आमपोखरा रेंज न मिलने पर ग्रामीणों में असंतोष
रामनगर विधानसभा के अंतर्गत ही विस्थापित करने की मांग
अब पुन: नई भूमि का चयन करेगा महकमा
सीएनई डेस्क। सालों से बाढ़ की त्रासदी झेल रहे रामनगर तहसील अंतर्गत चुकुम व अमरपुर आंशिक के 147 परिवारों के विस्थापन की कार्रवाई अंतिम चरण में है। यहां बाढ़ प्रभावित तमाम परिवारों के लिए एक बार फिर तराई बेल्ट अंतर्गत एक नए स्थान पर भूमि चयन की प्रक्रिया शुरू होने जा रही है। जिसका कारण हाल में चयनित भूमि पर विस्थापित होने को लेकर ग्रामीणों ने आपत्ति दर्ज की है।


उल्लेखनीय है कि शासन स्तर पर 6.15 करोड़ का बजट खर्च करके चुकुम और अमरपुर आंशिक के 147 परिवारों को विस्थापित करने की कार्रवाई शासन स्तर पर गतिमान है।
बताना चाहेंगे कि रामनगर तहसील क्षेत्र में कोसी नदी के बाढ़ से चुकुम गांव प्रभावित है। यहां 90 के दशक में कई मकान पूरी तरह बह गए थे। इसके अलावा अमरपुर गांव का कुछ हिस्सा बाढ़ से हमेशा प्रभावित रहता है।
जसपुर रेंज में 27.8 हेक्टेयर जमीन चिह्नित
प्रशासन ने इस गांव के विस्थापन की योजना बनाई थी। पहले उनको रामनगर वन प्रभाग के आमपोखरा में बसाने की योजना थी, लेकिन यहां पौधरोपण की वजह से दूसरी जगह जमीन तलाशी गई और जसपुर रेंज में 27.8 हेक्टेयर जमीन चिह्नित हुई। रामनगर वन प्रभाग के जसपुर रेंज में सड़क के दोनों ओर जमीन चिह्नित की गई है। तीन टुकड़ों में एक स्थान पर 13, 12.1 और दूसरी तरफ 2.7 हेक्टेयर जमीन ली गई।
चयनित जमीन को लेकर ग्रामीणों की आपत्ति
इधर ग्रामीणों का आरोप है कि उनका विस्थापन पहले वन विभाग के आमपोखरा रेंज में तय था, लेकिन अचानक उन्हें कलाली क्षेत्र पश्चिमी जिला उमसिंह नगर का प्रस्ताव दे दिया गया है।
साल 1993 से कोसी नदी ढा रही कहर
ग्रामीणों का कहना है कि ग्राम चुकम एवं आंशिक अमरपुर विधानसभा रामनगर के अंतर्गत अति संवेदनशील राजस्व ग्राम हैं। जो कि एक ओर कोसी नदी तथा दूसरी ओर घने वनों से घिरा हुआ है तथा वन्यजीव बाहुल्य क्षेत्र हैं। जहां समय समय पर मानव वन्यजीव संघर्ष की घटनाएं होती रहती हैं। वर्ष 1993 से अब तक समय समय पर कोसी नदी द्वारा 50 से 60 कृषकों की कृषि भूमि का कटाव किया जा चुका है तथा ग्रामवासियों के आवास कोसी नदी में समा गये हैं।
कोसी नदी को पार करते समय ग्रामवासियों की जानमाल की क्षति भी हुई है। ग्रामवासियों द्वारा लंबे समय से विस्थापन की मांग की जाती रही है। परंतु ग्रामवासियों को आश्वासन मात्र से ही संतुष्ट होना पड़ता है।
ग्रामीणों का कहना है कि वर्तमान समय में ग्राम चुकम एवं आंशिक अमरपुर के विस्थापन की कार्यवाही गतिमान है, जो कि रामनगर विधानसभा के अंतर्गत आमपोखरा रेंज, प्लॉट 50 तराई पश्चिमी रामनगर में प्रस्तावित है, जिसमें समस्त ग्रामवासियों की सहमति हैं, परन्तु वर्तमान समय में तराई पश्चिमी वन प्रभाग रामनगर, नैनीताल द्वारा आमपोखरा प्लॉट 50 में वृषारोपण होने की बात कहकर उसके स्थान पर किलावली क्षेत्र तराई पश्चिमी, जिला ऊधम सिंह नगर का प्रस्ताव ग्रामवासियों को दिया जा रहा है।

