उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई व दंडात्मक का प्रावधान होना चाहिए। वर्तमान में सरकार द्वारा किसानों के लिए कॉमन धान का मूल्य 1868 रुपया प्रति क्विंटल व ए ग्रेड की धान का मूल्य 1888 रूपए प्रति कुंतल रखा गया है।
इस परिपेक्ष में डॉ. गणेश उपाध्याय पूर्व दर्जा राज्यमंत्री व किसान नेता ने कहा कि आज धान खरीद में, जो उत्तर प्रदेश सरकार व हरियाणा सरकार ने जो धान खरीद में जो मॉडल प्रस्तुत किया है, उसे उत्तराखंड में लागू किया जाना चाहिए। आज पल्लेदार को 9 रूपए प्रति कुंतल दिया जा रहा है। आज की महंगाई के दौर में बहुत कम है कम से कम 25 रूपए प्रति क्विंटल पल्लेदार पर देना चाहिए। पल्लेदार धान ट्रैक्टर से उतारता है उसके बाद तौलता है उसके बाद सीनता फिर उसके उसके बाद एफसीआई गोदाम में ट्रक में लादते हैं।
इससे पूर्व जब गेहूं की खरीद थी किसान के नाते मुझे खुद नैनीताल हाईकोर्ट की शरण लेनी पड़ी, जिसमें सरकार को बाध्य किया गया कि 48 घंटे से लेकर 1 हफ्ते के अंदर भुगतान की व्यवस्था करें। इस प्रकार की नौबत नहीं आनी चाहिए, आज किसानों से दुर्गति प्रतिदिन बढ़ती जा रही है और अपने भुगतान के लिए भी कोर्ट का तरफ मुंह देखना पड़ा है। यह राज्य व देश के लिए शुभ संकेत नहीं है। जिस तरह से महंगाई बढ़ी है धान का वर्तमान का मूल्य बहुत कम है। आज डीजल के दाम बढ़ने 20% अधिक बढ़ने पर, किसान की 1 एकड़ की पैदावार में 6000 रूपए प्रति एकड़ मूल्य बढ़ चुका है।
जिसमें खाद, कीटनाशक दवाइयां, जुताई, थ्रेशिंग व मजदूर की प्रतिदिन की मजदूरी भी बढ़ चुकी है। जीएसटी का जबरदस्त मार किसानों पर पड़ रही है, आज खेत की दवाइयों में 18% जीएसटी, ट्रैक्टर पर खरीद पर 28% जीएसटी, बीजों पर 12% जीएसटी, व कृषि यंत्रों पर 28% जीएसटी का सामना किसानों को करना पड़ रहा है। डीजल में कई गुना जीएसटी बढ़ने से हर क्षेत्र में, हर जगह महंगाई बढ़ी है। किसान के अनाज में 28% जीएसटी जोड़ कर मूल्य का निर्धारण करना चाहिए। आज 1868 रुपया प्रति कुंटल जो धान कॉमन मूल्य रखा है, अगर 28% इसमें जीएसटी जोड़ा जाए तो आज वर्तमान में 2391 रुपया प्रति कुंटल धान का मूल्य होना चाहिए।
देश के प्रधानमंत्री ने जो वादा किया था, 2022 में किसानों की आय दुनी करेंगे, जब किसान जीएसटी दे रहा है तो उनकी फसल्र में भी जीएसटी को जोड़कर मूल्य निर्धारण करना चाहिए। आज लॉकडाउन के दौरान पूरे देश के अंदर किसानों के बदौलत यहां के लोगों को भुखमरी का सामना नहीं करना पड़ा जबकि सब व्यवस्था ठप हो गई थी, तो इस बारे में गहनता से मनन सरकारों को करना चाहिए।
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