सैकड़ों की तादात में डॉग्स पड़ रहे बीमार
आवारा व पालतू डॉग्स में फैल रहा संक्रमण
CNE DESK/ कहीं बीते कुछ दिनों से आपका डॉगी बीमार तो नहीं पड़ गया है। ध्यान दीजिए कहीं उसे उल्टी, बुखार और नाक में से गाढ़ खून निकलने की शिकायत तो नहीं हो रही। यदि ऐसा कुछ भी दिखे तो तुरंत पशु चिकित्सक से संपर्क करें। इन दिनों कुत्तों में होने वाला बेहद खतरनाक कैनाइन डिस्टेंपर (Canine distemper) तेजी से फैल रहा है।
उत्तराखंड के कई शहरों से कैनाइन डिस्टेंपर की सूचनाएं आ रही हैं। वहीं, रामनगर में तो 200 से ज्यादा डॉग्स इससे पीड़ित हो चुके हैं। नैनीताल जिले के रामनगर में डॉग्स कैनाइन डिस्टेंपर वायरस तेजी से पैर पसार रहा है। विगत 6 माह में 200 से अधिक डॉग्स में कैनाइन डिस्टेंपर वायरस (CDV) के मामले सामने आए हैं।

हर आयु के डॉग्स आ रहे चपेट में
रामनगर पशु चिकित्सालय के डॉ. राजीव कुमार के अनुसार हाल के दिनों में यह वायरस न सिर्फ पप्पियों, बल्कि 4-5 साल के एडल्ट डॉग्स को भी अपनी चपेट में ले रहा है। पहले माना जाता था कि कैनाइन डिस्टेंपर सिर्फ छोटे डॉग्स को प्रभावित करता है, लेकिन अब वायरस का पैटर्न बदल चुका है। पिछले एक महीने से रामनगर क्षेत्र में लगातार 4-5 मामले हर दिन सामने आ रहे हैं। वहीं रामनगर में 200 से ज्यादा डॉग्स इस बीमारी से संक्रमित मिले हैं।
क्या होता है कैनाइन डिस्टेंपर ?
Canine distemper एक संक्रामक और गंभीर बीमारी है जो कैनाइन डिस्टेंपर वायरस के कारण होती है। यह वायरस कुत्तों के श्वसन, जठरांत्र और तंत्रिका तंत्र पर हमला करता है।
सभी कुत्तों को कैनाइन डिस्टेंपर का खतरा होता है। विशेष रूप चार महीने से कम उम्र के पिल्लों को यदि कैनाइन डिस्टेंपर वायरस के खिलाफ टीका नहीं लगाया गया है तो उन्हें खतरा रहता है। इस बीमारी का कोई निश्चित उपचार नहीं है। संक्रमित कुत्तों में यदि समय से उपचार हो जाये तो आधे से अधिक बच भी जाते हैं।

यह भी जानिए
पप्पी का समय पर वैक्सीनेशन बहुत जरूरी होता है। शुरुआती लक्षण रेस्पिरेटरी सिस्टम (श्वसन तंत्र) पर असर डालते हैं। बाद में यह गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट (पाचन तंत्र या आहार नली का हिस्सा) और अंत में नर्वस सिस्टम को प्रभावित करता है। कई बार डॉग्स खांसी, बुखार (103–104 डिग्री तक) पहुंच जाता है। तब बीमारी अंतिम स्टेज में पहुंच चुकी होती है, तब इलाज करना बेहद मुश्किल हो जाता है।
क्या वन्यजीवों में भी है फैलने का खतरा ?
कैनाइन डिस्टेंपर सिर्फ पालतू या आवारा डॉग्स तक सीमित नहीं रहा है। कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के निदेशक डॉ. साकेत बडोला के अनुसार यह वायरस अब वन्यजीवों तक फैलने का खतरा बन चुका है। उनका कहना है कि जंगलों के आसपास बसे क्षेत्रों में आवारा डॉग्स के जरिए यह संक्रमण जंगली जानवरों तक पहुंच सकता है, जो उनके लिए जानलेवा हो सकता है। उन्होंने बताया कि कई बार वन्यजीव आसान शिकार की तलाश में आबादी वाले इलाकों में आते हैं और संक्रमित डॉग्स का शिकार कर बैठते हैं। इस स्थिति में वायरस का ट्रांसमिशन संभव हो जाता है। इसी को ध्यान में रखते हुए कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में अलर्ट जारी किया गया है।

कुत्तों में किस तरह फैलता है?
हवा से — जब भी कोई संक्रमित कुत्ता खांसता या छींकता है, तो वह वायरस से भरी बूंदें हवा में छोड़ता है। इन बूंदों को सांस के ज़रिए अंदर लेने से दूसरे कुत्तों में संक्रमण हो सकता है।
प्रत्यक्ष संपर्क — कैनाइन डिस्टेंपर वायरस संक्रमित कुत्ते की लार, मूत्र या मल द्वारा भी फैल सकता है।
अप्रत्यक्ष संपर्क — कैनाइन डिस्टेंपर वायरस वस्तुओं पर कई दिनों तक जीवित रह सकता है, जिससे भोजन के कटोरे या खिलौनों जैसी दूषित वस्तुओं के संपर्क में आने से कुत्तों में संक्रमण की संभावना बढ़ जाती है।
लक्षण क्या हैं?
- बुखार
- श्वसन संबंधी समस्याएं जैसे खाँसी, छींकना या सांस लेने में कठिनाई।
- जठरांत्रिय गड़बड़ी जैसे उल्टी, दस्त, भूख न लगना।
- दौरे, मांसपेशियों में ऐंठन और पक्षाघात सहित तंत्रिका संबंधी समस्याएं।
- नेत्र स्राव और सूजन।
- नाक से स्राव
- त्वचा के घाव
- सुस्ती
- अवसाद
इलाज कैसे करें ?
यदि आपको शक है कि आपका कुत्ता अस्वस्थ है, तो तत्काल पशु चिकित्सक से मिलिए। ज्ञात रहे कि कैनाइन डिस्टेंपर के उपचार के लिए कोई निश्चित इलाज नहीं है, लेकिन पशु चिकित्सक वायरस के नुकसान को कम करने में सहायता कर सकते हैं। शीघ्र और व्यापक उपचार से पूर्णतः ठीक होने की संभावना बढ़ जाती है, हालांकि कुछ मामलों में लगातार न्यूरोलॉजिकल लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं।
संक्रमित कुत्ता कितने समय तक जीवित रहता है ?
संक्रमण के लगभग 2 से 4 सप्ताह बाद कुत्ते कैनाइन डिस्टेंपर के अंतिम चरण में प्रवेश कर सकते हैं, जबकि अधिक परिपक्व प्रतिरक्षा प्रणाली वाले वयस्क कुत्ते कई महीनों तक इसके प्रभावों को सहन कर सकते हैं। समय से उपचार हो जाने पर अधिकांश डॉग्स बच जाते हैं। यदि भूख में सुधार, ऊर्जा के स्तर में वृद्धि, बुखार में कमी, खांसी और छींक में कमी, आंखें और नाक साफ होना, तथा दस्त और उल्टी में कमी दिखे तो समझ जाजिए अब आपका डॉग बच जायेगा।