रामनगर विधानसभा के अंतर्गत ही विस्थापित करें
ग्रामीणों का कहना है कि किलावली क्षेत्र, ऊधम सिंह नगर जिले के अंतर्गत आता है। जिसकी तहसील जसपुर है, जो कि अतिक्रमण क्षेत्र है जिसमें भविष्य में विवाद होने की भी आकांक्षा है तथा इस क्षेत्र के पास ढेला नदी भी प्रवाहित होती है। विश्वस्त सूत्रों के माध्यम से ज्ञात हुआ है कि ढेला नदी द्वारा उक्त क्षेत्र का समय-समय पर भू-कटाव किया जाता है। अतएव यह क्षेत्र ग्रामीणों के वर्तमान परिवेश से भी पूर्ण रूप से भिन्न हैं एवं ग्राम चुकम एवं आंशिक अमरपुर के ग्रामवासी रामनगर विधानसभा के अंतर्गत ही विस्थापित होना चाहते हैं।
ग्रामीणों ने उक्त आश्य का ज्ञापन डीएफओ और क्षेत्रीय विधायक को भी दिया है। जिसमें आग्रह किया गया है कि ग्रामवासियों की भावनाओं को देखते हुए उन्हें रामनगर विधानसभा के अंतर्गत ही आमपोखरा रेंज में विस्थापित किया जाये। ज्ञात रहे कि चुकुम गांव और रामनगर आंशिक में कुल 147 परिवार विस्थापन के लिए चिह्नित किए गए हैं। इस गांव में 41 भूमिहीन हैं। पांच परिवार शिल्पी हैं और 41 गोशालाएं हैं। प्रति परिवार विस्थापन के लिए 10,000, प्रत्येक शिल्पी कारीगर को 25,000, प्रति गोशाला 15,000, भवन निर्माण के लिए प्रत्येक परिवार को चार लाख रुपये, कृषि भूमि के लिए ग्रामीणों को 5.88 लाख रुपये, भूमिहीनों को वित्तीय सहायता मिलाकर 6,15,63,215 रुपये गांव के विस्थापन पर खर्च होंगे।

ग्रामीण सहमत नहीं, अब नई भूमि चयन की प्रक्रिया : डीएफओ
रामनगर वन प्रभाग के डीएफओ दिगंत नायक ने सीएनई को बताया कि चुकम गांव के बाढ़ प्रभावित ग्रामों को तराई पश्चिमी डिवीजन में विस्थापित होना है, जबकि चुकम गांव उनके डिवीजन में आता है। 2012 में भी इनके विस्थापन की कार्रवाई हुई थी, लेकिन तब ग्रामीणों की आपसी सहमति के चलते विस्थापन नहीं हो पाया था। अबकी बार इनके लिए आमपोखरा में बसाने की योजना थी, लेकिन यहां पौधरोपण की वजह से दूसरी जगह जमीन तलाशी गई, लेकिन उस भूमि को लेकर भी ग्रामीण सहमत नहीं हैं। अब किसी अन्य स्थान का चयन किया जायेगा। जिसको लेकर उनकी डीएम एवं डीएफओ तराई पश्चिमी बेल्ट प्रकाश आर्या से बात हुई है। देखना पड़ेगा कि जमीन कहां पर मिल पायेगी। उन्होंने कहा कि नई जमीन तलाशने को लेकर कोशिश जारी है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण यदि आपत्ति कर रहे हैं तो अब नई भूमि के चयन की प्रक्रिया शुरू की जायेगी।