अल्मोड़ाः कर्मचारियों में पक्ष में खड़े हुए बिट्टू, वेतन-भत्तों में कटौती से खफा, राज्य कर्मचारियों को डस रहा कोरोना का दंशः कर्नाटक

अल्मोड़ा। उत्तराखंड राज्य में कर्मचारियों के वेतन-भत्तों में कटौती से पूर्व मंत्री बिटृटू कर्नाटक बेहद खफा हैं। वह पूरी तरह कर्मचारियों के पक्ष में खड़े…

अल्मोड़ा। उत्तराखंड राज्य में कर्मचारियों के वेतन-भत्तों में कटौती से पूर्व मंत्री बिटृटू कर्नाटक बेहद खफा हैं। वह पूरी तरह कर्मचारियों के पक्ष में खड़े हो गए हैं। उन्होंने कर्मचारी हित की वकालत करते हुए श्री कर्नाटक ने कहा है कि कर्मचारियों का उत्पीड़न बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, भले ही सड़कों पर उतरने को बाध्य होना पड़े।
गौरतलब है कि पूर्व मंत्री बिट्टू कर्नाटक ने पिछले दिनों वेतन-भत्तों में कटौती जैसे आदेशों को निरस्त करने की मांग उठाई थी और इस संबंध में मुख्यमंत्री को एक ज्ञापन भी भेजा था। मगर स्थिति जस की तस रहने से वे खफा हैं। उन्होंने यहां जारी विज्ञप्ति में कहा है कि कोरोना संक्रमण कोविड-19 के इस कठिन दौर राज्य के कर्मचारियों ने समाज में लगातार सहायता पहुंचाने तथा शासन-प्रशासन को अपना अभूतपूर्व सहयोग प्रदान किया है। उन्होंने अपने जीवन को संकट में डाल कर निःस्वार्थ भाव से सेवा की है। ऐसे में इस अभूतपूर्व सहयोग को देखते हुए राज्य कर्मचारियों को कोरोना काल में विशेष आर्थिक पैकेज देना चाहिए था। मगर इसके उलट सरकार ने उन्हें मिल रहे वेतन भत्ते एवं उच्चीकृत वेतनमान आदि सुविधाओं में ब्रेक मारा है और इसके अलावा कर्मचारियों का एक दिन का वेतन काटने का फैसला लिया। ये सब कर्मचारी विरोधी फैसले हैं। श्री कर्नाटक ने कहा कि राज्य के अधिकारियों, स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों, शिक्षा विभाग के कर्मचारियों, नर्सिंग स्टाफ, डॉक्टर्स, पुलिस कर्मियों समेत राज्य के सभी कर्मचारियों को प्रोत्साहन भत्ता दिया जाना आवश्यक था, ताकि उनका मनोबल बढ़े। ऐसे में वेतन-भत्ते काटने जैसे आदेश महज तुगलगी फरमान हैं। उन्होंने मांग की कि राज्य के समस्त कर्मचारियों को कोरोना काल में अभूतपूर्व कार्य के लिए विशेष पैकेज प्रदान किया जाए। इसके लिए केंद्र सरकार से मिल रही बड़ी सहायता का इस्तेमाल किया जाए और अन्य सरकारी मदों के खर्चे कम करने, माननीय लोगों केे वेतन-भत्तों में कटौती करने तथा सरकार के अन्य फिजूल खर्चों में कमी करने के निर्णय लिये जाएं। श्री कर्नाटक ने चेतावनी दी है कि कर्मचारियों का उत्पीड़न कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। अन्यथा कर्मचारी हित में संघर्ष के लिए सड़कों पर उतरने के लिए बाध्य होना पड़ेगा।

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