सेवानिवृत्त मुख्य शिक्षा अधिकारी कुमाउनी के सुप्रसिद्ध रचनाकार अनिल भोज का निधन, कुमाउनी साहित्य जगत में शोक की लहर
सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा
मुख्य शिक्षा अधिकारी पद से सेवानिवृत्त सुप्रसिद्ध कुमाउनी रचनाकार अनिल भोज नही रहे। उनका 67 वर्ष की आयु में देहांत हो गया है। वह बीते कुछ समय से बीमार चल रहे थे। गत दिवस शनिवार को अचानक उनकी तबियत बिगड़ी। तब परिजन उन्हें हल्द्वानी से दिल्ली ले जा रहे थे, लेकिन रास्ते में ही गजरौला के पास उनका निधन हो गया। उनके निधन से हर तरफ शोक की लहर दौड़ गई है। हिंदी व कुमाउनी साहित्यकारों ने उनके निधन को एक अपूरणीय क्षति बताते हुए भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की है। उल्लेखनीय है कि स्व. भोज का कुमाउनी भाषा के विकास में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। 25 जून, 1954 में उनका जन्म अल्मोड़ा में हुआ था। उनकी माता मोहिनी देवी व पिता जोगा राम भोज थे। वह मुख्य शिक्षा अधिकारी के पद से सेवानिवृत्त हुए थे। सेवानिवृत्ति के बाद से वह निरंतर कुमाउनी गीतों व कविताओं की रचना करते रहे। कुमाउनी भाषा और कविता को समृद्ध करने में उनका बड़ा योगदान रहा है। कुमाउनी भाषा में उन्होंने कई लेख, कहानी, निबन्ध आदि भी लिखे। अस्सी-नब्बे के दशक में अल्मोड़ा में कवि दीपक कार्की और अनिल भोज ने ‘ब्याण तार्’ नामक हस्त लिखित पत्रिका से कुमाउनी काव्य पत्रिका का प्रारंभ किया था। ‘पछ्याण’और ‘किरमोई तराण’ जैसे कुमाउनी संकलनों में भी वे शामिल हैं। तीन वर्षों तक उनकी कुमाउनी पत्रिका ‘ब्याणतार’ का निरंतर प्रकाशन भी हुआ। उन दिनों सभी काव्य गोष्ठियों में उनकी रचनात्मक उपस्थिति रहती थी। उनके निधन पर डॉ. दिवा भट्ट, पहरू के संपादक डॉ. हयात सिंह रावत, ललित तुलेरा, दीपक कार्की सहित तमाम कुमाउनी रचनाकारों ने गहरा दु:ख प्रकट किया है। हम सीएनई परिवार की ओर से उनके निधन पर गहरा दु:ख प्रकट करते हुए उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।