राजनीति हल्द्वानी से : कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव प्रकाश जोशी ने एफबी पर उकेरा अपना दर्द, पढ़ें किस नेता पर साधा निशाना

हल्द्वानी। आल इंडिया कांग्रेस कमेटी के सचिव प्रकाश जोशी ने पौड़ी के कांग्रेसी नेता के सहारे एक बार फिर पार्टी में बाहर से आने वाले…

हल्द्वानी। आल इंडिया कांग्रेस कमेटी के सचिव प्रकाश जोशी ने पौड़ी के कांग्रेसी नेता के सहारे एक बार फिर पार्टी में बाहर से आने वाले नेताओं को तवज्जो देकर पुराने जमीनी कार्यकर्ताओं के हौसलों को लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं। हालांकि उन्होंने किसी का नाम नहीं लिया है लेकिन अब लोग उनकी इस पोस्ट को पौड़ी लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़े और तुरंत ही सांसद का टिकट पाने के बाद अब राष्ट्रीय स्तर का पद प्राप्त करने वाले मनीष खंडूड़ी के बहाने कालाढूंगी के महेश शर्मा की कांग्रेस में एंट्री से जोड़ कर देख रहे हैं। हम एक बार फिर बता दें कि प्रकाश जोशी ने ऐसे किसी नेता का नाम नहीं लिया है लेकिन उन्होंने पौड़ी के राजपाल की पोस्ट पर बात करने से पहले अपनी बात में डा. इंदिरा हृदयेश का जिक्र अवश्य किया है। यहीं से उनकी बात राष्ट्रीय स्तर से 180 डिग्री मुड़कर स्थानीय स्तर पर आकर ठहर गई है

पढ़िये क्या लिखा है प्रकाश जोशी ने अपनी फेसबुक वाल पर…

श्री राजपाल बिष्ट जी, जो कि पौड़ी की चौबट्टाखाल विधानसभा से चुनाव लड़ते हैं तथा साथ ही युवा कोंग्रेस में राष्ट्रीय स्तर पर काम करते रहे हैं, की अभिव्यक्ति को पढ़ा। कुछ देर लगा कि मेरी परछाई ही मुझसे सवाल पूछ रही है। राजपाल जी ने जो भी चिन्तायें व्यक्त की, जो भी सवाल उठाये, मेरा मानना है कि वो ब्लॉक स्तर से प्रदेश स्तर के हर कार्यकर्ता के मन में भी हैं। बस अपने – अपने हालात हैं। सवाल पूछने का साहस कोई बिरला ही कर पाता है। अधिकांश छोटे कार्यकर्ता इसलिये नही पूँछ पाते क्योंकि उनकी डोर किसी और बड़े नेता के हाथ में होती है, वो तो कठपूतली मात्र हैं, कठपुतलियों में अंतरात्मा कहाँ होती हैं। और सवाल पूछने के लिये अंतरात्मा की ज़रूरत होती है। इंदिरा जी फिर से कहेंगी कि प्रकाश तो दर्शनिकों वाली बात करते हैं। उनकी बात सही भी है क्योंकि दार्शनिक होने के लिये भी अंतरात्मा का होना ज़रूरी है, जोकि मुझमें तो है.. ख़ैर विषय से भटक जाऊँगा….

…. तो राजपाल जी की अभिव्यक्ति ने कुछ सवाल तो खड़े किये ही है, कि

1.कब तक पार्टी के वरिष्ठ नेता चुनाव जीतने के नाम पर पार्टी से ग़द्दारी करने वाले लोगों तथा दूसरी पार्टियों से नेताओं को लाकर पार्टी के समर्पित कार्यकर्ताओं की आकांक्षाओं पर कुठाराघात करेंगे?

2.बाग़ियों तथा दूसरी पार्टियों के नेताओं के भरोसे रहने के बजाय अपनी ही पार्टी के ऊर्जावान तथा समर्पित लोगों को समय पर पहचान कर उनकी मदद कर उन्हें आगे बढ़ने का मौक़ा क्यों नही देते?

3.ये दूसरी पार्टी के नेता तथा बाग़ी होकर पार्टी छोड़ने वाले लोग जब कोंग्रेस में नही होते तो कोंग्रेस पार्टी को गालियाँ देते हैं, यहाँ तक की पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को भी नही छोड़ते। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का मन ऐसे लोगों को पार्टी में लाने के लिये कैसे मान जाता है?

4.और फिर प्रतिष्ठा का प्रश्न बनाकर, पार्टी की मर्यादाओं को तार-तार कर, निष्ठावान कार्यकर्ताओं के सपनों को मारकर, ऐसे लोगों को पार्टी में लाने वाले नेता इन लोगों को पार्टी में पूरा सम्मान दिलवाते हैं, पार्टी का टिकिट भी दिलवाते हैं। ऐसे लोगों के चुनाव हारने पर उनको पार्टी ज़्वाईन करवाने वाले नेता हार की ज़िम्मेदारी क्यों नही लेते?

ऐसे तमाम सवालों की एक लम्बी कड़ी हो सकती है। मैं तो पहले भी पार्टी के मंचो से पूछता ही आया हूँ। आशा है जैसे- जैसे अन्य कार्यकर्ताओं की अंतरात्मा जागेगी, वो भी पूछेंगे। बहरहाल राजपाल जी को इस समयानुकूल चिंता करने के लिये मन से बँधायी। …. मुझे भी… कुछ फ़ोन आयेंगे…. कहेंगे … शानदार। और कुछ सोचेंगे समय आने पर देख लेंगे। … मुझे तो बस राहत इंदौरी जी की ये ग़ज़ल याद आती है….

इसके बाद उन्होंने राहत इंदौरी की गजल की वीडियो भी शेयर की है।

https://www.facebook.com/watch/?v=605865360328529

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